गुरुदेव श्री श्री रवि शंकरजी के जल्लीकट्टू निर्बन्ध पर विचार । Sri Sri Ravi Shankar on Jallikattu ban

sri sri ravishankar on jallikattu

खेल और परंपरा

भारत विभिन्न सांस्कृतिक परम्पराओं एवं खेलों का देश है। यहाँ हर क्षेत्र का अपना अनूठा खेल है और कुछ क्षेत्रों में पशु भी इनका हिस्सा हैं, जैसे कि घोड़ों और कुत्तों को कई खेलों का हिस्सा बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। घोड़ों को घुड़दौड़ और कुत्तों को भी अन्य खेलों में उपयोग किया गया है। बैल और गाएं भी इस प्रकार के खेलों का हिस्सा हैं।

जलीकट्टू (jallikattu) और बैलगाड़ी दौड़ तमिलनाडु के प्रमुख एवं प्राचीन पारंपरिक खेल हैं जिनके बहुत स्पष्ट नियम हैं, जैसे कि जानवरों को कोई हानि नहीं पहुंचेगी। मदिरा सेवन के पश्चात इसे नहीं खेला  जाता। यह रोज़ाना खेलने वाला खेल नहीं है। इसका आयोजन केवल मुख्य त्यौहारों पर ही होता है।

इन खेलों पर प्रतिबन्ध लगाने से लोगों को यही महसूस होगा कि उनकी परंपरा को सम्मान नहीं दिया जा रहा है एवं अधिकारों का उलंघन किया जा रहा है। जैसे जापान में सूमो कुश्ती की मान्यता है, तमिलनाडु में जलीकट्टू की है। उदाहरण के तौर पर सूमो कुश्ती पर प्रतिबन्ध नहीं लगा सकते हैं, या रोडीओ (Rodeo) पर, जो जल्लीकट्टू की तरह स्पेन,मेक्सिको,अमेरिका,कैनाडा और दक्षिण अमेरिका में प्रचलित है। जलीकट्टू को बंद करना हल नहीं है, ऐसे तो आगे आप मैसूर दसरा रद्द करने की मांग रख सकते है जहाँ कई हाथी इस उत्सव का हिस्सा हैं। या फिर त्रिशुरपुरम में, जहाँ सैंकड़ों हाथी इस महोत्सव के लिए लाये जाते हैं। या अश्वारोही सेना रेजिमेंट, जहाँ  घोड़ों को प्रशिक्षित किया जाता है।

खेलों का प्रतिबन्ध हल नहीं है

खेलों का प्रतिबन्ध हल नहीं है। मुझे लगता है यह इस खेल के प्रति लोगों में जागरूकता की कमी है। देखा जाए तो जलीकट्टू एक ख़ास किस्म के बैलों को सुरक्षित रखने में सहायक है, नहीं तो यह खेल बहुत पहले ही लुप्त हो चूका होता। जो व्यक्ति इन खेलों से जुड़े हैं, वे बैलों को न केवल अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं परंतु उन्हें अत्यंत प्रेम और आदर से पालते हैं। जलीकट्टू के समर्थन में कुछ लोगों नें मेरे सामने अपने विचार प्रकट किये। मैंने गहराई से इसपर ध्यान डाला। मुझे लगा की इस खेल को बंद करना तमिलनाडु के लोगों और परंपरा के साथ बहुत बड़ा अन्याय और नाइंसाफ़ी होगी। यह समझ से बाहर है कि जहाँ रोडियो को (Rodeo - स्पेनिश लोगों का एक खेल) दुनिया से कानूनी तौर पर मान्यता मिल सकती है और जिसमे घोड़े और बैल एक मुख्य हिस्सा हैं तो जलीकट्टू को क्यों नहीं? जलीकट्टू पर प्रतिबन्ध लगाना कैसे उचित है ? यह तमिलनाडु की एक प्राचीन परंपरा है जिसका अनादर किया जा रहा है। जापान में जो महत्व सूमो कुश्ती का, है वही जलीकट्टू का तमिलनाडु में है। मेरा मानना है की बंद ही करना है तो पशुओं के वध-घरों (बूचड़खानों ) को बंद किया जाये ।

