वेदवती नदी के कायाकल्प की कहानी

पूर्व में एक कलाई घड़ी संयोजनकर्त्ता के रूप में नागराज का काम था यह सुनिश्चित करना कि सभी घड़ियाँ बिलकुल समयानुसार चलें। और फिर एक समय आया जब नागराज को  मृत हो रही वेदवती नदी को  पुनर्जीवित करने का वास्तविक उद्देश्य मिल गया — एक ऐसा कार्य जो कालांतर में भारतीय राज्य कर्नाटक के लाखों लोगों का जीवन परिवर्तन करने वाला था ! 

यह वर्ष 2011 की बात है जब नागराज, आर्ट ओफ़ लिविंग के एक प्रशिक्षक, ने अपने गृह ज़िले के लक्ष्मीपुरा नामक गाँव में एक लघु परियोजना पर कार्य आरम्भ किया। उनके द्वारा किए गए सतत प्रयासों से भूमिगत जल स्तर 350 फुट से चढ़ कर 80 फुट पर आ गया जिससे लगभग 100 किसान परिवारों को लाभ हुआ । उससे भी अधिक , नागराज को जीवन का एक नया उद्देश्य मिल गया - जल संसाधनों का पुनरुद्धार करने का। 

उस परियोजना के कार्यान्वयन में नागराज को सीख मिली कि जल के अभाव की चुनौती का स्थायी तथा दीर्घकालिक समाधान वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपना कर ही किया जा सकता है। उनको यह अनुभव हुआ कि ख़राब मानसून में भी जल अभाव की चुनौतियों से निपटा जा सकता है। 

तीन साल बाद, नागराज ने दीर्घकालिक व चिरस्थायी जल संचयन सम्बन्धी तकनीकी ज्ञान व उससे मिली सीख को वेदवती नदी क्षेत्र में आर्ट ऑफ लिविंग के नदी पुनरुद्धार कार्यक्रम में कार्यान्वित करने की ठानी। 

वह दो वर्ष तक भाग दौड़ करते रहे और उन पर बहुत से दरवाज़े बंद कर दिए गए अथवा उन्हें नेक लेकिन हतोत्साहित करने वाले उपदेश मिले। परंतु नागराज के लिए समर्पण का विकल्प कभी था ही नहीं । तब नागराज को सरकार की मनरेगा (MGNREGA), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी) स्कीम के बारे में पता चला जिसमें सरकार को  महत्वपूर्ण व स्थानीय स्तर पर उचित आधारभूत संरचनाओं पर व्यय करने के वैधानिक आदेश हैं । यह योजना स्थानीय लोगों को रोज़गार देने की गारंटी भी देती है । फ़रवरी 2014 में वेदवती नदी क्षेत्र परियोजना के लिए किया गया उनका कठोर परिश्रम रंग लाया और 2015 तक परिणाम आने आरम्भ हो गए । उस वर्ष सामान्य से एक तिहाई वर्षा होने के बावजूद , जिन हिस्सों में परियोजना लागू की गयी थी , वहाँ का भूमिगत जल स्तर 700-1200 फ़ुट से ऊपर उठ कर 100-150 फुट पर आ गया। 

अब तक का हमारा कार्य 

  • 6786 जल पुनर्भरण संरचनाएँ तैयार हो चुके हैं जबकि 1021 पर काम चल रहा है और   12,526 पर काम होना है ।
  • 2,000 लोगों को रोज़गार जिसमें 1,84,000 श्रम दिवस का कार्य दिया गया 
  • नदी नालों के मूल नक़्शों की निशानदेही के साथ सर्वे का कार्य 
  • स्थानीय समुदायों को कौशल विकास व योग्यता प्रशिक्षण दिया गया 

हमारा  उद्देश्य

  • चेक बोल्डर / बंध , पुनर्भरण कुएँ व तालाबों  के 21,800 जल पुनर्भरण ढाँचों का निर्माण 
  • 5,447 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में व्यापक जलीय क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम 
  • मनरेगा ( MGNREGA ) कार्यक्रम के द्वारा 2,90,795 श्रम दिवसों का सृजन 
  • परियोजना से 15 लाख लोगों को लाभान्वित करना 
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आगे का रास्ता 

आज , नागराज की दृष्टि राज्य में 20 ज़िलों, जिनमें कोडगू, मैसूर व हसान सम्मिलित हैं , पर है जो विवादग्रस्त कावेरी नदी के मार्ग पर आते हैं। यह नदी और इसका जल दक्षिणी भारत के दो सबसे बड़े राज्यों, तमिलनाडु व कर्नाटक के लोगों के लिए दीर्घकाल से पीड़ादायक विषय रहा है।

छोटे से क़स्बे के इस घडिसाज के लिए उनकी यह महान कृति और बड़ी होती जा रही है । नागराज का अनुमान है कि इन नदी पुनरुद्धार कार्यक्रमों द्वारा , सरकारी आँकड़ों के अनुसार ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वाले 8.60 लाख परिवार ग़रीबी रेखा से ऊपर उठ जाएँगे। इस भूतपूर्व घडिसाज ने निश्चित ही अपनी यथार्था व समय निर्धारण क्षमता खोई नहीं है। 

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 वेदवती नदी पुनरुद्धार परियोजना गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के मार्गदर्शन में , द आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा चलाई जा रही अनेकों नदी पुनर्जीवन परियोजनाओं में से पहली है । 

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आलेख  सौजन्य : द आर्ट ऑफ लिविंग सूचना, संचार  विभाग