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प्रकृतिलय समाधि | The States of Meditation in Hindi
सूत्र 19: भवप्रत्ययो विदेहप्रकृतिलयानाम् योगसूत्र के उक्त सूत्र में समाधियों के विभिन्न प्रकार बताते हुए महृषि पतंजलि कहते हैं, समाधि का अनुभव या तो आँखें बंद कर स्वयं में स्थित होने से होता है या फिर जब तुम किसी पर्वत या सूर्यास्त को निहार रहे होते हो, ... -
समाधि के चार प्रकार। Four Types of Samadhi In Hindi
पतंजलि आगे कहते हैं: सूत्र 17: वितर्कविचारानंदास्मितारूपानुगमात सम्प्रज्ञातः वितर्कानुगम समाधि वितर्क:- जहाँ मन में सत्य को जानने के लिए और संसार को देखने के लिए एक विशेष तर्क होता है। तीन तरह के तर्क हो सकते है- तर्क, कुतर्क, वितर्क। कुतर्क का अर्थ है ग ... -
वर्तमान क्षण में होना वैराग्य है। | Being in The Present Moment is Dispassion (Vairagya)
तीन तरह के गुण: सत्त्व, रजस और तमस तीन तरह के गुण हैं- सत्व, रजस और तमस। जीवन में तीनो गुण चक्र में आते रहते हैं। जब सत्त्व अधिक होता है तब सजगता, ज्ञान, उत्साह और जीवन में रूचि बनी रहती है। जब रजोगुण आता है तब अधिक इच्छाएं, स्वार्थीपन, बैचेनी और दुःख उभर ... -
वैराग्य: आत्मज्ञान का चिन्ह | Dispassion: Sign of Enlightenment
आत्मज्ञान की अवधारणाएं आत्मज्ञान को लेकर लोगों की बहुत विचित्र धारणाएं होती हैं। हर संस्कृति और धर्म में आत्मज्ञान को लेकर अपनी अलग ही धारणा है। ईसाई धर्म के मत अनुसार एक धनी व्यक्ति आत्मज्ञानी नहीं हो सकता, यह असंभव है। व्यक्ति को आत्मज्ञानी होने के लिए, ... -
वैराग्य क्या है? | What is Vairagya? | What is Disspassion
वैराग्य ध्यान के पथ पर अभ्यास के साथ दूसरा पहिया है। इस ज्ञान पत्र में हम वैराग्य के बारे में जानेंगे। महर्षि पतंजलि कहते हैं, 1.15 दृष्टानुश्रविकविषयवितृष्णस्य वशीकारसंज्ञा वैराग्यं मन पांच इन्द्रियों के विषय वस्तुओं से बने इस संसार की ओर भागता रहता है। ... -
ध्यान में गहराई कैसे लाए? | How To Go Deep In Meditation
पतंजलि योग सूत्र में अभी तक हमने जाना की अभ्यास और वैराग्य मन की पांच वृत्तियों से मुक्ति के उपाय हैं। मन को युक्तिपूर्वक वर्तमान क्षण में लेकर आने के लिए किया गया प्रयास ही अभ्यास है। महृषि पतंजलि कहते हैं की ऐसा प्रयास जब निरंतर, बिना अंतराल के, लम्बे स ... -
अभ्यास क्या है? | What is Practice?
महर्षि पतंजलि कहते है कि मन की पांच वृत्तियाँ हैं- प्रमाण, विपर्यय, विकल्प, निद्रा एवं स्मृति। अभ्यास और वैराग्य इन पांच वृत्तियों के निरोध का उपाय है। इस ज्ञान पत्र में हम अभ्यास के बारे में जानेंगें। अभ्यास 1.13 तत्र स्थितौ यत्नोऽभ्यासः जो भी तुम स्वयं ... -
मन की वृत्तियाँ- भाग- १ | Modulations of Mind Part-1
प्रमाण- मन की पहली वृत्ति महर्षि पतंजलि कहते हैं, "मन की पांच तरह की वृत्तियाँ हैं- प्रमाण, विपर्याय, विकल्प, निद्रा एवं स्मृति। मन इन्हीं पांचों वृत्तियों में से किसी न किसी में उलझा रहता है।" इस ज्ञान पत्र में हम पहली वृत्ति प्रमाण को समझते ह ... -
मन की वृत्तियाँ- भाग २ | Modulations of Mind- Part 2
महर्षि पतंजलि ने प्रत्येक योग सूत्र को बहुत सुंदरता से बताया है, "मन की पांच तरह की वृत्तियाँ हैं- प्रमाण, विपर्यय, विकल्प, निद्रा एवं स्मृति। मन इन्ही पांच वृत्तियों में से किसी न किसी में उलझा रहता है।" प्रमाण के उपरांत इस ज्ञान पत्र में हम शे ... -
मन का स्वभाव | Temperament of mind
मन पूरे समय बाहरी संसार में उलझा रहता है। जब आँखें खुली होती हैं तब मन कुछ न कुछ देखने, सुनने, सूंघने, स्पर्श करने और स्वाद लेने में फंसा रहता है। जागृत अवस्था में मन इन्द्रियों के सतत क्रियाकलाप में लिप्त रहता है अथवा निद्रा या स्वप्नावस्था में चला जाता ...