जंगल ऐसे वन्य जाति और जीवित प्राणियों का एक छोटा सा घर है; जिनके न होने से पारिस्थितिक तंत्र का संतुलन बिगड़ सकता है। हमारी आने वाली अगली पीढ़ियों के अच्छे भविष्य के लिए हमें आज वृक्षों की ज़रुरत है। वृक्ष हमारी धरती के संरक्षक हैं।"आर्ट ऑफ लिविंग" का लक्ष्य हरित वसुंधरा को पुनर्जीवित करना है। हमारे सेवक इस सेवा कार्य में जुड़े हैं कि हर जगह वृक्षारोपण करें और जितने तरीके के अलग-अलग प्राकृतिक वृक्ष हैं उनका संरक्षण करें। ग्रामीण विकास हो या समाज के किसी भी क्षेत्र में कोई कार्यक्रम हो, "आर्ट ऑफ लिविंग" हमेशा लोगों को प्रेरित कर रहा है कि प्रकृति के लिए कुछ अच्छा करें। अनगिनत सेवकों के इतने वर्षों के प्रयास से , "आर्ट ऑफ लिविंग" ने अभी तक 5.5 करोड़ वृक्ष धरती पर लगाए हैं। "मिशन ग्रिन अर्थ "के अंतर्गत 2008 तक ये संख्या बढ़कर 9.6 करोड़ आंकी गयी है।
लोगों को वृक्षारोपण करने के लिए प्रोत्साहित करना ये "मिशन ग्रीन अर्थ" का लक्ष्य है।" यूनाइटेड नेशंस मिलेनियम कैंपेन और यूनाइटेड नेशंस एनवायर्नमेंट प्रोग्राम" के साथ मिलकर "आर्ट ऑफ लिविंग" ने 35 अलग –अलग देशों सहित भारत के 26 राज्यों में 9.6 करोड़ वृक्ष लगाए।
जितने पेड़ उससे कहीं ज़्यादा संख्या में लोग प्रभावित हुए। पर्यावरण रक्षा की तरफ उन्हें प्रोत्साहित करना ये एक अपने आप में ही "ग्लोबल वार्मिंग" से बचाव की दिशा में पहला कामयाब प्रोजेक्ट रहा। "आर्ट ऑफ लिविंग "ने 101.6 करोड़ लोगों को दरिद्रता निर्मूलन के लिए जागृत किया। अक्टूबर 17 से अक्टूबर 19; 2008 तक उन्हें गरीबी निर्मूलन करने की सेवा की शपथ दिलाई।
भारतीय वृक्षारोपण अभियान के कुछ सुनहले पत्र
हमने बैंड्सकोपा और गोपालपुर के गाँव वालों को ये कहा कि 6 महीने के बाद, सबसे बढ़िया बढ़ने वाले पेड़ को हम पुरस्कार देंगे। इसके लिए वृक्षों का हर महीने परीक्षण होगा। उसकी रिपोर्ट तैयार करेंगे। इस वजह से गाँव वाले प्रोत्साहित हुए और उन्होंने वृक्षों की अच्छी देखभाल शुरू की। स्कूल शताब्दी महोत्सव पे स्कूल की खाली जगह में 150 चाय के पेड़ लगाए गए।
डी चट्टोपाध्याय
प्राचार्य, केन्द्रीय विद्यालय, बंगाल।
"सबसे बढ़िया!" "काम करो" मुहीम से कई संस्थाएं, शालाएं और कॉलेज प्रभावित हुए और उन्होंने अपना सहयोग दिया।
राजन कुमार साहू , ओडिशा।