जीवनशैली

एक प्रेरणादायी नेता कैसे बनें

भाग 1- कोई दोहरे मानदंड नहीं

(नेतृत्व विषय पर रजिता बग्गा द्वारा रचित ये 8 भागों की श्रंखला है)

प्रिय पाठकों,

सप्ताह 2 में आपसे संपर्क में आना शानदार महसूस होता है। कैसा रहा आपका सप्ताह? श्री श्री यूनिवर्सिटी का सातवां अनुष्ठान दिवस मनाते हुए मेरे लिए ये एक यादगार और कार्यरत सप्ताह रहा । करीब 1,800 विद्यार्थियों ने 25 प्रोग्रामों के पार, कार्यकलापों और उतेजनाओं की हलचल में अपने  नया शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत की।

एक सच्चे प्रेरणादायक नेता कैसे बनें विषय पर आठ भागों की श्रंखला के भाग 1 पर आपकी प्रतिपुष्टि और अंतर्दृष्टि पाना अत्युतम रहा। आप में से हजारों विभिन्न पेशों से, विभिन्न प्रष्ठभूमियों और आयु-समूहों ने लेख को मनहरण और अपने जीवन के साथ गुंजायमान 

पाया। आपकी टिप्पणियां पढ़ना मेरे लिए काफी प्रोत्साहनपूर्वक रहा है, विशेष कर उन विद्यार्थियों से जिन्होंने कहा कि लेख ने उनकी सोच को आकार देने में सहायता की है और नेतृत्व की तरफ उनके दृष्टिकोण को दिशा मिली है।

आपमें से बहुतों ने अभिव्यक्त किया है कि स्वंयम-चिंतन साधन आपके लिए किस तरह से बहुत उपयोगी रहा है।  आपमें से कुछों ने लेख को एक साथ अध्ययन करने के लिए और स्वंयम-चिंतन साधन के विषय में सहायता करने के लिए ऑनलाइन कार्य ग्रुप भी बनाए हैं। ये सब सुन कर मैं बहुत प्रसन्न हूं।

प्रतिबिंबन, अवलोकन और क्रिया योजना हमारी आदतों में परिवर्तन के लिए सूक्ष्म है। लिख लेने से हमारे अनुभव संगठित और ठोस हो जाते हैं। शोध दिखाते हैं कि लिख लेने से हमारे सफलता के संयोग वस्तुतः सुधर जाते हैं। इन आठ हफ्तों में, एक दूसरे की सहायता के लिए कार्य ग्रुप बना कर आप इस पहल को अगले स्तर पर ले गए हैं- सहकार्य द्वारा रूपांतर। पहला गुण जैसा उपदेश वैसा चलन अपनी मान्यताओं को मूर्त रूप देने के बारे में था और दूसरा गुण उसकी दिन प्रतिदिन की नेतृत्व के कार्यों  में अभिव्यक्ति है।

आज चलिए हम अपने सफर पर आगे बढ़ते हैं और दूसरे गुण के बारे में बात करते हैं जो कि एक सच्चा प्रेरणादायक नेता बनने के लिए महत्त्वपूर्ण है।

पहला गुण ‘जैसा उपदेश वैसा चलन’ अपनी मान्यताओं को मूर्त रूप देने के बारे में था और दूसरा गुण उसकी दिन प्रतिदिन की नेतृत्व के कार्यों  में अभिव्यक्ति है कोई दोहरे मानदंड नहीं।

कोई दोहरे मानदंड नहीं

एक पक्ष जो नेतृत्व को परिभाषित करता है वो है निर्णय लेने की आवश्यकता। हम प्रतिदिन सैकड़ों निर्णय लेते हैं। कुछ छोटे और कम मूल्य के, कुछ महत्त्वपूर्ण और उच्च मूल्य के। कुछ जीवन और भविष्य को प्रभावित करते हैं। कुछ सूक्ष्म और गूढ़ होते हैं। कुछ सरल और खुल्लमखुल्ला होते हैं।कोई भी जो नेतृत्व के ओहदे पर रह चुका होगा ये स्वीकार करेगा कि सर्वोत्तम शिक्षण भी हमें निर्णय लेने के गुण के लिए तैयार नहीं करता। ये सब वक्त पड़ने पर  ही आता है।जहां अधिकांश कोई काले या सफेद उत्तर नहीं होते। और वोही समय होताहै जब हमें स्लेटी रंग का उपयुक्त दर्जा चुनना होता है।

उस समय हमें कैसे देखा जाता है, सिर्फ निष्पक्ष, न्यायप्रद,  सच्चा या झुका हुआ, पक्षपातपूर्ण, अन्यायपूर्ण ?

