ज्ञान के लेख (Wisdom)

पहला कदम उठाओ 

आदत  अक्सर यह पाया जाता है हम अपनी आदतों से बहुत परेशान रहते हैं। दो तरह की आदतें होती हैं। कुछ आदतें है जैसे दंत मंजन करना, स्नान करना… यह सब आदतें अच्छी हैं पर कुछ आदतें ऐसी हैं जो हमको पीड़ा देती हैं। आदतें हमको वायदा करती हैं तो सुख देने कि मगर देती हैं दुःख!

आदतों से छुटकारा कैसे पायें?

 इससे छुटकारा कैसे पाएंगे? हम कई बार प्रयत्न करते हैं। नाकामयाब होने पर फिर हम उसको सही सिद्ध करने में लग जाते हैं। मान लीजिये शराब पीने की आदत पड़ गई, खुद का शरीर भी बरबाद हो रहा है स्वास्थ्य बरबाद हो रहा है। मन की स्थिति बिगड़ रही है। पारिवारिक संबंधों में दरार पड़ रही है। तरह तरह की समस्याएं आ रही हैं। मगर उससे बाहर निकल नहीं पा रहे हैं।

आदतों से छूटने के तीन उपाय

अब कैसे निकलें? मैं कहूँगा इसके लिए तीन उपाय हैं। एक तो अपने प्रियजनों को या परमात्मा को भगवान को गुरु को किसी के सामने प्रतिज्ञा ले लो। उनके लिए छोड़ दो जिनसे आपका प्यार है.. मोहब्बत है। उनके लिए हम अपना सब कुछ छोड़ने के लिए तैयार होते हैं। एक आदत छोड़ने में क्या बड़ी बात है? इसपे आप अमल कर सकते हो तो आप इससे बाहर आ जाओगे।

दूसरी बात है भय! जब कोई डॉक्टर आपको कहता है लीवर(यकृत) पूरी तरह से आपका खराब हो जाएगा। आपको हॉस्पिटल में रहना पड़ेगा कुछ तो डर के मारे भी लोग आदतों को छोड़ देते हैं। उससे बाहर आ जाते हैं। और तीसरा है – लोभ! मान लो कोई कहता है एक महीने तक आप शराब नहीं पीयोगे तो मैं दस लाख रुपये तुम्हें दे दूंगा। तब वो दस लाख की लालच क्या करवाएगा उस आदमी को? हाँ मैं बिल्कुल नहीं पीयूँगा। तीस क्या बत्तीस दिन तक करेंगे! कहीं गिनती में भूल ना हो जाए एक दिन पहले एक दिन आखरी सब रख के नहीं तीस क्या बत्तीस दिन करूंगा। मगर दस दिन चाहिए तो लोभ आपको आदतों से बाहर लाएगा और भय और तीसरा प्रेम या समर्पण! ये तीनों चीजों से आप आदतों से बाहर आ सकते है। 

एक साथ न लें लम्बे समय के लिए प्रतिज्ञा

एक और बात है, कई बार हम जिंदगी भर के लिए प्रतिज्ञा लेते हैं वो होता नहीं है। फिर हमारी प्रतिज्ञाओं को तोड़ते हैं तो  हम और दुःखी हो जाते हैं तो ऐसी परिस्थिति में मैं कहूँगा आप पहला कदम छोटे-छोटे समय के लिए लीजिये।एक महीने के लिए लो वह एक महीने के बाद आपको बहुत राहत मिलेगी। फिर एक महीने का लेना एक-एक कदम नन्हा कदम रखते हुए चलेंगे तो आप निश्चित ही अपने आदतों से बाहर आ जाएँगे।  आप योग, प्राणायाम, ध्यान साथ में करिएगा देखिए आप को पता ही नहीं चलेगा ऐसी मस्ती, ऐसी खुमारी अंदर से चढ़ने लगेगी कि बाहर के सारे नशे फीके पड़ जाएंगे।

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी की ज्ञान वार्ता का अंश 

संकलन एवं संपादन : रत्नम सिंह 

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