(Below is a continuation of the post Truth Gives You Strength)
- तनाव मुक्त रहिये – अपने शरीर, मन और आत्मा को तनाव से मुक्त रखिये| यह एक बार का काम नहीं है, इसे बार-बार करते रहना पड़ेगा| ठीक वैसे ही जैसे आप हर रोज़ अपने दांत साफ़ करते हैं|
- समाज के लिए कुछ करिए – थोड़ा बहुत ही सही, जितना हो सके समाज के लिए कुछ सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध रहें|
- पूर्वाग्रह से दूर रहें – अपने मन और बुद्धि में कोई पूर्वाग्रह न रखें, चाहे वह किसी धर्म के लिए हो, या फिर किसी जाति या लिंग के लिए|
- अपने परिवार/समाज और कार्यक्षेत्र में संतुलन रखें – कुछ लोग इतनी अधिक समाज-सेवा करते हैं कि वे अपने परिवार पर ध्यान नहीं देते| कुछ हैं जो अपने घर-परिवार में ही इतना उलझे रहते हैं कि उनकी दुनिया उनके घर के चार-दिवारी के बाहर ही नहीं जाती| ये दोनों ही अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग नहीं कर रहे हैं| जो लोग केवल अपने घर की चार-दिवारी में बैठे रहते हैं, उन्हें बाहर जाना चाहिए, मित्र बनाने चाहिए और समाज के लिए कुछ कार्य करना चाहिए| जो लोग पूरा समय सिर्फ बाहर ही रहते हैं, और घरवालों से ज्यादा अच्छे से बर्ताव नहीं करते हैं, उन्हें घर पर मृदु व्यवहार करना चाहिए| इस प्रकार अपने घर और कार्यक्षेत्र में संतुलन रखें|
- अपने लिए और समाज के लिए लक्ष्य रखिये और उसपर टिके रहिये – लक्ष्य कोई भी हो, लेकिन वह आपके व्यवसाय से हटकर हो, जैसे किताब लिखना, कविता लिखना, चित्रकारी करना, संगीत, छोटी कहानियां लिखना इत्यादि| जिस भी तरह संभव हो रचनात्मक बने रहना| सिर्फ इस भाव को मन में रखिये, और वह स्वयं ही आपके अन्दर प्रकट हो जाएगा| तो एक लक्ष्य आप अपने लिए रखिये, और एक लक्ष्य समाज के लिए रखिये – अपने आसपास के लोगो को प्रेरित करिए| जीवन में और समाज में दुखी, परेशान और अप्रसन्न रहने के 100 कारण हो सकते हैं, लेकिन इससे बाहर आना एक चुनौती है| आपको इस चुनौती को स्वीकार करना चाहिए| “कुछ भी हो जाए, मैं इन दुःख के बादलों से बाहर आऊँगा/आऊंगी” ; ठीक वैसे ही जैसे खराब मौसम में भी हवाईजहाज उड़ान भर लेता है| आपके साथ केवल वह रडार होना चाहिए, जो आपको किसी भी बादल के अन्दर से मार्ग दिखाता है और आपके चारों ओर जोश और उत्साह पैदा करता है|
श्री श्री रविशंकर –
एक बात याद रखिये – जितने लोग हैं, उतने विचार हैं और उतनी ही मान्यताएं हैं| सब सही नहीं हैं, और न ही आप प्रत्येक व्यक्ति की धारणा को बदल सकते हैं| और लोगों को अपनी अज्ञानता प्रदर्शित करने का पूरा अधिकार है!
