ध्यान (meditation)

ध्यान और तर्क

meditation practice

"यदि आपके जीवन के सभी अनुभवों को पूर्णतया तार्किक रूप से समझाया जा सके, तो निश्चय हीआपने जीवन में स्वयं को किसी महत्वपूर्ण पहलू से वंचित रखा है। " - श्री श्री रविशंकर

संप्रगणत समाधि (सजग चेतन) की अवस्था में, विशेष तर्क का वास उस ध्यान के साथ होता है जिस में संपूर्ण अनुभव और विचार सम्मिलित होते हैं। ऐसी अवस्था में परम आनंद और सिर्फ 'मैं हूँ' का अनुभव भी सम्मिलित होता है।

तर्क के तीन प्रकार | Three types of Logic

स्वयं को जानने के लिए या अपने कृत्यों पर राय बनाने के लिए आपको तीन प्रकार के तर्कों को जानने की जरूरत है:

  1. तर्क,
  2. कुतर्क
  3. वितर्क
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तर्क (Tarka)

तर्क को अंग्रेज़ी में लाॅजिक कहते हैं। यह एक ऐसी अनुक्रमिक तार्किक समझ है, जिस से वैज्ञानिक ज्ञान बढ़ता है। जब ऐसी समझ के आधार में परिवर्तन आ जाता है, तो वैज्ञानिक निष्कर्षो में भी परिवर्तन आ जाता है। उदाहरण के तौर पर, कीटनाशकों को पूर्व में बहुत उपयोगी माना जाता था, परंतु अब वे अत्यधिक हानिकारक माने जाते हैं। तर्क में मौलिक प्रतिमान ही बदल जाते हैं।

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कुतर्क (Kutarka)

कुतर्क का अर्थ है गलत अथवा विसंगत तर्क, जिस में आशय ही ग़लत होता है। ऐसी स्थिति में तर्क लगाने का एकमात्र उद्देश्य दूसरे में ग़लती खोजना या निकालना होता है। अंतर्मन को तो बोध होता है कि यह बात सही नहीं हैं, फिर भी तर्क के द्वारा आप उस बात को सही सिद्ध कर देते हैं। ऐसे तर्क को कुतर्क कहा जाता है।

उदाहरण के लिए - आधे दरवाज़े के खुले रहने का अर्थ है आधे दरवाज़े का बंद रहना; इसलिए पूरे दरवाज़े के खुले रहने का अर्थ है पूरे दरवाज़े का बंद होना। भगवान प्रेम हैं, और प्रेम अंधा होता है; इसलिए, भगवान अंधे हैं।

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वितर्क (Vitarka)

वितर्क एक ऐसा विशेष तर्क है, जिस से विश्व में कोई विश्वास जगाने के लिए और सत्य को समझाने के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, पातंजलि योग सूत्र का ज्ञान।

तर्क से समाधि मिलती है | Logic leads to Samadhi

किसी भी ज्ञान को तार्किक रूप से समझने, या केवल उसके बारे में पढ़ने या बात करने से भी, हमारी चेतना निश्चित रूप से प्रभावित होती है। ऐसी प्रभाववान अवस्था को समाधि कहते हैं, जो अपने आप में समचित्त होती है। 'धि' का अर्थ है बुद्धि या चेतना की शक्ति, जो आपको स्थिर रखती है। यहां तक कि जब हम स्वयं के बारे में एक निश्चित तर्क के साथ बात कर रहे होते हैं, तब भी हम समाधि की अवस्था में होते हैं।

वितर्क में ऐसे सवाल पूछे जाते हैं जिनका कोई स्पष्ट उत्तर नहीं होता है जैसे कि, "मैं कौन हूँ? मैं कहा हूँ? मुझे सचमुच क्या चाहिए?" इन मोहक दार्शनिक प्रश्नों से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है, आपकी सजगता बढती है, और आपकी चेतना खिल उठती हैl आप को आत्म ज्ञान की प्राप्ति होती है।

वितर्क का विपर्यय नहीं किया जा सकता | Vitarka - logic that cannot be reversed

तर्क हमेशा बदल सकता है। वितर्क एक ऐसा तर्क है जिसकी ना तो निंदा की जा सकती है और ना ही उसको पलटा जा सकता हैl उदाहरण के तौर पर मान लीजिए किसी की मृत्यु हो गयी है और आप वहाँ पर खड़े हैंl प्रत्यक्ष है कि वह मृत हैं और आप जानते हैं कि जो जीवन उनमें था, वह अब उनमें नहीं हैं। उस क्षण आपकी चेतना किसी अन्य ही अवस्था में होती है। अगर आप उस व्यक्ति से भावनात्मक रूप से नहीं जुड़े होते हैं, तो सोचें कि आपकी चेतना में उस समय क्या हो रहा होता है? आप को लगता है कि यह अंत है। जैसे जब कोई मूवी समाप्त हो जाती है, लोग सिनेमा घर से निकलते हैंl ऐसे में वे पायेंगे कि वे एक विशेष चेतना की अवस्था में चले गये हैं। उस समय उनके मन में जो तर्क होता है वह अकाट्य और अपरिवर्तनीय है।

सब कुछ बदल रहा है या बदलने वाला है, नश्वर है एवं लुप्त होने वाला है। यही प्रत्यक्ष है। वितर्क से चेतना और भी खिल उठती है।

इसका अनुभव कैसे करें ? | How to experience this?

इसका अनुभव करने के लिए अपनी आँखे बंद करके बैठने की आवश्यकता नहीं है। यह 'मम्' का भाव खुली आँखों में भी प्रत्यक्ष होता है। सब कुछ खाली है। सब कुछ तरल स्थिति में विद्यमान है।

सारा विश्व सिर्फ एक "क्वांटम यांत्रिकी क्षेत्र" (quantum mechanical field) है। यह एक वितर्क है।

संपूर्ण विज्ञान तर्क पर आधारित है। इसकी अकाट्य तर्क क्वांटम भौतिकी (quantum physics) है।

यह मन की शान्ति (या ध्यान का अनुभव) जो आपको इस विशेष तर्क से मिलती है, उसे वितर्कानुगम समाधि कहते हैं।

gurudev श्री श्री रवि शंकर जी की ज्ञान वार्ता पर आधारित। 

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