"मनुष्य जन्म मिलना भाग्य की बात है, मनुष्य जन्म में ज्ञान मिलना उससे भी बड़ा भाग्य है परन्तु आध्यात्मिक पथ मिलना सबसे बड़ा सौभाग्य है |"
-गुरुदेव श्री श्री रविशंकर, गुरुपूर्णिमा २०१९ की संध्या पर |
आप सभी ने प्रचुरता में आशीर्वाद प्राप्त किया है, तो समृद्ध अनुभव करें | सबसे पहले तो मनुष्यरूप में जन्म लेना भाग्य की बात है | धरती पर मौजूद असंख्य प्राणियों में मनुष्य जन्म मिलना अपने आप में एक आशीर्वाद है | और मनुष्य रूप में जन्म लेकर ज्ञान में रहना उससे भी बड़ा आशीर्वाद है | कल्पना कीजिये कि आप एक मनुष्य हैं और आपको किसी भी प्रकार का कोई ज्ञान नहीं है | तब जीवन कैसा होता ? ज्ञान एक बड़ा आशीर्वाद है | और ज्ञान के साथ एक आध्यात्मिक पथ पर होना सबसे महान आशीर्वाद है | आज का दिन यह याद करने का दिन है कि हम कितने भाग्यशाली हैं और प्रसन्न अनुभव करें | ऐसा जान लें कि कृपा की कोई कमी नहीं है, जीवन में चमत्कार की कोई कमी नहीं है ; किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं है | ऐसा जानकार आगे बढ़ें | वही गुरु पूर्णिमा है|
ज्ञान दो प्रकार का है -
1. शिक्षा- यानी पढ़ाई-लिखाई |
2. दूसरा है- दीक्षा | दीक्षा अर्थात उपक्रम | उपक्रम अर्थात अनंत के द्वार खोल देना ! वही दीक्षा है |
शिक्षा मतलब जानकारी | एक शिक्षागुरु हैं - वे गुरु आपको ज्ञान देते हैं | दूसरे गुरु वे हैं, जो तरंगों के माध्यम से आपके द्वार दूसरी दुनिया के लिए खोल देते हैं | वे दीक्षागुरु होते हैं | आपके पास शिक्षा और दीक्षा दोनों है | यहाँ बहुत से विद्वान और बुद्धिजीवी हैं लेकिन वे दीक्षित नहीं हैं, लेकिन उन्हें अनंत के लिए; तरंगों की एक दूसरी दुनिया के लिए आरम्भ नहीं किया गया है |
और मंत्र आपको चेतना के उस स्तर पर ले जाते हैं जिसे अतर्क्य कहते हैं | कुछ भी जो तर्क के परे है आप उसे चमत्कार कहते हैं | इस प्रकार जीवन को सुन्दरता के, अजूबों के संसार में आरम्भ करते हैं |