कश्मीर विभिन्न संस्कृतियों, शांति, और सैद्धांतिक विविधताओं की धरती है। पिछले दो दशकों के मतभेदों के ठीक न होने के कारणवर्ष इस राज्य में अशांति का माहौल अभी भी बना हुआ है। कश्मीर में आतंकवाद व उग्रता एक बड़े स्तर पर बढ़ गई है। आतंकवाद के कारण इस राज्य के सामाजिक व सांस्कृतिक सदाचार पर भी गहरा असर पड़ा है और यह प्रदेश आर्थिक व सामाजिक स्तर पर आगे नही बढ़ पा रहा।
इस मतभेद को सुलझाने के लिए, आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्था पिछले दो दशकों से लगातार कश्मीर घाटी में काम कर रहा है। आज के समय में कश्मीर वासियों में उत्साह, उम्मीद और जागरूकता बढ़ाने की भी आवयशकता है।
आतंकवाद को कश्मीर घाटी में खत्म करने के लिए, आर्ट ऑफ़ लिविंग "बैक टू पैराडाइस" नामक सम्मेलन भी आयोजित कर रहा है।
तिथि: २३-११-२०१६
मुख्य प्रवक्ता: श्री श्री रवि शंकर, फाउंडर, आर्ट ऑफ़ लिविंग
वेन्यू: अभिनव थिएटर, कैनाल रोड, जम्मू
सम्मेलन के कुछ मुख्य उद्देश्य:
- अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने पर चर्चा, स्किल डेवलपमेंट, घाटी में आजीविका व कला को प्रोत्साहन देने के लिए कुछ उपाय।
- कश्मीर घाटी में शांति व समृद्धि बढ़ाने के लिए सुझवों का सामंजस्य।
विषय-क्षेत्र-संबंधी पेपर भी इस सम्मलेन के दौरान प्रस्तुत किए जाएंगे और उन पर तत्पश्चात वार्तालाप भी होंगे। निमंलिखित कुछ विषयों की सम्मलेन में चर्चा की जाएगी।
- कश्मीरी संस्कृति-भिन्न विचारधाराओं की विशेषताएँ व मध्य एशिया का उन पर असर
- कश्मीरी मतभेद- अधिकार व प्रतिक्रिया
- कश्मीर- शांति बनाने के लिए एक वार्तालाप
- कश्मीर- एक भाग उन्नति के लिए
जम्मू-कश्मीर के विभिन्न साझेदारों के लिए यह एक माध्यम बनेगा। इस सम्मलेन में निमंलिखित साझेदार हिस्सा लेंगे:
- गुज्जर बकरवल्स
- कॉलेज के अध्यापक
- ट्रेड यूनियंस
- पूर्व आतंकवादी
- पत्थर-बाज़ी करने वाले
- सूफी-संत
- सिख, बुद्ध व अन्य समुदायको के प्रतिनिधि
- आर्मी के कुछ सहायक समुदाय
- लेखक व कवि
- युवा नेता
- मीडिया के लोग
- महिलाएँ
- चुने हुए कश्मीरी पंडितों के नेता
- कश्मीर के सरकारी ख़ज़ाने के प्रतिनिधि
- कश्मीर एसोसिएशन के यत्राभिकर्ता
- जम्मू-कश्मीर होटेलियर्स क्लब के प्रतिनिधि
इस सम्मलेन में भाग लेने के लिए निमंत्रण पत्र का होना आव्यशक है। अधिक जानकारी के लिए यहाँ लिखें: sanjay.kumar@artofliving.org.