एनजीटी समिति की पक्षपाती रिपोर्ट पर आधिकारिक बयान
अप्रैल १३, २०१७ - बैंगलोर : यह रिपोर्ट पूरी तरह से त्रुटिपूर्ण, अवैज्ञानिक और पक्षपाती है। हमने पहले से ही एन.जी.टी के समक्ष महत्वपूर्ण सामग्री दाखिल करी है जो कि स्पष्ट रूप से दिखाती है कि समिति पक्षपाती है। इस संबंध में हमारे आवेदन की अभी तक सुनवाई नहीं हुई है। हम इस समिति पर विश्वास नहीं कर सकते हैं क्योंकि अपने स्पष्ट पक्षपाती आचरण से उन्होंने स्वयं को अयोग्य ठहराया है। बेतरतीब ढंग से पहले उन्होंने 120 करोड़ रुपये के नुकसान की बात करी जिसे वे अब 13 करोड़ रुपये तक ले आये हैं। स्थायी क्षति से अब वे 10 साल के नुकसान की बात कह रहे हैं। वेटलैंड के नुकसान से अब वे फ्लडप्लेन के नुकसान की बात कह रहे हैं। उनके असंगत कथन ही उनके झूठ का पर्दाफाश करते हैं।
विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष, श्री शशि शेखर, जिन्होंने एनजीटी के आगे सबसे पहले कहा था कि 120 करोड़ रुपए के क्षति की बात अवैज्ञानिक हैं, ने इस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। श्री बृज गोपाल ने भी इस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं। क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि वे भी सहमत हैं कि समिति अवैज्ञानिक और पक्षपातपूर्ण है? समिति अपने अध्यक्ष की सहमति के बिना एक रिपोर्ट कैसे दाखिल कर सकती है? और क्यों पक्षपाती रिपोर्ट अनिवार्य प्रोटोकॉल के इस उल्लंघन की व्याख्या नहीं कर रही है? रिपोर्ट में कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और स्पष्ट रूप से पक्षपातपूर्ण है। उनके दावे का औचित्य सिद्ध करने के लिए कोई सबूत नहीं है। हम सच्चाई के लिए लड़ेंगे और विजयी होंगे।