गुरु कौन हैं

जीवन एक द्विभाजन है। जीवन सरल नहीं है,अपितु बहुत जटिल है। विपरीत जीवन बनाते हैं, जैसे सुख और दुःख, खुशी और उदासी, लोभ और उदारता, राग और वैराग्य।

जीवन विपरीत मूल्यों से भरा है, और वे आपको विभिन्न दिशाओं में खींचते हैं। जब जीवन में जटिलता बहुत अधिक हो जाती हैं, तो बेचारा मन इसे संभाल नहीं पाता है, और बस टूट जाता है। ऐसे में उसे सहारे की जरूरत होती है। और उसके लिए गुरु उपलब्ध है।

गुरु का महत्व

गुरु शरीर नहीं है, गुरु प्रकाश है, गुरु ज्ञान है, और प्रकाश और ज्ञान मानव जीवन में आवश्यक हैं। जब किसी का जीवन ज्ञान से अविभाज्य है, तो हम उन्हें सद्गुरु या गुरु कहते हैं। 

आपमें ज्ञान का अक्षुण्ण रहना कब संभव है? जब आप किसी विषम परिस्थिति में नहीं होते हैं। आपने देखा होगा कि जब आप किसी विषम परिस्थिति में नहीं होते हैं तो आप बहुतअच्छा उपदेश दे पाते हैं। लेकिन जब आप मुसीबत में होते हैं, तो आपको ये सुविचार नहीं आते। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब आप संकट से बाहर निकलते हैं तो ज्ञान का उदय होता है।

यदि ज्ञान है तो गड़बड़ी कैसे हो सकती है? गड़बड़ी बिल्कुल नहीं होगी। तो, गुरु वह है जो गड़बड़ी से बाहर है और जो अराजकता के बीच अराजकता देखते हैं ।

आपने सर्किट ब्रेकर नाम की किसी चीज के बारे में सुना होगा। जब अधिक मात्रा में बिजली आती है, तो सर्किट ब्रेकर बिजली के अतिरिक्त प्रवाह को रोकते हैं और उपकरण को बचाते हैं। आप कह सकते हैं कि गुरु एक ऐसे सर्किट ब्रेकर हैं।

जब कुछ ऐसा होता है जिसे मन नहीं संभाल सकता, तो गुरु मन को बचाने के लिए आते हैं। इसलिए, जो कुछ भी आप संभाल नहीं सकते हैं, जो आपके लिए बहुत अधिक प्रतीत होता है, उसे गुरु को दे सकते हैं, ताकि आप समझदार और संतुलित रहें।

उसी तरह, जब आपके मन में एक तीव्र इच्छा होती है जो आपके दिमाग को खराब करती है, तो गुरु भी बिना शर्त प्यार और समर्थन के साथ आपको यह बताने के लिए होते हैं, 'चिंता मत करो, चलो इसे तुम्हारे लिए करते हैं।'

गुरु पूर्णिमा ज्ञान के इस स्रोत के लिए कृतज्ञ महसूस करने का दिन है जो आपको अस्तित्व की परेशानियों के बीच संतुलित रखता है और आपको आत्मविश्वास और दूरदृष्टि के साथ चलने की अनुमति देता है।

कहते हैं एक बार गुरु मिल जाए तो काम हो गया! स्वतंत्रता प्राप्त हो गई।