- वाईएलटीपी प्रशिक्षण लेने वाले आठ युवाओं की पहल ने बदली गांव की सूरत
- फिलहाल गांव के 400 से अधिक परिवार जुड़े हैं आर्ट आॅफ लिविंग परिवार से
तरुण साहू
धमतरी (छत्तीसगढ़)। जिले का डोमा गांव युवाओं की बदौलत आज विकास की राह पर अग्रसर है। दो हजार की अबादी वाला यह गांव कुछ वर्ष पूर्व तक सामाजिक और आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा था। युवाओं सहित अधिकांश लोग नशे की चपेट में थे।
साल 2007 में गांव के कुछ युवा आर्ट ऑफ लिविंग के युवा नेतृत्व प्रशिक्षण शिविर में शामिल हुए। यहां से इनके जीवन में कई अद्भुत परिवर्तन आण्। इन्होंने गांव में रोज प्रभात फेरियों का आयोजन किया। ब्रह्म मुहूर्त में ही गलियों में कर्णप्रिय भजन गूंजने लगे। प्रभात फेरी के बाद युवा नियमित रूप से गांव में सफाई करते। सत्संग की सकारात्मक ऊर्जा और सेवा कार्यों से गांव के दूसरे लोग भी खासे प्रभावित हुए। उन्होंने भी सत्संग एवं सेवा कार्यों में भागीदारी शुरू कर दी। युवा और महिला बढ़-चढ़कर इन कार्यों में शामिल हुए। यह लोग भी धीरे-धीरे आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यक्रमों एवं प्रशिक्षण शिविरों से जुड़े।
वर्तमान परिवेश में डोमा नशा मुक्त गांव की उपाधि भी प्राप्त करने में सक्षम
8 युवाओं से शुरू हुए समूह में अब 400 से ज्यादा परिवार शामिल हैं। इनमें से 70 युवा वाईएलटीपी में भाग ले चुके हैं। इनका सबसे पहला मकसद गांव को नशा मुक्त करना था। इसके लिए महिलाओं के साथ जागरुकता अभियान चलाया गया। सामूहिक प्रयासों से आखिरकार डोमा गांव नशा मुक्त बन गया।
युवा सभी सामाजिक, धार्मिक एवं राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने लगे। इसकी बदौलत गांव को युवा सरपंच मोतीलाल नागरची का योग्य नेतृत्व मिला। इनके नेतृत्व में गांव के सभी घरों में सरकारी योजनाओं के तहत शौचालय बनवाए गए। ऐसे में गांव धमतरी जिले का पहला खुले में शौच से मुक्त गांव बन गया। इस उपलब्धि के लिए खुद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने सरपंच मोतीलाल नागरची और ग्राम पंचायत को सम्मानित किया।
गांव के विकास की यह गाथा आज भी बढ़ती जा रही है। इस कार्य में डोमा के आर्ट ऑफ लिविंग प्रशिक्षक महेन्द्र दास मानिकपुरी, संजीव साहु, संतु राम, भोजराज साहु, महेन्द्र साहु, दीपक साहु, विवेक प्रकाश लोचन कंवर आदि अनेक युवा शामिल हैं।
सेवा टाइम्स की ओर से संकलन कर्ता : संतोषी निम्बाडकर
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