स्नाइडर व एसएसआरडीपी (SSDRP) ने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी किया कमाल
जालदा (पश्चिम बंगाल)। पश्चिम बंगाल (West Bengal) का पन्डरी देश का पहला सौर ग्राम (First solar village) बन गया है। पुरुलिया जिले के अयोध्या हिल्स के पास छोटे-छोटे पहाड़ी इलाकों में बसा यह गांव झालदा कस्बे से 18 किलोमीटर दूर है। कहने को तो यह गांव एक दशक पहले ही विद्युत ग्रिड (electricity gird) से जोड़ा जा चुका था, लेकिन बिजली (electricity) सिर्फ शुरुआती 5-6 महीने ही सप्लाई की गई। अब इस गांव को श्री श्री ग्रामीण विकास कार्यक्रम ने सौर ऊर्जा उपलब्ध करवाई है। यह कार्यक्रम आर्ट आॅफ लिविंग का ही एक भाग है।
दरसल यह गांव काफी दुर्गम है। टेढ़ा-मेढ़ा रास्ता और पहाड़ी इलाका होने के चलते गांव से संपर्क बनाना बहुत कठिन है। यहां 3 समूहों में मिट्टी की 80 झोपडि़या हैं। यहां के निवासी मानसून के दौरान आग जलाने के लिए लकडि़यां बीनने जंगल में जाते हैं। खाने के लिए धान उगाते हैं। केवल उन्हीं घरों में लैम्प होता है, जो 40 रुपए लीटर की दर से कैरोसीन खरीद सकते हैं। इतने सालों मे इन लोगों के जीवन में बहुत कम परिवर्तन आया है। टेलीविजन के अभाव में यहां के लोग बाहर की दुनिया की जानकारी पाने में असमर्थ हैं। इनका जीवन सिर्फ झालदा और पुरुलिया तक ही सीमित है। लेकिन अब बिजली की सुविधा मिलने पर इनके जीवन में भी सकारात्मक परिवर्तन की आस जगी है।
52 वर्षीय बीरेन गडवाल कहते हैं कि गांव के लोग काफी उत्साहित हैं कि सौर ऊर्जा की व्यवस्था होने के बाद काफी कुछ नया करने को होगा। 1.2 केवी सिस्टम द्वारा बिजली चालित पानी का पम्प, राइस मिल चलाए जा सकते हैं। पम्प से लोग अपनी बंजर भूमि की सिंचाई कर सकते हैं। राइस मिल में वह धान से चावल बनाकर आस-पास के गांवों में इसे बेचकर कमाई कर सकते हैं। अभी तक मैंने कभी नहीं सोचा कि मैं या मेरे बच्चे स्कूल जाएं। हम तो अपने जीवन निर्वाह के लिए जंगल जाकर लकडि़यां व अन्य चीजें एकत्रित करते हैं। कुछ युवा प्रथमिक स्कूल में पढ़ने जाते हैं और फिर पढ़ाई छोड़ देते हैं। लड़कियां लकडि़यों के लिए जंगल जाने लगती हैं। लड़के काम के सिलसिले में बेंगलुरु या केरल निकल जाते हैं।
बिजली की व्यवस्था होने के बाद अब हमारे बच्चे सूर्यास्त के बाद भी पढ़ पाएंगे। उन्होंने कहा कि एसएसआरडीपी और सहभागी स्नाईडर इलेक्ट्रिक कम्पनी ने यहां जटिल परिस्थितियों में भी काम किया है। यहां का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। ग्रामवासियों का विश्वास जीतने में भी वक्त लगा। ट्रांसपोर्ट वालों के लिए भी यहां आना एक बड़ी चुनौती थी। ट्रक चालक इतने मुस्किल रास्तों में से नही आना जाना चाहते थे। इलेक्ट्रिशियन और मजदूर यहां काम नहीं करना चाहते थे। माओवादी यहां अपना कैम्प अक्सर लगाते हैं। यदि यहां की महिलाओं सहित अन्य गांव वाले आगे बढ़कर मदद के लिए हाथ न बढ़ाते तो यह काम थोड़ा मुश्किल था।
चार लड़के केरल के खदान के काम से वापस आए और यहां काम करने में मदद की। एसएसआरडीपी के सौर परियोजना प्रमुख चैतन्य संगवार से बातचीत की, जो कि सौर परियोजनाओं की गतिविधियां देश के विभिन्न भागों और देश के बाहर भी संचालित करते हैं। एक दशक से सुंदर वन भी इस प्रकरण में है।
अब यहां हर घर में एक बैटरी है, जो दिन में चार्ज की जाती है। इसका प्रयोग सूर्यास्त के बाद रात में किया जाता है। संगवार ने बताया कि अब वहां तीन स्वयं के गु्रप देखरेख करेंगे।
घरेलू बिजली के लिए 5 एचपी पानी के पम्प व 2 एचपी राइस हलर मशीन में हिस्सा लेने के लिए ग्रामवासी सहमत हैं। वह 100 रुपए प्र्रतिमाह देंगे। घरेलू बिजली सिस्टम के लिए गांव के ही 2 युवाओं को देखरेख का काम सौंपा जाएगा। विशेष एसएचजीएस अकाउंट और फंड सम्भालेंगे। एसएसआरडीपी के डायरेक्टर सुब्रा रे ने कहा कि मुझे विश्वास है कि बिजली न केवल हमारा हमारे घरों को रोशन करेगी, बल्कि हमारा जीवन स्तर भी बेहतर होगा।
राजेश कुंडू द्वारा रिपोर्ट
अगले लेख
- सहफसली खेती से सुधर रही मिट्टी की सेहत (Soil Conservation)
- ‘भारत निर्माण’ की पहल से शराब की 5 दुकाने बंद (Bharat Nirman Yojana)
- चिकमंगलूर में ग्रामवासियों हेतु प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजन (Medical camps in Chikmangalore,Karnataka)
- अग्निकांड से पीड़ित गांव में किया राहत कार्य (Rehab camp in Gorakhpur)
- सूखा प्रभावित देऊलगांव को मिला पानी (Water conservation in Maharashtra)
- डिब्रूगढ़ कैदियों को ‘प्रिज़न स्मार्ट’ से मिली रोजगार की राह ( Rehab programs in Dibrugarh prison)
- राजस्थान के नाथद्वार में हुई पक्षियों की वापसी (Bird conservation project in Rajasthan)
- विश्व रिकार्ड ने बदला जीवन: धनगरी ढोल वादकों के प्रेरक अनुभव !! (Stories of people who play Dhangari Dhol)
- ... और यूं सेवा बन गई ट्रेन्ड (Seva train project)
- गुरुजी के जन्मदिन पर 2567 यूनिट रक्तदान (Blood donation camps)
- 272 गांवों पर मंडराता जल संकट होगा खत्म (Kumudavati river rejuvenation project)
- युवाओं को स्वावलम्बी बना रहा श्री श्री कौशल विकास केन्द्र अम्बिकापुर (Skill training center in Ambikapur)
- अब ग्रामीणों को मिल रहा स्वस्थ जीवन (Clean drinking water project)
- बिजली से महरूम इलाकों में भी बच्चे हो रहे हाई-टेक (Electrification project)
- लवंग गांव में शुरू हुआ श्री श्री शिव उद्योग समूह (Rural development project in Solapur)
- प्रोजेक्ट उड़ान बना रहा है 11000 यौनकर्मियों के जीवन को आसान !! (Udaan Project Bengal in Hindi)