आध्यात्मिक गुरु

अपने शक्तिशाली जहाज पर कप्तान और कर्मी दल के सदस्यों ने समुद्र के कठोर पानी पर चलना शुरू किया - अपराजेय - उनके माथे पर भय या पीड़ा के निशान के बिना। एक फुटबॉल के मैदान जैसा लम्बा और अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित, अब तक का सबसे अच्छा जहाज जो उनके प्रायद्वीप ने कभी नहीं देखा था ! उन्होंने अपराजेय (समुद्री जहाज) को बनाने के लिए कठिन परिश्रम किया था और उन्हें विश्वास था कि वे किसी भी चुनौती का जो समुद्र के अप्रत्याशित जल द्वारा उत्पन्न की गई हो, उसका सामना कर सकते हैं। तो उस दिन, थोड़ा और अधिक साहसी महसूस करते हुए , निडरता के साथ भंवरों को चकमा देते हुए और बड़े पैमाने पर लहरों का सामना करते हुए वे बहुत गहरे समुद्र में चले गए । सारा वातावरण खुशियों से और चालक दल गर्व एवं उत्साह से भरा हुआ था। 

परंतु, अपराजेय अब नए पानी से घिर गया जिसका अनुभव चालक दल ने कभी नहीं किया था। जब एक नाविक ने पूछा, "कप्तान, घर कितनी देर में पहुंचेंगे ?" जो कुछ भी कप्तान कर सकता था, वह ये था कि पहिए के पीछे चुप चाप रहे और एक कम्पास यानी दिशा सूचक यंत्र के लिए निर्दिष्ट खाली जगह को एकटक देखता रहे । जहाज, दिशा निर्देश के बिना समुद्र के बीच में अपने आप पर था।

जहाज चालक दल की स्थिति दुनिया भर में कई मनुष्यों की परिस्थिति के लिए एक उल्लेखनीय समानता रखता है । हम अपने दैनिक जीवन में असंख्य महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर के बिना चलते हैं ।

मेरे जीवन का क्या उद्देश्य है,‌ मेरी यात्रा का ? मैं कहाँ जा रहा हूँ ? और यहीं पर अज्ञान के व्यापक अंधकार में से हमारा मार्गदर्शन करने के लिए हमें एक गुरु की जरूरत होती है । जैसे किसी नए छात्र या प्रशिक्षु को एक गुरु के संरक्षण में रखा जाता है , जो उसे संसार के शासी कानूनों और मुख्य वास्तविकताओं के साथ परिचित करवाता है, जो कि उसे जीवन की पाठशाला में आगे बढ़ने में मदद करती हैं, ऐसे ही हमें एक आध्यात्मिक गुरु की आवश्यकता है जो हमारे दिमाग को प्रबुद्ध कर सके, हमें भ्रमित करने वाले विकल्पों की भूलभुलैया से बाहर निकाल सके और, उनमें कृतज्ञता की मायावी भावना पैदा कर सके ।

आध्यात्मिक गुरु एक ऐसे दुर्लभ प्राणी हैं जो कि आम आदमी की सामान्य इच्छाओं से परे जा चुके हैं और जिन्होंने दिव्य चेतना हासिल की है । वह इस प्रकार स्वयं सर्वोच्च के साथ निरंतर एकता की स्थिति में हैं । ऐसा व्यक्तित्व भौतिक दुनिया के चंगुल से अलग है और सांसारिक प्रभावों से अदूषित है जो हमेशा हम सभी को बरगलाने में (चकमा देने में) बेबदल सफल होते हैं । यहां तक कि हमारे बीच सबसे अच्छे व्यक्ति भी भौतिक जगत की पकड़ के शिकार हो जाते हैं । आम लोगों के दुखों को दूर करने के लिए एक शानदार कमल की तरह आसपास के गंदे पानी से अप्रभावित और सूर्य के नीचे शानदार ढंग से विकिरण करते हुए एक आध्यात्मिक गुरु उत्पन्न होते हैं । स्वयं को अपने गुरु  को समर्पित करके और अपनी सच्ची कृतज्ञता व्यक्त करके, हम भी सांसारिक प्रभावों से ऊपर उठ सकते हैं।

आध्यात्मिक गुरु का और सर्वोच्च का मेल इतना गहरा है कि वे अप्रभेद्य हैं । ठीक वैसे, जैसे जंगल के सभी पशु-पक्षी और पेड़-पौधे उनके भोजन और पोषण के लिए जल-प्रपात पर निर्भर हैं, हम अज्ञानी आत्माओं को, ज्ञान प्राप्ति के साधकों को, एक आध्यात्मिक गुरु की संगति में रहने की निरंतर आवश्यकता है । गुरु के निरंतर प्रभाव में रहने से हम आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए पथ पर उन्नति करते हैं और कभी-न-कभी जीवन का शाश्वत सत्य अंततः प्रकट होता प्रतीत होता है । कहानी में कप्तान की तरह हम जीवन में बड़ी चीजें हासिल करना चाहें और अपने आप को सुख-साधनों से घेर लें, लेकिन हम अभी भी हमारे शोषकों के बीच बैठे खोखला महसूस कर सकते हैं।

इसका कारण अर्थ, प्रेम एवं कृतज्ञता का गहरा अभाव है । वह निश्चित रूप से भौतिक धन और पूर्ति के बीच एक गैर-संबंध का संकेत देता है जो तर्कसंगत दिमाग के लिए सारगर्भित विचार है । बोले बगैर समझने वाली बात है कि आध्यात्मिक गुरु के प्रभाव में हम पूर्ण एवं सन्तुष्ट हो सकते हैं, कृतज्ञता को समझ सकते हैं और, जीवन में सच्चे आनंद का अनुभव कर सकते हैं ।