गौमूत्र के फायदे और महत्व (Gomutra ke fayde)

आयुर्वेद के अनुसार देसी गाय का "गौमूत्र" एक संजीवनी है। गौ मूत्र एक अमृत के समान है जो दीर्घ जीवन प्रदान करता है, पुनर्जीवन देता है, रोगों को दूर रखता है, रोग प्रतिकारक शक्ति एवं शरीर की माँसपेशियों को मज़बूत करता है।

आयुर्वेद के अनुसार यह शरीर में तीनों दोषों का संतुलन भी बनाता है और कीटनाशक की तरह भी काम करता है। 

गौमूत्र का उपयोग 

  1. संसाधित किया हुआ गोमूत्र अधिक प्रभावकारी; प्रतिजैविक, रोगाणु रोधक (antiseptic), ज्वरनाशी (antipyretic), कवकरोधी (antifungal) और प्रतिजीवाणु (antibacterial) बन जाता है।

  2. यह एक जैविक टॉनिक के समान है। यह शरीर-प्रणाली में औषधि के समान काम करता है।

  3. यह अन्य औषधियों के साथ, उनके प्रभाव को बढ़ाने के लिए भी ग्रहण किया जा सकता है। 

  4. गोमूत्र कैंसर के उपचार के लिए भी एक बहुत अच्छी औषधि है। यह शरीर में 'सेल डिवीज़न इन्हिबिटरी एक्टिविटी' को बढ़ाता है और कैंसर के मरीज़ों के लिए बहुत लाभदायक है। आयुर्वेद के ग्रंथों के अनुसार गौ-मूत्र विभिन्न जड़ी-बूटियों से परिपूर्ण है। यह आयुर्वेदिक औषधि गुर्दे, श्वसन और ह्रदय सम्बन्धी रोग, संक्रामक रोग और संधिशोथ (Arthritis), इत्यादि कई व्याधियों से मुक्ति दिलाता है।

  5. आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार गौ-मूत्र विभिन्न जड़ी-बूटियों से परिपूर्ण है। यह आयुर्वेदिक औषधि गुर्दे, श्वसन और ह्रदय सम्बन्धी रोग, संक्रामक रोग (infections) और संधिशोथ (Arthritis), इत्यादि कई व्याधियों से मुक्ति दिलाता है।

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गौमूत्र के फायदे (Gomutra ke Fayde)

गोमूत्र के फायदे

देसी गाय के गौमूत्र में कई उपयोगी तत्त्व पाए गए हैं, इसीलिए गौमूत्र के कई सारे फायदे हैं। गौमूत्र अर्क इन उपयोगी तत्वों के कारण इतना प्रसिद्ध है। देसी गाय के गौमूत्र में जो मुख्य तत्व हैं उनमें से कुछ का विवरण जानिए :

