प्राकृतिक रूप से व्यसनों से मुक्ति के लिए कार्यक्रम(P.R.A.N)

नशे का व्यसन किसी रसायन, दवा, मादक पदार्थ का सेवन करने या किसी गतिविधि को करने से रोकने की मनोवैज्ञानिक और शारीरिक अक्षमता है, जिससे भले ही मनोवैज्ञानिक और शारीरिक नुकसान हो रहा हो। प्राण विभिन्न व्यसनों से मुक्ति के लिए एक अनुकूल कार्यक्रम है।

व्यसन का चक्र

शोध हमें बताता है कि व्यसन दर्द के साथ शुरू होते हैं और दर्द के साथ समाप्त होते हैं। कोकीन, ऑपियेट्स सभी दर्द निवारक हैं। अतः एक व्यसनी सिर्फ उस दर्द को शांत करने की कोशिश कर रहा है जो उसके जीवन का एक अटूट हिस्सा रहा है। कुछ अनसुलझे आघात या तनाव उसके दिमाग में, विशेष रूप से उसके जीवन के प्रारंभिक वर्षों में लगे हैं, जो उसे नशे की शरण में ले जाते हैं। वह मरने से नहीं डरता बल्कि जीने से डरता है।

किन्तु ड्रग्स की कोशिश करने वाले सभी लोग नशे के आदी नहीं होते। उनका क्या होता है जो नशा करते हैं ?

व्यसन के कारण असंख्य हो सकते हैं। सुर्खियों में रहने वाले, कई बार, इस प्रसिद्धि को संभाल नहीं पाते। मित्रों का दबाव या 'समूह' द्वारा 'स्वीकार' किए जाने की आवश्यकता एक और कारण है। अतीत में घटी कुछ दर्दनाक घटनाएं किसी संबंध में गर्माहट और आत्मीयता के प्रति व्यक्ति को सुन्न और मृत कर देती हैं। वास्तव में ड्रग्स इन सभी उपयोगकर्ताओं के भीतर  आत्मविश्वास, स्वीकृति और प्यार कमी को दूर कर देती हैं। यह उपयोगकर्ता के उस खालीपन को भर देती है, जो वह अनुभव करता है। इसलिए उपयोगकर्ता इन भावनाओं के आदी हो जाते हैं न कि इन पदार्थों के|

समाज उसके साथ कैसा व्यवहार करता है?

यह उसे शर्मिंदा,अपमानित और उसके साथ बुरा बर्ताव करता है। यह उसे अपराधी करार देता है।

उसके लिए पुनर्वसन केंद्र क्या करते हैं?

वे उसे दवा, परामर्श के माध्यम से आदत को छोड़ने के उपाय प्रदान करते हैं और उसे अपने व्यसन में लिप्त होने का अवसर नहीं देते हैं। एक बार असली दुनिया में जाने पर जहाँ अंतहीन अवसर उसके रास्ते में आते हैं, वह बार-बार उनका शिकार हो सकता है। इस कारण उसे पुनःपुनः पुनर्वसन केंद्र आना पड़ सकता है।

हम प्राण में अलग क्या करते हैं ?

लम्बे समय तक सुदर्शन क्रिया, योग और अन्य ध्यान के अभ्यासों के माध्यम से, हम लोगों को उनके भीतर आंतरिक शक्ति के एक स्थायी भंडार का पता लगाने में मदद करते हैं। यह न केवल उसे रोगमुक्त होने की राह पर ले जाता है, बल्कि उसे जीवन में एक उद्देश्य को फिर से खोजने में भी मदद करता है। इन शक्तिशाली क्रियाओं से उसे अपने अन्यथा लक्ष्यहीन, अवांछित अस्तित्व में एक स्थिरता पाने में मदद मिलती है।

वह परिवार और दोस्तों के साथ अपने सामाजिक जीवन को पाने में सक्षम हो जाता है। वह दुनिया के साथ फिर से जुड़ना शुरू कर देता है जिसके साथ उसने पूरी तरह से संबंध तोड़ लिया था।

केवल तभी वह पूर्णरूप से रोगमुक्त होता है।

प्राण के तीन प्रकार (मापदंड) हैं:

प्राण - तम्बाकू समाप्ति:

यह 5 दिनों के लिए एक छोटा गैर-आवासीय कार्यक्रम है, जिसमें प्रति दिन 3.5 घंटे का समय लगता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को सभी प्रकार के तंबाकू व्यसनों, तंबाकू चबाने, गुटखा, खैनी और खर्रा से बाहर आने में मदद करना है।

प्राण - जनजातीय:

