चैत्र नवरात्रि

नवरात्रि वह समय होता है जब दो ऋतुएँ मिलती हैं I संयोग की इस अवधि में,ब्रह्माण्ड से असीम शक्तियाँ ऊर्जा के रूप में हमारे पास पहुँचती हैंI हर साल दो नवरात्रि होती है- चैत्र नवरात्रि और आश्विन नवरात्रि I

चैत्र नवरात्रि में गर्मी के मौसम की शुरुआत होती है और इस समय प्रकृति एक बड़े परिवर्तन के लिये तैयार होती हैI भारत में, चैत्र नवरात्रि के दौरान, लोग उपवास रखकर, अपने शरीर को आने वाली गर्मी के लिए तैयार करते हैं|

चैत्र नवरात्रि 2022

यह हिंदू पर्व कैलेंडर के अनुसार शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शुरू होता है और राम नवमी को समाप्त होता है। रामायण के अनुसार, भगवान राम ने चैत्र के महीने में माँ दुर्गा की पूजा की थी I ऐसा माना जाता है कि इस पूजा से मिले आशीर्वाद ने ही उन्हें रावण से हुए युद्ध में विजय दिलायी थी। इसी कारण से, चैत्र नवरात्रि पूरे भारत में विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भव्य रूप से मनाई जाती है।महाराष्ट्र में, यह त्यौहार गुड़ी पड़वा से शुरू होता है, जबकि आंध्र प्रदेश जैसे दक्षिणी राज्यों में, यह उगादि से शुरू होता है।

चैत्र नवरात्रि 2022 - दिवस और दिनांक

चैत्र नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि है जिसमें देवी माँ के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है। प्रतिदिन देवी माँ के एक विशेष रूप को समर्पित हैं और प्रत्येक रूप का आवाहन  प्रार्थना, मंत्र, स्वादिष्ट व्यंजनों और प्रसाद के समर्पण के द्वारा किया जाता है |

प्रतिपदा : 2 अप्रैल

1. पूजित देवी : शैलपुत्री

2. चढ़ाया जाने वाला प्रसाद : केले

3. रंग : हरा

द्वितीया : 3 अप्रैल

1. पूजित देवी : देवी ब्रह्मचारिणी

2. चढ़ाया जाने वाला प्रसाद : गाय के दूध से बना घी

3. रंग : नीला

तृतीया : 4 अप्रैल

1. पूजित देवी : देवी चंद्रघंटा

2. चढ़ाया जाने वाला प्रसाद : नमकीन मक्खन

3. रंग : लाल

चतुर्थी : 5 अप्रैल

1. पूजित देवी : देवी कुष्मांडा

2. चढ़ाया जाने वाला प्रसाद: चीनी की मिठाई

3. रंग : नारंगी

पंचमी : 6 अप्रैल

1. पूजित देवी : देवी स्कंदमाता

2. चढ़ाया जाने वाला प्रसाद: चावल का हलवा/दूध

3. रंग : पीला

षष्ठी : 7 अप्रैल

1. पूजित देवी : देवी कात्यायनी

2. चढ़ाया जाने वाला प्रसाद : मालपुआ

3. रंग : नीला

सप्तमी : 8 अप्रैल

1. पूजित देवी : देवी कालरात्रि

2. चढ़ाया जाने वाला प्रसाद : शहद

3. रंग : बैंगनी

अष्टमी : 9 अप्रैल

1. पूजित देवी : देवी महागौरी

2. चढ़ाया जाने वाला प्रसाद : गुड़ / नारियल

3. रंग : गुलाबी

नवमी : 10 अप्रैल

1. पूजित देवी : देवी सिद्धिदात्री

2. चढ़ाया जाने वाला प्रसाद: गेहूँ के आटे का हलवा

3. रंग : सोना

चैत्र नवरात्रि के दौरान अनुष्ठान

कई भक्त पूरे नौ दिनों तक उपवास रखते हैं। भक्त दिन भर देवी माँ की पूजा अर्चना करते हैं| नवरात्रि में उपवास के साथ – साथ मंत्रों का जाप करना, ध्यान करना आदि शुभ माना जाता है |

क्या आप जानते हैं?

इन देवियों की पूजा की जाती है :

  • दिन 1-3: देवी दुर्गा
  • दिन 4-6: देवी लक्ष्मी
  • दिन 7-9: देवी सरस्वती

पूजा के विभिन्न पहलू

किसी भी देवी भक्त की तपस्या को मोक्ष कहा जाता है। अपने आप को उस अंत के लिए तैयार करने के लिए,कुछ प्रथाओं का पालन किया जाता है।

कलश स्थापना : नवरात्रि के प्रथम दिवस पर कलश स्थापना को सबसे महत्वपूर्ण पहलू माना जाता है। इसे घर की शुद्धि और समृद्धि के लिए प्रार्थना स्थल या मंदिर में रखा जाता है।

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अखंड ज्योति : नवरात्रि का प्रकाश घर और परिवार के लिए शांति का प्रतीक है। इसीलिए यह आवश्यक है कि नवरात्रि पूजा से पहले आप एक घी का दीपक जलाएं। यह आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा को कम करने में मदद करता है और भक्तों में मानसिक संतुष्टि को बढ़ाता है।

जौ बोना : नवरात्रि के दौरान,लोग अपने घरों में जौ के बीज बोते हैं। ऐसा माना जाता है कि जौ इस सृष्टि की पहली फसल थी। वसंत में पहली फसल भी जौ है। इसीलिए इसे नवरात्रि पूजा हवन में भी चढ़ाया जाता है।

दुर्गा सप्तशती का पाठ : दुर्गा सप्तशती समृद्धि,धन और शांति का प्रतीक है। नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है।

कन्या पूजन : कन्या पूजन देवी माँ की पूजा का एक महत्वपूर्ण पहलू है। उन्हें फूल, इलायची, फल, मिठाई, श्रंगार की वस्तुएं, कपड़े, घर का बना भोजन, विशेष रूप से, हलवा और काले चने खिलाने की परंपरा है |

अनुष्ठान के लिए कुछ विशेष नियम

  1. प्रार्थना और उपवास करना चैत्र नवरात्रि पर्व का प्रतीक है। उत्सव की शुरुआत से पहले,लोग माता के स्वागत के लिए अपने घरों की अच्छे से सफाई करते हैं।
  2. बहुत से लोग कुछ प्रथाओं का पालन करना पसंद करते हैं जैसे कि
  • ज़मीन पर सोना
  • हल्का और सात्विक भोजन खाना (अनाज आटा, दही, फल आदि)
  • ब्रह्मचर्य का पालन
  • सत्संग, ध्यान और ज्ञान में समय व्यतीत करना
  • चमड़े से बनी वस्तुओं का उपयोग न करना
  • मौन व्रत
  • आत्म-जागरूकता का अभ्यास करें और क्रोध, लालच में लिप्त न हों
  • देवी कवचम आदि मंत्रों का जाप करें

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