"भजन शब्द का अर्थ अतिसुंदर और अतुल्य हैै। भज का अर्थ है बांटना। उस परमपिता परमात्मा के साथ बांटना। अक्सर हम तब बांटना चाहते हैं जब हमारा मन होता है बांटने का, अन्यथा नहीं। जब हम प्रेम दिखाना चाहते हैं तो बहुत अधिक दिखा देते हैं और कभी जब मन नहीं होता तो हम सारे मन के दरवाज़े बंद कर देते हैं। हमारा बांटना हमारे मन के अनुसार चलता है। जब हमारे बांटने से हमें कोई खुशी होती है तब हम बांटते हैं, जब हमे लगता है कि यह बात बताने से सामने वाले हमारे बारे में एक अच्छी धारणा बना लेंगे, वह बात हम खुशी से बताते हैं। कुछ बातें हम नहीं बताना चाहते क्योंकि लोग हमारे लिए गलत धारणा ना बना लें इस भय से हम नहीं बाँटना चाहते, ऐसा बाँटना मान्य नहीं है। भजन का वास्तविक अर्थ है प्रभु से, गुरु से अपना सर्वस्व बाँटना- अपना सुख, अपना दुःख, अपनी खुशियाँ, अपनी पूरी व्यथा| वह भजन कहलाता है। गुरु से, प्रभु से पूरे साफ़ मन से समर्पण। तो जब हम सत्संग में बैठें तो पूर्णता का एहसास करें। सभी में उस प्रभु की छवि को अनुभव करें। सबके भीतर की सुंदरता को अनुभव करें। यह है भजन का अर्थ| और फिर धीरे- धीरे हर पल उस परमपिता से साक्षात्कार हो जाना ही भजन है।"
~ गुरुदेव श्री श्री रविशंकर