व्याख्यान

योग सूत्र

योग-विज्ञान, योग-कला और योग-दर्शन के बारे में विस्तार से बताने वाले सूत्रों का एक समूह|

योग सूत्र क्या हैं ?

कभी-कभी रोग केवल शारीरिक नहीं होते, बल्कि मानसिक और भावनात्मक भी होते हैं, जिनसे निपटने की आवश्यकता होती है। क्रोध, काम, लोभ, ईर्ष्या आदि इन सभी अशुद्धियों से कोई कैसे मुक्त हो सकता है ? इसका क्या उपाय है ? विष्णु सर्पों की शय्या पर लेटे हुए थे; हजार मस्तक वाले आदिशेष पर। जब ऋषियों ने उनसे संपर्क किया, तो उन्होंने उन्हें आदिशेष (जागरूकता का प्रतीक) दिया, जिसने महर्षि पतंजलि के रूप में दुनिया में जन्म लिया। इसलिए पतंजलि, योग का यह ज्ञान देने के लिए इस धरती पर आए जिसे ‘योग सूत्र’ के रूप में जाना जाता है।

श्री श्री रविशंकर जी द्वारा की गई व्याख्या

सूत्र एक संस्कृत शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है एक रस्सी या धागा, जो वस्तुओं को एक साथ जोड़े रखता है और अधिक रूपाकत्मक ढंग से यह एक सूक्ति (पंक्ति, नियम, उपाय) को संदर्भित करता है। नायलॉन के एक धागे द्वारा बंधी पतंग हवा के बीच सरकती हुई अद्भुत ऊंचाइयों तक बढ़ सकती है।

पतंजलि के योग सूत्र जीवन के सूत्र हैं। हर एक सूत्र ज्ञान, उपकरण और विधियों से युक्त है, जिस का उपयोग केवल मन को निर्देशित करने के लिए ही नहीं बल्कि अपने सम्पूर्ण अस्तित्व को पूर्ण क्षमता तक विकसित करने के लिए  किया जा सकता है। श्री श्री रविशंकर जी ने प्रत्येक सूत्र का अनावरण इस प्रकार किया है कि वह 21वीं सदी की जीवनशैली में अपनाया जा सके।

श्री श्री के व्याख्यान का एक अंश

“प्रेमाग्नि अथवा ज्ञानाग्नि प्रारम्भ में एक उदासी और विरह का भाव जगाती है किन्तु बढ़ते-बढ़ते यह आनंद और पूर्णता में विकसित हो जाती है।” श्री श्री रवि शंकर
“प्रसन्नता और आनंद की तुम्हारी चाह ही तुम्हें दुखी करती है !” श्री श्री रवि शंकर
“स्वास्थ्य और प्रसन्नता का रहस्य हर व्यक्ति के भीतर है। योग स्वयं की खोज का विज्ञान है; शुद्ध चैतन्य, शांति और आनंद का स्रोत!" श्री श्री रवि शंकर
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