श्री श्री रवि शंकर जी का तमिल नाडु में शांति बनाये रखने का अनुरोध | Sri Sri appeals for peace in Tamil Nadu

भारत (India)
23rd जनवरी 2017

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी का तमिल नाडु के लोगों के लिए सन्देश :

6 दिन का शांतिपूर्ण जल्लीकट्टू आंदोलन तमिल नाडु के लोगों की विजय है। दुःख की बात है कि उत्सव की बजाय इसने हिंसात्मक मोड़ लिया। हम तमिल नाडु के लोगों से अपील करते हैं कि वे शांत रहें और असामाजिक तत्त्वों को इस शांतिपूर्ण आंदोलन को हिंसात्मक न बनाने दें।

सरकार से दर्ख़्वास्त हे कि आंदोलन में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा रखें एवं उनके प्रति संवेदनशील हों। युवकों से अनुरोध है कि वे अपने पढ़ाई जारी रखें। आज जो भी घटित हुआ केवल असामाजिक तत्वों का काम है जो अपने निहित उद्देश्यों के लिए जनता में क्रोध उत्पन्न कर रहें हैं।

लोगों को आगे बढ़ना  चाहिए। उन्हें सबसे शांतिपूर्ण आंदोलन की जीत का जश्न मनाना चाहिए और इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि इस खेल को किस प्रकार सुरक्षित रूप से खेला जाये। 

 

भारत-फ्रांस संसदीय समूह के अध्यक्ष श्री पॉल गियाकोबी एवं भारत-फ्रांस सीनेटर समूह के अध्यक्ष श्री फ्रांस्वा मार्क के आग्रह पर गुरुदेव फ्रांस के राष्ट्रीय सभा एवं सीनेट के सदस्यगणों को क्रमशः १८ एवं १९ अक्टूबर को संबोधित किया|

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श्री श्री रविशंकर जी का नोट बदलने पर बयान (Demonetization of 500 and 1000 currency)

बहुत अच्छा फैसला लिया है। इससे नकली नोट बहुत जलाए जा रहे है। जिनके पास नकली नोट थे या बहुत ज्यादा कालाधन हैं वो डर के मारे उसे कुछ जगाओं पर बैग में डालकर जला रहे है क्योंकि २००% उन्हें देना पड़ेगा। २०१४ का पूराचुनाव (इलेक्शन) भ्रष्टाचार के खिलाफ था और जिस वायदे को लेकर हमारे प्रिय प्रधानमंत्री आगे आए और उसको उन्होंने पूरा कर दिया। ये सब अचानक नहीं किया|

 
 

कार्यकम के कुछ अंश:

  1. जीवन की रोज़ाना चुनौतियों का सामना करने का व्यवहारिक ज्ञान।
  2. इंटरैक्टिव अभ्यास
  3. योगासन और विश्रामदायक शारीरिक व्यायाम।
  4. ध्यान और प्रभावशाली श्वास प्रक्रियाएं।
  5. सुदर्शन क्रिया

सुदर्शन क्रिया एक सहज लयबद्ध शक्तिशाली तकनीक है जो विशिष्ट प्राकृतिक श्वांस की लयों के प्रयोग से शरीर, मन और भावनाओं को एक ताल में लाती है। यह तकनीक तनाव, थकान और नकारात्मक भाव जैसे क्रोध, निराशा, अवसाद से मुक्त कर शांत व एकाग्र मन, ऊर्जित शरीर, और एक गहरे विश्राम में लाती है।

‘श्री श्री योग’ योग में उपस्थित आन्तरिक विविधता का एक सरल और खुशहाल उत्सव है। यहां योग की विभिन्न मौलिक आवश्यकताएं, जैसे कि श्वास की विधियाँ, योगासन, ध्यान, विश्राम एवं योगिक ज्ञान इत्यादि का समन्वय किया जाता है । योग के इन सभी सुन्दर रूपों को अपनाकर हम सभी शारीरिक स्तर के पार भी देख पाते हैं और अपने अस्तित्व के सूक्ष्म स्तर के प्रति और सचेत एवं संवेदनशील बन जाते हैं।

‘सहज’ एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है ‘प्राकृतिक’ या ‘ जो बिना किसी प्रयास के किया जाए’| ‘समाधि’ – एक गहरी, आनंदमयी और ध्यानस्थ अवस्था है| अतः ‘सहज समाधि’ वह सरल प्रक्रिया है जिसके माध्यम से हम आसानी से ध्यान कर सकते हैं|

ध्यान करने से सक्रिय मन शांत होता है, और स्वयं में स्थिरता आती है|जब मन स्थिर होता है, तब उसके सभी तनाव छूट जाते हैं, जिससे हम स्वस्थ और केन्द्रित महसूस करते हैं|