भारत के विषय में अद्भुत तथ्य
कुरुक्षेत्र युद्ध से ठीक पहले, कुन्ती ने अपने पौत्र अभिमन्यु की कलाई पर रक्षाबंधन बांधा था। शची,इन्द्र की पत्नी,ने असुर राज,महाबली से युद्ध करने के लिए जाने से पहले,अपने पति को राखी बांधी थी।जब भगवान कृष्ण और उनके मित्रों पर लगातार कामसा के द्वारा आक्रमण किया जा रहा था,तब यशोदा ( कृष्ण की मां )ने कृष्ण की सुरक्षा के लिए उनकी कलाई पर एक पवित्र धागा बांधा था।बाद में,कृष्ण और शिशुपाल के बीच हुए युद्ध के समय,द्रौपदी ने अपनी साड़ी से एक चीर फाड़कर कृष्ण की अंगुली,जिससे रक्त बह रहा था,पर बांधा था।
शताब्दियों से,भारत में महिलाओं को शक्ति स्वरूपा के रूप में सम्मानित किया जाता रहा है।हमने सावित्री की कहानी सुनी थी,जिन्होंने यम,मृत्यु के देवता,से तर्क किया और अपने पति को पुनर्जीवित किया।एक स्त्री में संकल्प शक्ति होती है।यह इच्छा शक्ति और दृढ़ निश्चय होता है।इस शक्ति के द्वारा ही स्त्री रक्षा करने में सक्षम होती है।प्राचीन काल से ही,स्त्री अपने भाई की कलाई पर पवित्र धागा बांधकर उसकी रक्षा करने की प्रतिज्ञा करती है।उपर्युक्त कहानियां और अन्य कहानियों पर मनन करने से यह ज्ञात होता है कि यह बंधन केवल भाईयों और बहनों के लिए ही आरक्षित नहीं है।इसमें सभी संबंध आते हैं,चाहे वह पति पत्नी हों,बच्चा हो या फिर पौत्र हो।
देवी लक्ष्मी भी एक बंधन बांधती हैं।ऐसा कहा जाता है कि शक्ति केवल शारीरिक कौशल नहीं है।सर्वश्रेष्ठ शक्ति एक व्यक्ति के भीतर से आती है।वह शक्ति भावनाओं,बुद्धि और इच्छाशक्ति से आती है।यदि किसी व्यक्ति के भीतर की शक्ति चली जाती है,तो बाह्य शारीरिक शक्ति के बहुत थोड़े से ही परिणाम प्राप्त होते हैं।हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों का यह विश्वास था कि एक स्त्री में ये सारी शक्तियां होती हैं।
प्राचीन समय में,अक्षत, साबुत चावल को एक कपड़े के लंबे से टुकड़े में बांधा जाता था,जिसे कलाई पर बांध दिया जाता था।इस धागे को खराब स्वास्थ्य और बुरी नजर से बचाने एवम् सामान्यतः सुरक्षा के लिए बांधा जाता था।इसे रक्षाई कहा जाता था।आज चावल और धागे का चलन खत्म हो गया है।इसकी जगह रंग बिरंगे,विभिन्न आकारों के,जिन पर कुछ कार्टून बने होते हैं और जिनमें से कुछ पर सुनहरी पट्टी बंधी होती है,वाले धागों ने ले ली है।लेकिन,इससे जुड़ी भावनाएं अभी भी काल निरपेक्ष हैं।ये भावनाएं निष्ठा,सुरक्षा,प्रेम और स्नेह से जुड़ी हुई हैं।
रक्षा बंधन का त्यौहार पवित्र श्रावण मास में मनाया जाता है और यह पारस्परिक सुरक्षा एवम् उत्सव का प्रतीक है।बहन अपने भाई की कलाई पर धागा बांधती है।केवल भाई ही अपनी बहन की रक्षा करने का वादा नहीं करता है,बल्कि बहन भी अपने भाई के कल्याण,अच्छे स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती है।यह उनके बीच का एक पारस्परिक बंधन होता है।पुराणों में कहा गया है कि देवी लक्ष्मी ने महाराजा बली को राखी बांधी थी।देवी इस बात से व्याकुल थीं कि भगवान विष्णु बली की प्रार्थना पर पाताल लोक में निवास करने के लिए सहमत हो गए थे।रक्षा बंधन की प्रथा में कुछ मांगने का रिवाज है।तो,बली ने अपनी बहन लक्ष्मी से पूछा कि वह क्या चाहती हैं?इस पर देवी ने कहा कि वह चाहती हैं कि भगवान विष्णु बैकुंठ को लौट जाएं।
अपने राज्य की रक्षा करने के लिए ......
