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इतने सारे लोगों में से हमें कैसे पहचानते हैं गुरुदेव
प्रश्न : जब हम आपका फ़ोटो देखते है तब हमें लगता है कि आप हमको पहचानते हैं। पर जब आपसे प्रत्यक्ष में मिलते है तो लगता है कि आप हमें जानते ही नहीं। इतने सारे लोगों में से आप हमें कैसे पहचानते है गुरुदेव: देखो इतने सारे बाल होते हैं सिर पे, किसी ने गिना है? न ... -
क्या अनजाने में भी जीव हत्या का पाप लगता है
प्रश्न: गुरुजी, मैंने सुना है कि अगर चींटियों को, मकोड़ों को या जीव जंतु को मारा तो पाप होता है। पर जब मैं गाड़ी चलाता हूँ तो गाड़ी में अनेक चीड़ी मकोड़े और जीव जंतु मर जाते हैं ।तो क्या इसका पाप मुझे लगेगा? पाप भाव में लगता है कृत्य में नहीं गुरुदेव: ... -
मन भागता रहता है, इसे नियंत्रित कैसे करें?
प्रश्न: गुरुजी, मन सदैव भागता रहता है, इच्छा राक्षस की तरह मुँह बड़ा किए रहती है। स्वयं यदि नियंत्रण भी करूँ तो परिवार, समाज उकसाता है। ऐसी स्थिति पर कैसे नियंत्रण करें? न इच्छा कोई राक्षस है, न कोई मन घोड़ा गुरुदेव: न इच्छा कोई राक्षस है, न कोई मन घोड ... -
हम जिस चेतना के अंश हैं उसे हमेशा कैसे अनुभव करें?
प्रश्न: गुरुजी, हम उस चेतना का अंग हैं, पर उसको हर वक्त कैसे महसूस कर सकते हैं? गुरुदेव: महसूस करना है न, यह सोच से ही गड़बड़ हो जाता है। मैं, मुझे महसूस करना है, तुम्हें कुछ नहीं करना, चुप बैठो, महसूस करोगे। प्रयत्न से आपत्ति आ जाती है, मन की जो आय ... -
सत्संग क्यों आवश्यक है?
हमारा जीवन कैसा है? पानी जैसा। जिसमें डालोगे वैसा हो जाता है। सत्संग में डालते हो, तो सत्संग में, उस ऊर्जा में, तुम वैसे हो जाते हो। जिस संगत में होते हो, वैसे तुम्हारी जीवन धारा बहने लगती है। जहाँ पर भी मन डालते हैं, वो उस रूप को ले लेता है। इसलिए भी सत ...