सभी देशवासियों के लिए दिवाली की शुभकामनाएँ। इस दिवाली में हम अपने मन में ज्ञान की ज्योति जगाए, घर घर में प्रेम का ज्योति जले, समाज में समता का, एक स्नेह का ज्योति जले। पटाख़े हम सदियोंसे इसलिए फोड़ते आ रहे हे क्योकि मन के भीतर जो भी राग द्वेष बना हुआ हे (सदियोंसे या सालभर का) वो सब फुटकर बहार निकल जाए। यह उद्देश्य था पटाख़ा फोड़ने का। थोड़ा बहोत पटाख़ा फोड़िए यह नहीं कहते की बिना फटाके के दिवाली मनाए। बच्चो को तो लगता ही नहीं दिवाली मनाए बिना पटाख़े के।
पटाख़ा थोड़ा बहुत फोड़िए मगर प्रदुषण ना करे। में आप सबसे यह विनती करता हूँ की बहोत ज्यादा पटाख़ा फोडनेसे ही दिवाली मनेगा ऐसा नहीं हे। दिया जलाइए, थोड़ा बहोत पटाख़ा नाम के लिए फोड़िए। बहोत ज्यादा मिठाई खाने से ही दिवाली मनाते हे ऐसा नहीं - स्वास्थ्य पर ध्यान रखना। सिर्फ मिठाई बाटने से नहीं लेकिन मधुर बोलने से मिठाई से अधिक स्नेह पहुंचता हे, मधुरता फैलाती है। हमारा भाव मधुर हो, बुद्धि प्रखर हो, कृत्य नेकी का हो और जीवन में सुख, सम्पदा बढे यह शुभकामना के साथ हम सब मिलके दिवाली मनाते है।
देश का यह बहुत प्रमुख त्यौहार हे - इसको हम सब मिलकर, खुले दिलसे मनाते है। जीवन को एक उत्सव के रूप में देखते है। चलिए याद रखना - प्रदुषण ना करे, पर्यावरण के प्रति हम सजग रहें, स्वास्थ्य के प्रति हम सजग रहें और दूसरों के जरूरत के प्रति भी हम सजगतापूर्वक व्यवहार करे। - गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर
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