जो मन सदा ही आनंद के पीछे भागता रहता है, वो कभी केंद्रित नहीं हो सकता। जब आप केंद्रित रहते हैं , तो सभी प्रकार के आनंद स्वतः ही आपके पास आ जाते हैं , किंतु अब वे तुम्हें आकर्षित नहीं करते क्योंकि तुम स्वयं ही आकर्षण का स्त्रोत हो।
जो मन आनंद को खोजता रहता है, वह कभी शिखर तक ऊपर नहीं उठ सकता।
और यदि आप अपने दुखों में डूबने से रस लेते हो, आप केंद्रित तो हो ही नहीं सकते; आप इस मार्ग से कोसों दूर भी हो।
यदि आप आनंद के पीछे भागते हो , तो ‘ सत्संग’ को भूल ही जाओ । क्यों अपना समय व्यर्थ कर रहे हो ?
यही जीवन जीने की कला है ।
तुम या तो आनंद को खोजो या मेरे पास आ जाओ।
सुजैना : जब लोग नकारात्मक बातें करते हैं तो क्या करें?
गुरुदेव : तुम अपनी तरफ़ से हर किसी को किसी भी समय, किसी भी स्थान पर, किसी के भी बारे में, और किसी भी विषय पर बोलने का अधिकार दे दो।
अभ्यास करने हेतु : इस पूरे सप्ताह प्रत्येक व्यक्ति के बारे में अधिकतम नकारात्मक बोलने का प्रयास करें। यह एक चुनौती है।
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी की ज्ञान वार्ता पर आधारित