बेंगलुरु, अक्टूबर १७: भारतीय आध्यात्मिक प्रणेता गुरुदेव श्री श्री रवि शंकरजी , जिनके विश्व शान्ति के पैगाम संघर्षशील राष्ट्रों के लिए इनायत बरसा रहे हैं; पेरिस में फ़्रांसीसी संसद के सदस्यों को संबोधित करेंगे। ज्ञातव्य है कि पेरिस गत वर्ष कायरता एवं बर्बरतापूर्ण आतंकी हमलों का शिकार रहा।
भारत-फ्रांस संसदीय समूह के अध्यक्ष श्री पॉल गियाकोबी एवं भारत-फ्रांस सीनेटर समूह के अध्यक्ष श्री फ्रांस्वा मार्क के आग्रह पर गुरुदेव फ्रांस के राष्ट्रीय सभा एवं सीनेट के सदस्यगणों को क्रमशः १८ एवं १९ अक्टूबर को संबोधित करेंगे। यह अभिभाषण विवाद-निराकरण, अंतर-इकबालिया तथा अंतर-सांस्कृतिक संवादों जैसे मुद्दों पर केन्द्रित रहेगा। सत्रों के पश्चात गुरुदेव फ्रांसीसी सांसदों के प्रश्नों का उत्तर देंगे। यह पहली बार है कि फ़्रांसीसी संसद के दोनों सदनों को कोई भारतीय संबोधित करेंगे।
आर्थिक सहयोग तथा विकास संगठन (ओ.ई.सी.डी.), जो कि विश्व की सबसे शक्तिशाली राजनितिक एवं आर्थिक मंचों में से एक है, उसके विशेषज्ञों और देश-प्रतिनिधियों के लिए गुरुदेव “एक वैश्वीकृत और सतत अर्थव्यवस्था के लिए आचार नीति”, विषय पर आधार व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे।
१८ अक्टूबर का संसदीय संबोधन
गुरुदेव का १८ अक्टूबर का संसदीय संबोधन पेरिस के लिए ख़ास महत्व रखती है क्योंकि यह दूसरे पश्चिमी राष्ट्रों की तरह इस्लामिक स्टेट के आतंकी हमलों को रोकने की पुरजोर कोशिश में लगी हुई है। गत वर्ष आई.एस. आतंकियों ने गत नवम्बर फ्रासिसी राजधानी में बर्बरतापूर्ण हमले कर १३० लोगों की हत्या की थी तथा हज़ारों को घायल किया था।
इस साल मई में ब्रिटिश प्रधान मंत्री डेविड कैमरून ने गुरुदेव को लन्दन के हाउस ऑफ़ कॉमन्स को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया था। इसके पहले गुरुदेव यूरोप एवं अफ्रीका के सांसदों को भी संबोधित कर चुके हैं।
सर्जेई मिश्नोड, कार्यपालक निदेशक, आर्ट ऑफ़ लिविंग फ्रांस का मानना है “ज़मीनी स्तर पर गुरुदेव द्वारा किये गए कार्य फ्रांस की तात्कालिक समस्याओं जैसे सामाजिक एकीकरण के लिए ठोस समाधान प्रदान करता है। सिर्फ यह तथ्य कि संसद के दोनों सदन श्री श्री का फ्रांस की वर्तमान समस्याओं पर व्यक्तव्य को सुनने के लिए उत्सुक हैं, एक मजबूत संकेत देता है कि सांसदगण शांति और सद्भाव की दिशा में समाधान दूंढ रहे हैं। एक राजनीतिक जनादेश के बिना किसी आध्यात्मिक नेता की अगवाई करना भारत की सॉफ्ट पावर की क्षमता को दर्शाता है। ”
आर्ट ऑफ़ लिविंग फ्रांस
आर्ट ऑफ़ लिविंग फ्रांस में कई दशकों से सक्रिय है। इसके युवा नेतृत्व कार्यक्रम ने पेरिस के उपनगरों के भटके युवाओं को उनकी जिंदगी एवं आजीविका फिर से संवारने में नितांत सहायक रही है। आर्ट ऑफ़ लिविंग द्वारा कराये गए योग एवं ध्यान के कार्यक्रमों की बदौलत फ्रांस के बंदीगृहों के दिग्भ्रमित युवाओं में भी एक सकारात्मक ऊर्जा का आविर्भाव हुआ है जिसे प्रशासन से काफी सराहा है।
