दादा साहब कटार नामक किसान के जीवन में आमूल परिवर्तन आ गया है। दादा साहब फलतन - सतारा हाईवे स्थित कापसी गाँव का निवासी हैं। जल के टैंकर के लिए दीर्घ प्रतीक्षा के दिन अब समाप्त हो गए हैं। अब उसे फलतन से आने वाले टैंकर की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती। यह टैंकर प्रत्येक दूसरे दिन उसके परिवार, गायों एवं खेतों के लिए 12000 लीटर जल की आपूर्ति करते थे। अब उसके गाँव में उसे आर्ट आफ लिविंग के स्वयंसेवकों द्वारा निर्मित अनेक चेक डैम में से एक से जल प्राप्त हो जाता है।
कापसी, महाराष्ट्र के बारह सौ गांवों में से एक गाँव है जो कि आर्ट ऑफ लिविंग के स्वयंसेवकों के अहर्निश एवं अथक प्रयासों के कारण अनेक मोर्चों पर रूपांतरित हो रहा है। इस गाँव की आबादी 1700 लोगों की है। इसके आसपास के गांवों को मिलाकर कहीं कोई औद्योगिक गतिविधियां नहीं होती। सन 2000 से 2003 के मध्य में सूखे की स्थिति के कारण यह गाँव 20 वर्ष बिछड़ गया।
इन सब कै साथ साथ पोल एवं उनकी टीम ने ग्राम वासियों के आत्मविश्वास को सशक्त करने के लिए कार्य किया। ग्राम वासियों के लिए विशेष रूप से नियोजित 5 दिनों का तनाव उन्मूलन कार्यशाला - नव चेतना शिविर - का आयोजन किया गया। इस कार्य शाला के कारण ग्राम वासियों को नशा से मुक्ति म पाने में सहायता मिली। "आज आबादी का 90% शराब की लत से मुक्त हो गया है।" खतर ने बताया।
एक बार गाँव वासियों का खोया हुआ आत्मविश्वास प्राप्त होने पर वे अपने गाँव का पुनर्निर्माण के लिए तत्पर हो गए। राज्य सरकार एवं आर्ट आफ लिविंग के स्वयं सेवकों के सहयोग से गाँव वासियों ने निरंतर समोच्च खाई ( CCT) सिंचाई पद्धति का निर्माण किया जो कि एक तकनीक है जिसके द्वारा और जल का संरक्षण होता है एवं कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है।
कापसी के लोगों का सशक्तिकरण
इन सब कै साथ साथ पोल एवं उनकी टीम ने ग्राम वासियों के आत्मविश्वास को सशक्त करने के लिए कार्य किया। ग्राम वासियों के लिए विशेष रूप से नियोजित 5 दिनों का तनाव उन्मूलन कार्यशाला - नव चेतना शिविर - का आयोजन किया गया। इस कार्य शाला के कारण ग्राम वासियों को नशा से मुक्ति म पाने में सहायता मिली। "आज आबादी का 90% शराब की लत से मुक्त हो गया है।" खतर ने बताया।
एक बार गाँव वासियों का खोया हुआ आत्मविश्वास प्राप्त होने पर वे अपने गाँव का पुनर्निर्माण के लिए तत्पर हो गए। राज्य सरकार एवं आर्ट आफ लिविंग के स्वयं सेवकों के सहयोग से गाँव वासियों ने निरंतर समोच्च खाई ( CCT) सिंचाई पद्धति का निर्माण किया जो कि एक तकनीक है जिसके द्वारा और जल का संरक्षण होता है एवं कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है।
कृषि उपज को दुगुना करना
सूखे के कारण कापसी की एकमात्र आर्थिक जीवन आधार- कृषि को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया था। सीसीटी एवं चेक डैम के निर्माण जैसे कार्यो के कारण कृषि उत्पादन के वृद्धि में सहायता मिली है। फिर भी आगे और सुधार करने की गुंजाइश है।
आर्ट ऑफ लिविंग के स्वयंसेवकों ने प्राकृतिक खेती पर सेमिनार किए जिसके कारण प्राकृतिक साधनों से बिना किसी नये निवेश के 4500 कृषकों को ऊपज बेहतर करने में सहायता मिली। इन सेमिनारों के फल स्वरुप 30% किसानों ने प्राकृतिक खेती विधि को अपनाया और गाँव में उस वर्ष खेती की उपज प्रायः दुगनी हो गई।
"हम लोग अधिक से अधिक गाँव में पहुंचना चाहते हैं। अभी तक 31500 गाँव में पहुंचे हैं" - आर्ट ऑफ लिविंग के प्रवक्ता रमेश रमन ने बताया।
कापसी के सरपंच दीपक कदम भी संस्था के द्वारा संपन्न किए गए परियोजना के माध्यम से प्राप्त हुए दीर्घकालीन राहत के प्रति कृतज्ञ हैं। "सूखे के समय अगर हम सरकार से संपर्क करते तो वे लोग रोजगार देने के लिए सड़क का निर्माण कर देते जो कि हमारी समस्या का समाधान नहीं है। इन परियोजनाओं ने हमारी आवश्यकता की पूर्ति की है।"
तालुका स्तर पर कापसी को एक पुरस्कार प्राप्त हो चुका है एवं अब आगंतुकों के झुंड को आकर्षित कर रहा है।
आप कैसे योगदान कर सकते हैं।
हालांकि कापसी अब एक आदर्श गाँव या निर्मल गाँव में परिणित हो गया है, अनेक दूसरे गाँव इस परिवर्तन का इंतजार कर रहे हैं। आपके पसंद के गाँव में इस तरह के परिवर्तन लाने के लिए आप हमारे साथ भागीदारी कर सकते हैं।