सभी पशु प्रेमियों को एकजुट होकर पुरे देश के बूचड़खानों का प्रतिबन्ध करना चाहिए।  मुझे लगता है कि यही इस समय की मांग है।

भारत-फ्रांस संसदीय समूह के अध्यक्ष श्री पॉल गियाकोबी एवं भारत-फ्रांस सीनेटर समूह के अध्यक्ष श्री फ्रांस्वा मार्क के आग्रह पर गुरुदेव फ्रांस के राष्ट्रीय सभा एवं सीनेट के सदस्यगणों को क्रमशः १८ एवं १९ अक्टूबर को संबोधित किया|

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श्री श्री रविशंकर जी का नोट बदलने पर बयान (Demonetization of 500 and 1000 currency)

बहुत अच्छा फैसला लिया है। इससे नकली नोट बहुत जलाए जा रहे है। जिनके पास नकली नोट थे या बहुत ज्यादा कालाधन हैं वो डर के मारे उसे कुछ जगाओं पर बैग में डालकर जला रहे है क्योंकि २००% उन्हें देना पड़ेगा। २०१४ का पूराचुनाव (इलेक्शन) भ्रष्टाचार के खिलाफ था और जिस वायदे को लेकर हमारे प्रिय प्रधानमंत्री आगे आए और उसको उन्होंने पूरा कर दिया। ये सब अचानक नहीं किया|

 
 

कार्यकम के कुछ अंश:

  1. जीवन की रोज़ाना चुनौतियों का सामना करने का व्यवहारिक ज्ञान।
  2. इंटरैक्टिव अभ्यास
  3. योगासन और विश्रामदायक शारीरिक व्यायाम।
  4. ध्यान और प्रभावशाली श्वास प्रक्रियाएं।
  5. सुदर्शन क्रिया

सुदर्शन क्रिया एक सहज लयबद्ध शक्तिशाली तकनीक है जो विशिष्ट प्राकृतिक श्वांस की लयों के प्रयोग से शरीर, मन और भावनाओं को एक ताल में लाती है। यह तकनीक तनाव, थकान और नकारात्मक भाव जैसे क्रोध, निराशा, अवसाद से मुक्त कर शांत व एकाग्र मन, ऊर्जित शरीर, और एक गहरे विश्राम में लाती है।

‘श्री श्री योग’ योग में उपस्थित आन्तरिक विविधता का एक सरल और खुशहाल उत्सव है। यहां योग की विभिन्न मौलिक आवश्यकताएं, जैसे कि श्वास की विधियाँ, योगासन, ध्यान, विश्राम एवं योगिक ज्ञान इत्यादि का समन्वय किया जाता है । योग के इन सभी सुन्दर रूपों को अपनाकर हम सभी शारीरिक स्तर के पार भी देख पाते हैं और अपने अस्तित्व के सूक्ष्म स्तर के प्रति और सचेत एवं संवेदनशील बन जाते हैं।

‘सहज’ एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है ‘प्राकृतिक’ या ‘ जो बिना किसी प्रयास के किया जाए’| ‘समाधि’ – एक गहरी, आनंदमयी और ध्यानस्थ अवस्था है| अतः ‘सहज समाधि’ वह सरल प्रक्रिया है जिसके माध्यम से हम आसानी से ध्यान कर सकते हैं|

ध्यान करने से सक्रिय मन शांत होता है, और स्वयं में स्थिरता आती है|जब मन स्थिर होता है, तब उसके सभी तनाव छूट जाते हैं, जिससे हम स्वस्थ और केन्द्रित महसूस करते हैं|