पेरिस के पश्चात गुरुदेव को पोलैंड, स्वीडेन एवं नॉर्वे में सार्वजनिक कार्यक्रमों में संबोधन करना है। २३ अक्टूबर को गुरुदेव को नार्वे के संसद के शांति सम्मलेन, जिसकी मेजबानी संसद सदस्य श्रीमती सिल्व ग्रैहम कर रही हैं, में आधार व्याख्यान प्रस्तुत करना है।
- आर्ट ऑफ लिविंग ब्यूरो ऑफ़ कम्युनिकेशन
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एफएआरसी (FARC) और कोलम्बियन सरकार के मध्य 26 सितम्बर को कार्टेजीना-डी-इंडीस में ऐतिहासिक 52 वर्षीय विवाद शांति समझौते के हस्ताक्षर के साथ औपचारिक रूप से समाप्त हो गया। इस कार्यक्रम के लिए कोलम्बिया के राष्ट्र्पति द्वारा गुरूदेव श्री श्री रविशंकर जी को आमंत्रित किया गया था।
आर्ट आॅफ लिविंग के प्रणेता और आध्यात्मिक संत श्री श्री रविशंकरजी द्वारा समाज के विभिन्न वर्गों को साथ लाने का अकल्पनीय कार्य किया है। इन वर्गो में पूर्व अलगाववादी, आतंक के शिकार लोग, युवा, महिलाएॅं, उद्यमी, काष्मीर के गैर सरकारी संगठन, सुफी लीडर, सेवानिवृत्त कर्मचारी, सिख समुदाय के लोग सभी ने मिलकर काश्मीर में ‘स्वर्ग की वापसी’ सम्मेलन में अपनी भागीदारी दी और चर्चा में भाग लिया।
कार्यकम के कुछ अंश:
- जीवन की रोज़ाना चुनौतियों का सामना करने का व्यवहारिक ज्ञान।
- इंटरैक्टिव अभ्यास
- योगासन और विश्रामदायक शारीरिक व्यायाम।
- ध्यान और प्रभावशाली श्वास प्रक्रियाएं।
- सुदर्शन क्रिया
सुदर्शन क्रिया एक सहज लयबद्ध शक्तिशाली तकनीक है जो विशिष्ट प्राकृतिक श्वांस की लयों के प्रयोग से शरीर, मन और भावनाओं को एक ताल में लाती है। यह तकनीक तनाव, थकान और नकारात्मक भाव जैसे क्रोध, निराशा, अवसाद से मुक्त कर शांत व एकाग्र मन, ऊर्जित शरीर, और एक गहरे विश्राम में लाती है।
‘श्री श्री योग’ योग में उपस्थित आन्तरिक विविधता का एक सरल और खुशहाल उत्सव है। यहां योग की विभिन्न मौलिक आवश्यकताएं, जैसे कि श्वास की विधियाँ, योगासन, ध्यान, विश्राम एवं योगिक ज्ञान इत्यादि का समन्वय किया जाता है । योग के इन सभी सुन्दर रूपों को अपनाकर हम सभी शारीरिक स्तर के पार भी देख पाते हैं और अपने अस्तित्व के सूक्ष्म स्तर के प्रति और सचेत एवं संवेदनशील बन जाते हैं।
‘सहज’ एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है ‘प्राकृतिक’ या ‘ जो बिना किसी प्रयास के किया जाए’| ‘समाधि’ – एक गहरी, आनंदमयी और ध्यानस्थ अवस्था है| अतः ‘सहज समाधि’ वह सरल प्रक्रिया है जिसके माध्यम से हम आसानी से ध्यान कर सकते हैं|
ध्यान करने से सक्रिय मन शांत होता है, और स्वयं में स्थिरता आती है|जब मन स्थिर होता है, तब उसके सभी तनाव छूट जाते हैं, जिससे हम स्वस्थ और केन्द्रित महसूस करते हैं|