यह कार्यक्रम शराब और नशीली दवाओं के दुरुपयोग में शामिल आदिवासी और ग्रामीण आबादी पर केंद्रित है। यह कार्यक्रम एक अनिवार्य विषैले पदार्थों से मुक्ति (डिटॉक्स) की प्रक्रिया से शुरू होता है, इसके बाद 8-दिवसीय आवासीय कार्यक्रम होता है।

प्राण - नगरीय :

शराब और नशीली दवाओं से ग्रसित नगरीय आबादी पर लक्षित यह कार्यक्रम अनिवार्य डिटॉक्स प्रक्रिया से शुरू होता है। एक बार जब शरीर को विषाक्त पदार्थों से छुटकारा मिल जाता है, तो व्यक्ति नशीले पदार्थ पर शारीरिक निर्भरता से बाहर आने में सक्षम होता है। 8-दिन का आवासीय कार्यक्रम विषहरण के बाद शुरु होता है।

शोध

1.) सुदर्शन क्रिया और प्राणायाम का, तम्बाकू का नशा करने वाले लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रभाव

कोचुपिल्लाई वी1, कुमार पी, सिंह डी, अग्रवाल डी, भारद्वाज एन, भूटानी एम, दास एस एन.

6 महीने तक लगातार सुदर्शन क्रिया और प्राणायाम का अभ्यास करने वाले लोगों में ऐसा पाया गया कि  तम्बाकू के नशे की लत जूझ रहे 21% लोग अब नशे की आदत को नियंत्रित कर पाने में सक्षम थे | इस अध्ययन से यह सिद्ध हुआ है कि सुदर्शन क्रिया और प्राणायाम के अभ्यास से, उन लोगों के तंबाकू के सेवन में कमी आई है।

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2.) योग, नशीले पदार्थों की लत को कम करने में मदद करता है

2015 आसियान जर्नल ऑफ़ साइकिएट्री की रिपोर्ट में प्रकाशित किया गया कि सुदर्शन क्रिया योग से पुरुष कैदियों में, नशीले पदार्थों की निर्भरता और उनकी चिंता के स्तर में कमी हुयी और साथ ही उनकी खुशहाल रहने की भावनाओं में वृद्धि देखी गयी| सेंट्रल जेल अस्पताल के मनोरोग विभाग, नई दिल्ली, भारत, के शोधकर्ताओं ने नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले 111 पुरुष कैदियों में से कुछ कैदियों पर 3 महीने के लिए सुदर्शन क्रिया योग के प्रभाव पर शोध किया और उनमे से ही कुछ कैदियों पर श्वांस पर आधारित साधारण ध्यान के अभ्यास के प्रभाव पर शोध किया|

शोधकर्ताओं ने पाया कि श्वांस पर आधारित साधारण ध्यान की तुलना में सुदर्शन क्रिया का अभ्यास कर रहे प्रतिभागियों की कार्यपद्धति और उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में बहुत महत्वपूर्ण सुधार हुआ। इसके अलावा, चिंता की दर में खास कमी देखी गयी|

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3.) ओपिओइड (नशीला पदार्थ) का उपयोग करने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता पर यौगिक श्वसन तकनीकों का प्रभाव (इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ योग)

अंजू डी, अनीता सी, राका जे, दीपक वाई, वेदामुथाचार

इस शोध के दौरान, प्रारंभिक अध्ययन के परिणामों से संकेत मिला कि सुदर्शन क्रिया योग (एस.के.वाई) कार्यक्रम में भाग लेने से नशीले पदार्थों के उपयोगकर्ताओं की जीवन गुणवत्ता में सुधार हुआ है | इन अभ्यास कर्ताओं में यह भी देखा गया कि सुदर्शन क्रिया के नियमित अभ्यास से इनके शरीर तंत्र में अन्य कई लाभ भी शुरू हो गए | सभी अध्ययन समूहों में ऐसा पाया गया कि 6 महीने पहले जिनके शरीर में नशीले पदार्थों के प्रमाण मिले थे, 6 महीने बाद उन्ही लोगों की मूत्र जाँच में किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों की पुष्टि नहीं हुई | अध्ययन के अंतर्गत आने वाले सभी समूहों में इस बात की पुष्टि हुई कि सुदर्शन क्रिया योग के अभ्यास ने सभी लोगों को नशे की लत से छुटकारा पाने और पिछले किये गए नशे के आगामी दुष्प्रभावों से मुक्ति पाने में बहुत मदद की |

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4.) शराब की लत से जूझ रहे लोगों में अवसाद और हार्मोनल असंतुलन पर सुदर्शन क्रिया योग का प्रभाव

वेदमुठुचार ए, जानकीरमैया एन, हेगड़े जे एम, शेट्टी टी के, सुब्बकृष्ण डी के सुरेशबाबू एस.वी और अन्य

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