इतिहास में साहसी महिलाओं की कहानियां भरी पड़ी हैं,जिन्होंने अपने पतियों और राज्यों की सुरक्षा के लिए अपने शत्रुओं को राखी भेजी थी।
अलेक्जेंडर की पत्नी और राजा पुरुरवा
अलक्जेंडर की पत्नी को ग्रीक में रॉक्साना के नाम से जाना जाता है और भारत के उत्तर पश्चिम में रोशानक के नाम से जाना जाता है,जिसने राजा पुरुरवा को रक्षाई भेजकर यह प्रार्थना की थी कि वह अलेक्जेंडर की हत्या ना करे।
रानी कर्णावती और मुगल राजा हुमायूं
रानी कर्णावती, चित्तौड़,राजस्थान की विधवा राजपूत रानी ने वर्ष १५३५ सी ई में मुघल राजा हुमायूं को रक्षाई भेजी थी।उन्होंने गुजरात के सुल्तान,बहादुर शाह जफर के खिलाफ मदद मांगी थी,जो चित्तौड़ के किले पर कब्ज़ा करना चाहता था।
महारानी जिंदन और महाराजा रणजीत सिंह
महाराजा रणजीत सिंह, सिख साम्राज्य के राजा थे,जो लाहौर से शासन किया करते थे।उनकी पत्नी,महारानी जिंदन ने पारस्परिक विश्वास को प्रेरित करने के लिए १८४९ में नेपाल के हिन्दू राजा,जंग भादुर को रक्षाई भेजी थी।
बाद में नेपाल के राजा ने इस बंधन का सम्मान करते हुए,अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध करते हुए सिख साम्राज्य के पतन के पश्चात,महारानी जिंदन को शरण दी थी।
जानवरों और समुदायों के प्रति रक्षा बंधन
रोचक बात यह है कि उड़ीसा में प्रेम और रक्षा का यह बंधन जानवरों के लिए भी है।यहां रक्षा बंधन गमहा पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।इस दिन,घरेलू गायों और बैलों की पूजा की जाती है।प्रातः काल गाय को पारंपरिक स्नान कराया जाता है और उसके गले में ताजे फूलों की माला पहनाई जाती है।इस प्रकार से,हम देखते हैं कि मनुष्यों और पशुओं के बीच रक्षा बंधन पारस्परिक था,जो जीवन चक्र में प्रत्येक जीव के प्रति प्रेम और सम्मान के सार को प्रस्तुत करता है।
जाति और वर्ग की भावनाओं को दूर करने के लिए भी रक्षा बंधन मनाया जाता है।ब्राह्मण क्षत्रियों और अन्य वर्णों को राखी बांधते थे। स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान,रबीन्द्रनाथ टैगोर ने विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारे का बंधन बनाने के लिए रक्षा बंधन को लोकप्रिय बनाया।१९२३ में,जब ब्रिटिशों ने बलपूर्वक बंगाल को अलग कर दिया,तब भी इस बंधन को सुदृढ़ किया गया था।
रबीन्द्रनाथ टैगोर की एक प्रसिद्ध कविता में भी रक्षा बंधन को व्यक्त किया गया है -
" धरती की छाया और प्रकाश के प्रति प्रेम
मेरे शरीर और हृदय में
वर्षों तक रहा।
अपने स्नेह और आशा के साथ
इसने अपनी ही भाषा से
नीले आकाश को गुंजित कर दिया।
यह मेरे आनंद और बसंत की रातों की कलियों में रहती है और खिल जाती है
भविष्य के हाथों में
राखी के बंधन की तरह । "
इस प्रकार से इस प्राचीन परंपरा को एक शक्तिशाली बंधन के रूप में मनाया जाता है।अब हम यहां तक आ गए हैं,तो क्या मिठाईयां और उपहार तैयार हैं?
यह सामग्री @bharatgyaan से ली गई है।यह रिसर्च टीम,जिसका निर्देशन डॉ डी के हरि एवम् डॉ हेमा हरि ने किया है,ने भारत की कुछ अनकही कहानियों का उद्घाटन किया है और उन्हें समकालीन बनाया है।भारतीय सभ्यता पर आधारित उनकी किताबों को खरीदने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं।