सेजल शाह । 09 मार्च, 2020
चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान में पहली बार कोरोना वायरस के प्रकोप की खबरें आई थीं, इसलिए एक तेजी से बढ़ती हुई महामारी को देखते हुए पूरी दुनिया हाई अलर्ट पर है। अनिश्चितता और भय ने दुनिया को जकड़ लिया है। इसलिए संयुक्त राज्य अमेरिका में डब्लू. एच. ओ. (WHO) की वेबसाइट और अपने राष्ट्रीय और स्थानीय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकरण सी. डी. सी. के माध्यम से, कोविड-19 (COVID-19) प्रकोप की नयी जानकारी से अवगत होना हम सबके लिए ज़रूरी है।
इसमें कोई शक नहीं कि यह अनिश्चितता का समय है। अनिश्चितता पर भय और चिंता पनपती है। लोग बेहद असुरक्षित, डरे हुए और तनावग्रस्त हैं। आप सोच सकते हैं, डर या तनाव आपको सुरक्षित रखता है, लेकिन जितना अधिक आप तनाव में रहते हैं, आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली उतनी ही कम प्रभावी होती जाती है और आप वायरस के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। यह सिद्ध हो गया है कि तनाव आपकी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को कम कर सकता है।
यहाँ कुछ उपाय हैं, जिन्हें आप अपनी रोग प्रतिरक्षा क्षमता में सुधार करने या बढ़ाने के लिए और साथ ही डर और चिंता को नियंत्रण में रखने के लिए उपयोग कर सकते हैं:
1. योग करें- व्यायाम, साँस और ध्यान
भगवत गीता में सबसे लोकप्रिय उद्धृत छंदों में से एक है- "योग कर्मसु कौशलम्, कार्य में कुशलता ही योग है। शांतिपूर्ण रहने के इस कौशल को कैसे प्राप्त किया जाए ताकि भय इस कठिन समय में आपकी सोच पर हावी न हो जाए। योग में साँस की तकनीक और ध्यान शामिल हैं जो शरीर और मन में अनसुलझे तनाव को दूर करने में मदद करते हैं। आसनों का विशेष रूप से स्वास्थ्य (फिटनेस) और शारीरिक लचीलेपन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त मानसिक स्थिति पर भी एक अच्छा प्रभाव पड़ता है, जबकि प्राणायाम और विश्राम/ध्यान तकनीकों के परिणामस्वरूप अधिक जागरूकता, बढ़ी हुई प्रतिरक्षा और जीवनशैली में बेहतर सुधार हो सकता है। सरल योग मुद्राओं का अभ्यास करने से तनाव और घबराहट के दबाव से निपटने में बहुत मदद मिलती है।
आधुनिक समय के वैज्ञानिक शोध हमें योग तकनीकों को समझने में मदद करते हैं, जो समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। शांति पाने की चाभी हमारे तंत्रिका तंत्र (ए.एन.एस.) के भीतर पाई जाती है, जो बड़े पैमाने पर कार्य करती है और अन्य क्रियाओं के साथ हमारे श्वसन तंत्र को नियंत्रित करती है। इस प्रणाली की दो प्रमुख शाखाएं हैं- सहानुभूति तंत्रिका तंत्र (एस.एन.एस) प्रतिरोध का कार्य करती है और पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र (पी.एन.एस)- विश्राम और पाचन क्रियाओं के लिए जिम्मेदारी लेता है। इस तनावपूर्ण समय में, हमारा एस.एन.एस सिस्टम बहुत कम उत्तेजनाओं के साथ सक्रिय रहता है जिससे भय और घबराहट होती है। इस प्रभाव को संतुलित करने के लिए और चिंता को कम करने के लिए, हमें पी.एन.एस को उत्तेजित करने की आवश्यकता है। इसके लिए हम योग तकनीकों का प्रयोग कर सकते हैं जो मस्तिष्क से पेट तक जाने वाली वेगस तंत्रिका पर कार्य करते हैं। अनुसंधान से पता चला है कि प्राणायाम या श्वास-प्रक्रिया के विभिन्न रूप, विशेष रूप से सुदर्शन क्रिया, अधिक प्रभावशाली सिद्ध हो सकती है। सुदर्शन क्रिया पर किए गए शोध से यह भी पता चलता है कि इसके नियमित अभ्यास से रोग प्रतिरोधक क्षमता में काफी वृद्धि होती है:
- पूर्णतःस्वस्थ व्यक्तियों में, सुदर्शन क्रिया द्वारा प्रतिरक्षा कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। कुछ ने तीन सप्ताह के भीतर इस वृद्धि का प्रमाण भी दिया है। (न्यूट्रोफिल, लिम्फोसाइट्स, प्लेटलेट काउंट)
- 12 सप्ताह में देखे गए स्वास्थ्य से समझौता करने वाले व्यक्तियों में सुदर्शन क्रिया( SKY) करने से प्रतिरक्षा कोशिकाओं की संख्या,में वृद्धि देखी गई। (प्राकृतिक किलर सेल)।
- परिणामों में डीएनए में लाभकारी परिवर्तन दिखाई दिए जो श्वेत रक्त कोशिकाओं या हमारी प्रतिरक्षा कोशिकाओं के जीवनकाल में वृद्धि करते हैं। बीमारी फैलने के ऐसे समय में, बेहतर प्रतिरक्षा और मन की शांति बनाए रखने के लिए दो चीज़ें बहुत प्रभावशाली सिद्ध हो रही हैं : कुछ शक्तिशाली श्वास प्रक्रिया का अभ्यास सीखना और सुदर्शन क्रिया। आप अपने नजदीकी हैप्पीनेस प्रोग्राम में साँस लेने की इस शक्तिशाली तकनीक को सीख सकते हैं। यदि आप अधिक जानना चाहते हैं, तो हम आपको हमारे ऑनलाइन हैप्पीनेस प्रोग्राम में निशुल्क भाग लेने के लिए आमंत्रित करते हैं।
यदि आपने आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन द्वारा प्रस्तुत हैप्पीनेस प्रोग्राम में यह सुदर्शन क्रिया पहले सीखी है तो आपको प्रशिक्षकों द्वारा आपको दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार, नियमित रूप से घर पर इसका अभ्यास जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। कुछ योगासन से शुरू करें, उसके बाद सुदर्शन क्रिया का घर पर अभ्यास करें, उसके बाद सहज समाधि ध्यान या कोई अन्य निर्देशित ध्यान करें। यह दिनचर्या निश्चित रूप से आपकी प्रतिरक्षा में सुधार करने के साथ-साथ आपको शांत रहने में मदद करेगी।
2. अप्रभावित रहें
जानना महत्वपूर्ण है, लेकिन समाचार और सोशल मीडिया पर जुनूनी होना जरूरी नहीं है। यहाँ एक स्थिति है, जहाँ सूचना एकत्र करना समस्या बन सकता है। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के एक मनोवैज्ञानिक स्टीवर्ट शैंकमैन कहते हैं, जो कि एंग्जायटी पर अध्ययन करते हैं उनका कहना है कि बहुत अधिक जानकारी आपके डर को बढ़ाने का, अनचाहे प्रभाव का कारण हो सकता है। यदि आप अपनी सुरक्षा और सचेत रहने के लिए बुनियादी कदम उठा रहे हैं तो यह काफी है और आपकी आशंकाओं या जोखिम को पूरी तरह कम करने का कोई तरीका नहीं है। आप दिन-रात हेडलाइन्स, न्यूज, अलर्ट्स या ट्वीट पढ़ने में बिता सकते हैं, लेकिन इससे आपको कोरोना वायरस होने का खतरा टल नहीं सकता।
विकल्प के रूप में जैसा कि आप समाचार से खुद को थोड़े समय के लिए अलग करते हैं, एक ध्यान ऐप आजमाने की कोशिश करें, जैसे कि द आर्ट ऑफ़ लिविंग ऐप, जिससे आने वाली समस्याओं की चिंता को दूर करने में मदद मिल सके। कई अध्ययनों से पता चला है कि तनाव और चिंता को कम करने और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए ध्यान बहुत प्रभावशाली है।.
3. रात को अच्छी नींद लें
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन फ्रांसिस्को के एरिक प्राथर द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, जब शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन के भाग में स्वस्थ लोगों के एक समूह की नाक में एक जीवित सामान्य सर्दी वायरस का स्प्रे किया, तो कोई भी बीमार नहीं हुआ। जिन लोगों की नींद कम थी, उनमें सर्दी विकसित होने की संभावना काफी अधिक थी और अच्छी तरह से विश्राम करने वाले लोग वायरस से बचाव में बेहतर थे। यहाँ तक कि नए कोरोना वायरस के बारे में अभी भी बहुत कुछ सीखना बाकी है, ऊपर दिए गए शोध से संभावनाओं को लें और सुनिश्चित करें कि आपको हर रात अच्छी नींद आती है। अगर आपको नींद आने में परेशानी हो रही है, तो योग निद्रा जैसी तकनीक आपकी मदद कर सकती है। फिर से, सुदर्शन क्रिया श्वांस तकनीक बहुत काम आ सकती है। 2006 के एक अध्ययन से यह देखा गया है कि सुदर्शन क्रिया का अभ्यास करने वाले गहरी नींद में अधिक समय विश्राम करते हैं।
4. डरें नहीं मज़बूत बनें
कोरोना वायरस के बारे में समाचार और बातचीत पर अपना पूरा ध्यान लगाने के बजाय आप ऐसी गतिविधियों में शामिल हों जो आपको मजबूत और उत्साहित करने में मदद करें। स्थानीय सामुदायिक केंद्र में उदारता की भावना से या स्वयंसेवा के माध्यम से ऐसी गतिविधियों में अधिक कार्य करें जो आपको भावनात्मक तौर पर खुश और स्वस्थ रहने में मदद करते हैं। ऊपर बताई गई बातों के अलावा, व्यायाम करें, अच्छा खाएं, लगातार पानी पीते रहें, प्राकृतिक वातावरण में बाहर निकलें और ऎसी चीज़ें करें जो आपकी ऊर्जा बढाए।
5. लोगों को उनके भय को नियंत्रित करने में मदद करें
एक बार जब आप स्वयं को सक्षम कर लेते हैं तो दूसरों को सक्रिय होने में मदद करें। शांति से बात करें, बताएं कि अफवाहों से बचें और अपनी बातचीत में अन्य लोगों को से डर से प्रभावित न होने दें। आप ऑनलाइन कोरोना वायरस जागरूकता / शैक्षिक वार्ता या ऑनलाइन सामूहिक ध्यान सत्र भी आयोजित कर सकते हैं।
6. इस समय को अपने भीतर जाने के अवसर के रूप में देखें
आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक, गुरुदेव श्री श्री रविशंकर का एक विशेष सुझाव है, हम सभी को सावधान रहने की जरूरत है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है।
इस चुनौतीपूर्ण स्थिति को स्वीकार करें और देखें कि आप इसका रचनात्मक उपयोग कैसे कर सकते हैं। शायद, प्रकृति चाहती है कि हर कोई इस भागदौड़ के जीवन से से थोड़ा धीमा हो जाए। इस समय को, घबराने, गपशप करने और अफवाह फैलाने में बर्बाद करने के बजाय, निश्चित रूप से हम इस समय का उपयोग ऐसे काम करने के लिए कर सकते हैं जो हमें और हमारे प्रियजनों को हमारी शारीरिक और मानसिक तौर पर स्थिति के अनुकूल बनाने में मदद कर सकते हैं।
मुझे उम्मीद है कि ये टिप्स आपको अस्तव्यस्तता के बीच शांत रहने में मदद करेंगे। जान लें कि यह समय बीत जायेगा और यह जल्द ही बीत जाएगा। आपकी प्रार्थना और आशीर्वाद में जबरदस्त शक्ति है,यह समय उनका भरपूर उपयोग करने का है।
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Sejal Shah, E-YRT 500 Sri Sri Yoga Teacher, YACEP, Meditation Teacher, Happiness expert, NYU Post Graduate Medical School approved Yoga-CME retreat facilitator, Mind-Body Wellness Writer, Homeopath. She can be followed on Instagram, Twitter, and Facebook.