हमारी न्याय के दृढ़ मूल्यों और निष्पक्षता के द्वारा जीने की छमता, हमारे प्रेरणादायक नेतृत्व का आधार बन सकती है। 

कोई भेदभाव या तरफदारी नहीं। इसके लिए बहुत संतुलन और उदासीनता की जरूरत है। इसके लिए तीव्र जागरूकता, वैयक्तिक एकाग्रता और साहस की भी जरूरत है। यह हमें कभी-कभी वैयक्तिक लाभ भी देता है। अधिकांश तकनीकी परिस्थितियां जिनसे हमारा व्यवहार होता है, इसकी हमसे मांग नहीं करती हैं। ये तो जब हमारा लोगों से और अनुकूल समस्याओं से सरोकार होता है तब व्यक्तिपरकता प्रवेश कर जाती है।

हम कितने न्याययुक्त हैं?  क्या हमारे कुछ वैयक्तिक अधिमान, भूतकाल के अनुभव, पक्षपात और मानक है और जिनसे हमारे नेतृत्व की क्रिया पर प्रभाव पड़ रहा है? जब समान परिस्थिति से सामना हो रहा है तो क्या हम एक व्यक्ति का टीम के दूसरे व्यक्ति के ऊपर पक्ष ले रहे हैं? और हम इस बारे में कितने जागरूक हैं कि हम ऐसा कर रहे हैं? क्या हमारे खुद के लिए एक नियम है और दूसरों के लिए दूसरे ?

इस को प्रदर्शित करने के दिन में 100 बार संयोग होते हैं । 

 क्या हम हर वो नियम जो हमारी टीम।के लिए लागू होता है अपने पर भी लागू करते हैं?

एक लीडर जो दोहरे मान दंड प्रदर्शित करता है प्रेरणादायक नहीं होता है। वह अपने काम की जगह पर भरोसे का पर्यावरण प्रोत्साहित नहीं कर सकता ऐसा व्यवहार कार्यस्थान पर धीरे-धीरे आचारनीतियों को नष्ट कर देता है और कार्य संस्कृति के तंतु को क्षय कर देता है। अगर हम अपने जीवन में पीछे मुड़कर देखें तो हममें से अधिकांश ने एक न दूसरे समय पर ऐसे व्यवहार का सामना किया होगा। याद करिए कि उस समय हम कितना कुम्हलाया हुआ, अस्वीकृत और निराश महसूस करते हैं?

जबकि एक लीडर जो निष्पक्ष और न्याययुक्त है, अविश्वसनीय आदर और भरोसा कमाता है, और कहने की जरूरत नहीं है कि अपने लिए एक निश्चित रात्रि निद्रा भी कमाता/कमाती है। ऐसा करना आसान है यदि नेता ठोस है, नहीं तो बेहद मुश्किल है। हममें से बहुतों ने यह भी अनुभव किया होगा जब कोई हमारे लिए  खड़ा हो जाता है कि क्या सही है और क्या न्याययुक्त है।ये हमें सम्मानित, अधिमुल्यित, आधारित और पोषित महसूस कराते हुए हमारी स्मृति पर एक अमिट छाप छोड़ जाते हैं। 

मैं व्यक्तिगत रूप में इस दुविधा से रोज के तौर पर गुजरती हूं। मेरे निर्णयों का मेरी टीम और साझेदारों पर इतना बड़ा प्रभाव पड़ता है। निष्पक्ष और न्याययुक्त रहना मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण मूल्य हैं।

मेरे परम निष्पक्ष दृष्टिकोण के बावजूद कई बार जो निर्णय मैंने लिए हैं उनको न्याययुक्त नहीं समझा गया है। सबसे मुश्किल समय तब था जब मुझे सदस्यों को हटा देना पड़ा (उनकी बिना किसी गलती के)लेकिन  एक बड़े वित्तीय संकट की वजह से कटौती के कारण। वो समय इतना उग्र था कि उनको कहीं और लगाने के मेरे सर्वोत्तम ध्येयों के बावजूद, मुझे निष्पक्ष नहीं माना गया। पर्यावरण की परिस्तिथियाँ,प्रभावित लोगों की मानसिक गत,सर्वछादी हलचल- सबने अपनी भूमिका निभाई । तो कोई भी आसान उत्तर नहीं होते हैं । पर ज़िम्मेदारी मेरे ओहदे पर आकर रुक गयी।

