मुम्बई के स्वप्निल मोरे , नवी मुम्बई के रबाले नामक नगर के 33 एकड़ के एक स्थान पर अक्सर वृक्षारोपण करने पहुँचते हैं । उनके शब्दों में -" मुम्बई में पेड़ – पौधों और वृक्ष लगाने के लिए कोई स्थान ही नहीं है ,और मुझे हरियाली से बहुत प्रेम है । यह स्थान मुझे प्रकृति के और समीप लाता है और इस नगर को स्वच्छ वायु प्रदान करना है ।“
जिस स्थान पर स्वप्निल अक्सर जाते हैं , वह एक मानव – कृत वनप्रदेश है । आज से तीन वर्ष पूर्व यह स्थान एक ऊष्ण मरुस्थल था , चारों ओर कारखानों से घिरा हुआ रबाले के तेत्वाली क्षेत्र में स्थित, इस स्थान का परिवर्तन हुआ वर्ष 2017 में , जब व. वि . के. ( आर्ट आॅफ लिविंग द्वारा प्रचालित चैरिटेबल संस्था ) , एवं हरियाली संस्था ने महाराष्ट्र के वन विभाग के साथ त्रिकोणीय हस्ताक्षर किए ।
इस प्रस्तावना के अन्तर्गत, व. वि. के और हरियाली इस स्थान पर 17,500 वृक्ष लगाकर उनका पालन-पोषण भी करेंगे और वर्ष 2024 में इस स्थान को महाराष्ट्र- वन विभाग को हस्तांतरित कर देंगे । स्वप्निल जैसे अनेक स्वयंसेवक इस स्थान को प्रकृति से जुड़ने के लिए, वह भी मुम्बई की पाषाण -सभ्यता के बीच में ! इस प्रकार अनेकों ऐसे लुप्त होते स्थानों को वापस ला पाएंगे । उनके प्रयासों द्वारा इस स्थान का तापमान 2.5 डि. कम हो गया है और जैव- विविधता (Bio – Diversity) को भी आकर्षित किया है ।
मनुष्य उत्पन्न वन प्रदेश की उत्पत्ति के यन्त्र –
इस स्थल का वर्तमान चित्र -
केवल तीन ही वर्षों में , इस क्षेत्र में 50 विभिन्न किस्मों के 14,000 वृक्ष लगाए जा चुके हैं । आप पूछेंगे – इनकी सुरक्षा का क्या प्रतिशत है ? उत्तर है- आश्चर्यजनक 90% ! इस आश्चर्यजनक उपलब्धि का कारण है , हरियाली प्रतिष्ठान, जिसने इससे पूर्व दो मानवकृत वनों की उत्पत्ति की एवं व. वि. के तथा उसकी सहयोगी संस्था I. A. H.V ( आर्ट ऑफ लिविंग की ही भगिनी- संस्था )।
“हरियाली संस्था की प्रेरणा से , हमने 3 बाँध बनाए , जिनमें पानी को सुरक्षित किया जाता है , 17 बँधारे , 2 बोरवेल, लगभग 60% क्षेत्र में टपक (ड्रिप) सिंचाई प्रणाली को स्थापित किया गया है । इस क्षेत्र का पालन श्रमिकों द्वारा किया जाता है , जो कि विषैले बीजों और कण्टकों को निकालते हैं । इन उपायों से पौधों की सुरक्षा -दर में वृद्धि आई है ।“ IAHV – VVKI के परियोजना – प्रमुख नागेश वानकादरी का कहना है ।
इस परियोजना को कार्यरूप देने के लिए, IAHV – VVKI ने 11 बड़े -बड़े निगमों जैसे बी.एन. वाई (BNY) मेलोन और टाटा कम्यूनिकेशन और भी अन्य सी. एस. आर संयोजको के साथ हाथ मिलाए हैं ।
नागेश के शब्दों में – “ कर्मचारियों को कार्यरत करने हेतु , ये बड़े-बड़े निगम वृक्षारोपण की गतिविधि का आयोजन करते हैं । हम उनको इस गतिविधि को कार्यान्वित करने में हर प्रकार का सहयोग प्रदान करते हैं।“
परियोजना के सफ़ल प्रयासों के बावजूद, समूह को कुछ कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है । नागेश के शब्दों में -" एक बार एक दावानल ने हमारे द्वारा लगाए गए 4000 वृक्षों को नष्ट कर दिया ।हमने तुरंत आग को बुझाकर पुनः उतने ही वृक्ष लगाए- जून 2019- सितम्बर 2019 के बीच ।“
ऐसी कठिनाईयों के बावजूद सुरेश पाटनकर को इस परियोजना के सफ़ल होने का यकीन है । हरियाली संस्था के पूर्व राष्ट्रपति एवं संरक्षक सुरेश पाटनकर के शब्दों में -" इस परियोजना के सत्र के अन्त में ,हम अवश्य ही प्रस्तावित संख्या के वृक्ष लगाएंगे , जिनकी ऊँचाई 10 फीट से अधिक होगी ।“
सुरेश को उम्मीद है कि यह स्थान नगरवासियों के लिए यात्रा एवं प्रकृति से जुड़ने के लिए अत्यंत सुंदर स्थल साबित होगा , जो कि होना प्रारंभ हो चुका है ।
मुम्बई जैसे नगर में ‘राबाले' जैसा यह मानवकृत वनप्रदेश ,मुम्बई-वासियों के लिए निश्चित रूप से एक वरदान है , जो उनको खोना नहीं चाहिए।
लेखिका –वन्दिता कोठारी
कथा स्रोत – आर्ट ऑफ लिविंग ब्यूरो ऑफ कम्यूनिकेशन
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