कोई प्रज्ञावान या कोई तेज दिमाग का व्यक्ति हो वह फिजूल चीजों से बोर हो जाते हैं, वह इसमें पड़ते नहीं। कुछ चीजें हम बेहोशी से करते रहते हैं जिससे भी हम बोर नहीं होते। यहाँ मैं कहूँगा सच में बोर हो जाना चाहिए आपको तो वही टीवी देखते रहते हो वही खाते रहते हो, वही गपशप करते रहते हो उससे बोर नहीं होते क्यों होना चाहिए। मान लो आप अपने से इतने बोर हो जाते हो खाली बैठे एक बोर हुआ हुआ व्यक्ति दूसरों को कैसे खुशी ला सकता है। बताओ दो व्यक्ति अपने आप से बोर हो जाएंगे। वे दोनों मिलने से क्या एक दूसरे को दे पाएंगे? बोरडम ही देंगे।
बोरडम से निकलने के लिए संकल्प करें
बोरडम से बाहर आने के लिए आपको खुद को संकल्प करना पड़ेगा। कई उपाय हैं... आज का उपाय इतना सोचो थोड़ा सा प्राणायाम कर लें।
भस्त्रिका प्राणायाम है। हाथ ऊपर करिए साँस लीजिए, साँस छोड़ते समय हाथ को नीचे लेके आइए। इस तरह से भस्त्रिका का प्राणायाम दस पंद्रह बार कर लीजिए।
ध्यान के अभ्यास से बोरडम को आसानी से दूर किया जा सकता है
ध्यान करिए साधना करिए इससे भी आप बोरडम से आसानी से बाहर आ जाओगे। ठीक है ना यह नहीं कहना अरे गुरुदेव यह सब प्राणायाम करना भी बड़ा बोरडम लगता है। वह एक कुछ क्षण है एक बार उससे छलांग लगा देते हैं उसको पार कर देते हैं - देखना आपके भीतर उत्साह फूट-फूट के निकलेगा जैसे साँस की गति में परिवर्तन होता है। ऐसे मन में भी परिवर्तन हो जाता है। पता है क्यों हर भावना के साथ साँस की एक लय जुड़ी हुई है। साँस का लय बदला मन का मूड बदल जाता है तो साँस और ध्यान को अपना आधार बनाकर अपना मन की स्थिति को बदलने में आप काबिल हो जाओगे। कर सकते हैं बहुत आसानी से कर सकते हैं। जब और कुछ करने के लिए नहीं है।
अपने आप को मज़बूत बनायें और खुशियाँ बाँटें
आप बैठिए अपने आप को ऐसा मजबूत बनाओ जहाँ भी होते हो औरों को आप से खुशी मिले। इस तरह के आप अपने व्यक्तित्व को निर्माण कर सकते हो। आप गाना गाइए। भजन करिए, फिल्मी गाना गाइए, अंताक्षरी करो, घर में बैठे कुछ सृजनात्मक चीजें करो। कुछ लिखो। तब देखो आप बोरडम से बाहर आ जाओगे।
सृजनात्मकता
जब छोटे बच्चे थे आप इतने बोर नहीं होते थे ना? है ना? तो आपके भीतर उत्साह का फव्वारा है... आप औरों को उत्साहित करो। आप खुद भी अपने उत्साह में डटे रहो! ठीक है?
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी की ज्ञान वार्ता पर आधारित
संकलन एवं संपादन : रत्नम सिंह