  1. यूरिया (Urea): यूरिया मूत्र में पाया जाने वाला प्रधान तत्व है और प्रोटीन रस-प्रक्रिया का अंतिम उत्पाद है। यह शक्तिशाली प्रतिजीवाणु कर्मक है।
  2. यूरिक एसिड (Uric acid): यह यूरिया जैसा ही है और इस में शक्तिशाली प्रतिजीवाणु गुण हैं। इस के अतिरिक्त यह कैंसर कर्ता तत्वों का नियंत्रण करने में मदद करते हैं।
  3. खनिज (Minerals): खाद्य पदार्थों से व्युत्पद धातु की तुलना मूत्र से धातु बड़ी सरलता से पुनः अवशोषित किए जा सकते हैं। संभवतः मूत्र में खाद्य पदार्थों से व्युत्पद अधिक विभिन्न प्रकार की धातुएं उपस्थित हैं। यदि उसे ऐसे ही छोड़ दिया जाए तो मूत्र पंकिल हो जाता है। यह इसलिए है क्योंकि जो एंजाइम मूत्र में होता है वह घुल कर अमोनिया में परिवर्तित हो जाता है, फिर मूत्र का स्वरुप काफी क्षार में होने के कारण उसमें बड़े खनिज घुलते नहीं है। इसलिये बासा मूत्र पंकिल जैसा दिखाई देता है। इसका यह अर्थ नहीं है कि मूत्र नष्ट हो गया। मूत्र जिसमें अमोनिकल विकार अधिक हो जब त्वचा पर लगाया जाये तो उसे सुन्दर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  4. उरोकिनेज (Urokinase): यह जमे हुए रक्त को घोल देता है, ह्रदय विकार में सहायक है और रक्त संचालन में सुधार करता है।
  5. एपिथिल्यम विकास तत्व (Epithelium growth factor): क्षतिग्रस्त कोशिकाओं और ऊतक में यह सुधार लाता है और उन्हें पुनर्जीवित करता है।
  6. समूह प्रेरित तत्व (Colony stimulating factor): यह कोशिकाओं के विभाजन और उनके गुणन में प्रभावकारी होता है।
  7. हार्मोन विकास (Growth hormone): यह विप्रभाव भिन्न जैवकृत्य जैसे प्रोटीन उत्पादन में बढ़ावा, उपास्थि विकास, वसा का घटक होना इत्यादि पर काम करता है।
  8. एरीथ्रोपोटिन (Erythropoietin): रक्ताणु कोशिकाओं के उत्पादन में बढ़ावा करता है।
  9. गोनाडोट्रोपिन (Gonadotropins): मासिक धर्म के चक्र को सामान्य करने में बढ़ावा और शुक्राणु उत्पादन।
  10. काल्लीक्रिन (Kallikrein): काल्लीक्रिन को निकलना, बाह्य नसों में फैलाव रक्तचाप में कमी।
  11. ट्रिप्सिन निरोधक (Trypsin inhibitor): माँसपेशियों के अर्बुद की रोकथाम और उसे स्वस्थ करना।
  12. अलानटोइन (Allantoin): घाव और अर्बुद को स्वस्थ करना।
  13. कर्क रोग विरोधी तत्व (Anti cancer substance): निओप्लासटन विरोधी, एच -11 आयोडोल - एसेटिक अम्ल, डीरेकटिन, 3 मेथोक्सी इत्यादि किमोथेरेपीक औषधियों से अलग होते हैं जो सभी प्रकार के कोशिकाओं को हानि और नष्ट करते हैं। यह कर्क रोग के कोशिकाओं के गुणन को प्रभावकारी रूप से रोकता है और उन्हें सामान्य बना देता है |
  14. नाइट्रोजन (Nitrogen): यह मूत्रवर्धक होता है और गुर्दे को स्वाभाविक रूप से उत्तेजित करता है।
  15. सल्फर (Sulphur): यह आंत कि गति को बढ़ाता है और रक्त को शुद्ध करता है।
  16. अमोनिया (Ammonia): यह शरीर की कोशिकाओं और रक्त को सुस्वस्थ रखता है।
  17. तांबा (Copper): यह अत्यधिक वसा को जमने में रोकधाम करता है।
  18. लोहा (Iron): यह RBC संख्या को बरकरार रखता है और ताकत को स्थिर करता है।
  19. फोस्फेट (Phosphate): इसका लिथोट्रिपटिक कृत्य होता है।
  20. सोडियम (Sodium): यह रक्त को शुद्ध करता है और अत्यधिक अम्ल के बनने में रोकथाम करता है।
  21. पोटैशियम (Potassium): यह भूख बढ़ाता है और मांसपेशियों में खिझाव को दूर करता है।
  22. मैंगनीज़ (Manganese): यह जीवाणु विरोधी होता है और गैस और गैंगरीन में राहत देता है।
  23. कार्बोलिक अम्ल (Carbolic acid): यह जीवाणु विरोधी होता है।
  24. कैल्शियम (Calcium): यह रक्त को शुद्ध करता है और हड्डियों को पोषण देता है; रक्त के जमाव में सहायक।
  25. नमक (Salts): यह जीवाणु विरोधी हैं और कोमा केटोएसीडोसिस की रोकथाम करते हैं।
  26. विटामिन ए, बी, सी, डी और ई (Vitamin A, B, C, D and E): अत्यधिक प्यास की रोकथाम करते हैं और ताकत प्रदान करते हैं।
  27. लेक्टोस शुगर (Lactose sugar): ह्रदय को मजबूत करता है, अत्यधिक प्यास और चक्कर की रोकथाम करता है।
  28. एंजाइम्स (Enzymes): प्रतिरक्षा में सुधार, पाचक रसों के स्रावन में बढ़ावा।
  29. पानी (Water): शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है और रक्त के द्रव को बरक़रार रखता है।
  30. हिप्पुरिक अम्ल (Hippuric acid): यह मूत्र के द्वारा दूषित पदार्थों का निष्काषन करता है।
  31. क्रीयटीनिन (Creatinine): यह‌ जीवाणु विरोधी है।
  32. स्वमाक्षर (Swamakshar): जीवाणु विरोधी, प्रतिरक्षा में सुधार, विषहर के जैसा कृत्य करता है।

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गोमूत्र पे सामान्य प्रश्न 

 
Founded in 1981 by Sri Sri Ravi Shankar,The Art of Living is an educational and humanitarian movement engaged in stress-management and service initiatives.Read More