तो कोई भी आसान उत्तर नहीं होते हैं।

मैं एक अंगुश्ट नियम का पालन करती हूँ जो हमेशा मेरे काम आया है।

यदि मैं उस व्यक्ति की जगह पर होती जिसके ऊपर मेरे निर्णय की वजह से प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, तो क्या फिर भी मैं ये निर्णय लेती? अगर उत्तर हाँ है, तो मैं आगे बढ़ती हूँ, अगर उत्तर नहीं है, तो मैं अपने विचारों का मंथन करती हूँ, और ऐसा करके, जो भी निर्णय निकलता है,चाहे जो भी हो जाए, उसी के साथ जाती हूँ।

मैं निश्चित होकर कह सकती हूँ कि आप सभी ऐसी परिस्तिथियों से कई बार गुज़रे होंगे।

आइये साथ मिलकर हमारे अन्दर के इस कौशल को तीव्र बनाते हैं – ये कैसे निश्चित करें कि हमारे नेतृत्व की क्रिया में कोई दोहरे मानदंड नहीं हैं।

यहाँ पर आपके इस्तेमाल के लिए एक वैयक्तिक चिंतन का उपकरण है, जिससे आप अपनी चेतना की गहरायी में उतरकर ये देख सकते हैं कि आप एक वास्तविक प्रेरणादायक नेता के दूसरे गुण का पालन कर रहे हैं कि नहीं। 

प्रतिदिन वैयक्तिक चिंतन अभ्यासिका

A) क्या आप समझते हैं कि आपकी नेतृत्व की अभिव्यक्ति के लिए ये गुण महत्वपूर्ण है? अगर हां तो क्यों? (चंद शब्द लिखिए)

B) i) उन क्षेत्रों/ दृष्टांतो की सूची बनाइए जहां आपको लगता हो कि आपने जाने अनजाने में अपनी टीम के आगे दोहरे मानदंडों का प्रदर्शन किया है।

।ii) लिखिए कि आपको उन क्षणों में कैसा महसूस हुआ था।

iii) लिखिए कि किन झुकावों/ अधिमानों/ पूर्व-धारणाओं ने आपका एक के बजाय दूसरे का चयन करने के लिए प्रभावित किया होगा।

iv) आपके अनुसार आपकी टीम और आपके साझेदारों पर इसका क्या प्रभाव पड़ा होगा?

आँखें बंद करके एक छण का अवकाश दीजिए। 

हो रहे अनुभव का अंतरकरण कीजिये।

C) i) ऐसे 3 दृष्टांतो की सूची बनाइए जहां आपने दोहरे मानदंडों का प्रदर्शन नहीं किया है।

   ii) ऐसे दृष्टांतों के साथ जुड़ी/ स्मरण में आने वाली अपनी भावनाएं लिखिए ।

   iii) उन अवरोधों की सूची बनाइये जिनको पराजित कर आपने ये काम किया ।

   iv) आपके अनुसार आपकी टीम और आपके साझेदारों पर इसका क्या प्रभाव पड़ा होगा?

आँखें बंद करके एक छण का अवकाश दीजिए। 

हो रहे अनुभव का अंतरकरण कीजिये।

7-दिन की कार्य-योजना 

A) i) उपयोक्त के लिए, जहां आपने दोहरे मानदंडों का उपयोग किया होगा, लिखिए कि परिस्तिथि को सुधारने के लिए आप क्या बदल सकते हैं। 

 ii) क्या कुछ ऐसा है जो आप अब बदल सकते हैं? जिन लोगों पर आपका प्रभाव पड़ा होगा क्या आप उसमे कोई संशोधन कर सकते हैं? अगर हाँ तो कृपया करें।

(अगर आपने ये कर लिया तो आपको हार्दिक बधाई।आपने एक मुश्किल अवरोध को पार किया जो आपका व्यवहारिक स्वरुप बदल देगा !)

B) उन तरीकों का पता करिए जिनसे आप अपने व्यवहार में निरंतरता बनाये रख सकते है ताकि ये निश्चित हो जाए कि आप दोहरे मानदंडों का प्रदर्शन नहीं करें।

सदा स्वंय को तथा औरों को प्रेरित करें! आपका सप्ताह प्रेरणादायक रहे!

आप अपनी प्रतिपुष्टि(feedback) और अपने अनुभव निम्न पर भेज सकते हैं: @RajitaBagga and @ArtofLiving 

लेखिका वर्ल्ड फोरम फॉर एथिक्स इन बिज़नेस और श्री श्री यूनिवर्सिटी,उड़ीसा (इंडिया) की अध्यक्ष हैं । वे आर्ट ऑफ़ लिविंग के साथ टीचर भी हैं।

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हमारा मुख्य कार्यक्रम हैप्पीनेस कार्यक्रम अब सच्ची ख़ुशी से कम में काम न चलायें !
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