आर्ट ऑफ लिविंग (Art of Living) के प्रयासों से अस्तित्व में आए सौर ऊर्जा संचालित स्कूल (solar powered school)
सलगादी जैसे नक्सली प्रभावित गांव (Naxal hit villages) में पहुंची डिजिटल प्रौद्योगिकी की शिक्षा (education via digital technology)
पूर्वी सिंहभूम (झारखंड)। हलुदबानी के एक आदिवासी किसान की बेटी अनजा टुडू कहती हैं कि 2012 तक उन्होंने कभी कम्प्यूटर भी नहीं देखा था। गैजेट चलाने के लिए बिजली (electricity) भी नहीं थी, पर अब वह कम्प्यूटर में माहिर हैं। उन्हें तो अब भी यह एक सपना लगता है।
3300 आदिवासी बच्चों को मिलता निःशुल्क डिजिटल प्रद्यौगिकी शिक्षा (free education via digital technology)
डिजिटल प्रौद्योगिकी (digital technology) भले ही आर्थिक विकास (economic development) और नागरिक सशक्तिकरण (empowerment) का सबसे बड़ा कारक बनकर उभरी है, लेकिन आज भी भारत के कई इलाके इसकी पहुंच से दूर हैं। जिन इलाकों में आज तक बिजली (electicity) भी नहीं पहुंची है, वहां आप डिजिटल क्रांति की कल्पना आखिर कर भी कैसे सकते हैं। लेकिन आप को जानकर हैरानी होगी कि कभी-कभार ही बिजली के ‘दर्शन’ पाने वाले पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला ब्लॉक के आदिवासी बच्चे अब ई-लर्निंग (e-learning) और डिजिटल प्रौद्योगिकी (digital technology) के साथ जुड़ रहे हैं। यह करिश्मा हुआ है आर्ट ऑफ लिविंग (Art of Living) संस्था के प्रयासों से। बृज चावला के नेतृत्व में संस्था के स्वयंसेवक घाटशिला ब्लॉक में सौर ऊर्जा संचालित विद्यालय (solar powered school) चला रहे हैं, जिनमें करीब 3300 अदिवासी गरीब बच्चे मुफ्त शिक्षा (free education for poor students) पा रहे हैं।
साल 2012 में विद्यालयों में ई-लर्निंग (e-learning) शुरू की जानी थी, परंतु कम वोल्टेज और बिजली की नियमित आपूर्ति के अभाव में अत्याधुनिक उपकरण (Sophisticated equipment) चलाना बड़ी समस्या थी। ऐसे में 3 साल तक ‘डिजिटल क्लासरूम’ का मिशन अधर में लटका रहा। इसका समाधान खर्चीला था, खासकर उन स्कूलों में जहां सरकार से कोई सहायता नहीं थी।
लेकिन ‘जहां चाह, वहां राह’ की उक्ति को सिद्ध करते हुए व्यक्ति विकास केंद्र भारत ने धीरे-धीरे सभी विद्यालयों में सीमित संसाधनों के साथ सौर पैनल और अपेक्षित हार्डवेयर प्रदान किया। इस परियोजना के तहत हेन्दुल्जुरी उच्च और प्राथमिक, हलुदबानी, केशरपुर, बाबु लाइन, कल्चिती मध्य एवं प्राथमिक, छात्रदंगा, देवली, छोटा दधिका और चाकडोहा के श्री श्री विद्या मंदिर स्कूल (Sri Sri Vidya Mandir School) शामिल हो चुके हैं। डुमरिया ब्लॉक के सलगादी जैसी नक्सली गांव (naxal hit villages) में भी यह सुविधा प्रदान की गई है। इसके अलावा खूंटी जिले के एक उच्च और एक प्राथमिक विद्यालय (primary school) में भी ई-लर्निंग (e-learning) सुविधा प्रदान की गई।
सौर पैनलों (solar panels) से बिजली मिलने के बाद इंटरनेट ब्रॉडबैंड कनेक्शन (broadband internet connection) की समस्या सामने आई। ऐसे में सतत प्रयासों के बाद जून 2015 में रेल-टेल कंपनी (RailTel Company) की दस्तक ने राहत प्रदान की। अबघाटशिला ब्लॉक के सभी स्कूलों में उचित गति वाला इंटरनेट कनेक्शन है।
गांव के बच्चे बहुत उत्साहित (excited) हैं कि आज वे क्लास में बैठकर दुनिया देख रहे हैं। बच्चों की हाजिरी भी सुधरी है। पढ़ाई सिर्फ किताबों तक ही सीमित नहीं है।
चावला और उनकी टीम अब स्कूलों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (video conferencing) के माध्यम से जोड़ना चाहते हैं, ताकि वह अन्य शिक्षकों और छात्रों के साथ नए संसाधनों को साझा कर सकें।
सेवा टाइम्स की और से संलग्न कर्ता: राजेश कुण्डू
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