अष्ट गणपति के बारे में जानिए
आठ संख्या, आठ प्रकार की प्रकृतियों से जुड़ी हुई हैं। यह अष्ट प्रकृतियां कौन सी हैं - पृथ्वी, वायु, जल, आकाश, अग्नि, चित्त, बुद्धि और अहम्। किसी महापुरुष ने सुझाया कि प्रत्येक प्रकृति के लिए एक गणपति की स्थापना की जाए। बस और कुछ नहीं।
हमें इन सब में फंसने की कोई आवश्यकता नहीं है - 12 ज्योतिर्लिंग क्यों हैं, अष्ट गणपति क्या हैं इत्यादि। प्राचीन काल में यह एक समाज को जोड़कर रखने का तरीका था क्योंकि थोड़ी थोड़ी दूरी पर, ६०० कि. मी. के अंदर ही एक नई भाषा, एक नई सभ्यता, नई संस्कृति का पाया जाना आम बात थी।
उतर - दक्षिण, पूर्व - पश्चिम में कुछ भी समानता नहीं थी - तो समाज को, देश को एकजुट कैसे किया जाए ? तब कहा जाता था कि १२ ज्योतिर्लिंग की यात्रा कीजिए, रामेश्वरम जाइए, काशी जाइये, त्र्यंबकेश्वर जाइये इत्यादि । इस प्रकार भ्रमण करने से, तीर्थ यात्रा करने से देश को एक जुट करने में मदद मिलती थी। बस यही है।
इसी प्रकार अष्ट गणपति भी हैं। मुख्य विचारधारा यह थी कि जब महराष्ट्र में लोग भ्रमण करेंगें, एक दूसरे से मिलेंगे तो तीर्थ यात्रा का फल तो प्राप्त होगा ही साथ में एक दूसरे के बारे में जानने से लोग भी एक दूसरे से जुड़ेंगे। उस समय किसी और प्रकार के अवकाश या छुट्टी का प्रचलन नहीं था, अतः तीर्थ यात्रा को ही पर्यटन समझा जाता था।
क्योंकि यह धार्मिक और पवित्र कर्म था, अतः भिन्न भिन्न मंदिरों का निर्माण हुआ और लोगों का मत होता था कि उन्हें अवश्य ही वहां दर्शन करने चाहिएं या जाना चाहिए।
श्री श्री रविशंकर जी की ज्ञान वार्ता से संकलित