श्री मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने से पहले इस देश में कितना बड़ा तूफ़ान आ गया था! कितने सारे लोगों ने, यहाँ तक कि महान बुद्धिजीवियों ने भी यह कहा था कि यदि मोदी जी प्रधानमंत्री बन गए तो वे देश छोड़कर चले जायेंगे| ये सभी धारणाएं और समझ अदूरदर्शी हैं| मैं चाहता हूँ कि हमारे बुद्धिजीवियों को थोड़ा सहज बोध (intuition) भी हो| उससे वे ज्यादा प्रसन्न रहेंगे और उनकी बातों में थोड़ी बुद्धि झलकेगी| हमारी आगे आने वाली पीढ़ियों में यह सहज बोध विकसित होना चाहिए, सिर्फ बुद्धिजीवी बकबक नहीं! जहाँ सहज बोध होता है, वहां शब्दों में कुछ वजन होता है|
कुछ लोग प्रश्न कर रहे हैं कि गुरुदेव ने ऐसा क्यों कहा कि US डॉलर का रेट INR 40 हो जायेगा| ऐसा मैंने नहीं कहा था, ऐसा तो उस समय सारे बैंक कह रहे थे| सिटी बैंक ने ऐसी रिपोर्ट दी थी| मैंने कहा था, कि यदि एक वित्तीय विश्लेषक (Financial Analyst) ऐसा कह रहा है, तो यह देश के लिए अच्छा है| हाँ, अब ऐसी चीज़ें रातों-रात तो नहीं होती| लेकिन हम सही दिशा में जा रहे हैं, अभी तो देश को बहुत आगे जाना है| इस देश के बुद्धिजीवियों को राजनीति छोड़कर, आपस में मिलकर कुछ ठोस सुझाव देने चाहिए जिससे देश की स्थिति में सुधार आये|
आज हमें एक भ्रष्टाचार-मुक्त समाज चाहिए, हमें चाहिए कि हर क्षेत्र का विकास हो और समाज के पिछड़े हुए वर्गों को सहायता मिले| ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व के हर हिस्से में होना चाहिए| हाँ, परिस्थिति पहले से काफी बेहतर है, लेकिन अभी और भी बहुत कुछ बाकी है|
आज सीरिया, ईजिप्ट और इराक़ में जो भी कुछ हो रहा है, वह सबके लिए चिंता का विषय है| हमें विश्व के इन भागों में और अधिक सहिष्णुता लाने की आवश्यकता है| वे सब लोग जो भारत देश में असहिष्णुता की बात कर रहे हैं, जो देश को छोड़कर जाना चाहते हैं, उन सबको ऐसे स्थानों में जाना चाहिए| वहां जाकर लोगों से बात करनी चाहिए और वहां सहिष्णुता सिखानी चाहिए! हम वहां उनके रहने और खाने-पीने की व्यवस्था कर देंगे; इन लोगों को वहां जाकर शान्ति, एकता और सहिष्णुता का सन्देश देना चाहिए, जिसकी आज इतनी आवश्यकता है|
झगड़ा पैदा करना बहुत आसान है, उसमें बिलकुल समय नहीं लगता| बल्कि, सिर्फ अनजाने में कहे गए कुछ शब्द आपके स्थाई शत्रु बना सकते हैं| आपकी कोई मंशा भी नहीं है, लेकिन आपने कुछ बकबक कर दिया है, और आपके कई दुश्मन बन जायेंगे| लेकिन मित्र बनाना एक बिलकुल अलग बात है, और आपको मालूम है कि उसके लिए क्या करना है|
श्री श्री रविशंकर –
मेरे प्रिय, मैंने आपको सबसे सुन्दर तकनीक ‘सुदर्शन क्रिया’ दे दी है| आप पहले ही वो अनुभव कर चुके हैं, जो स्वामी विवेकानंद को हुआ था; एक तरंग और शून्यता का भाव| क्या इससे आपका सम्पूर्ण दृष्टिकोण बदल नहीं गया? आपके दो जीवन हैं – एक सुदर्शन क्रिया करने से पहले, और एक उसके बाद| आपमें से कितने लोग इसे मानते हैं? (सभी दर्शक अपना हाथ खड़ा करते हैं)
देखिये, सभी अपना हाथ खड़ा कर रहे हैं| बल्कि सुदर्शन क्रिया करने से पहले आप जिस प्रकार के व्यक्ति थे, अब आप अपनी तुलना उस व्यक्ति से कर ही नहीं सकते! इसीलिये मैंने कहा, कि आपका पुनर्जन्म हुआ है|
जब आपको ध्यान में दीक्षा दी जाती है, तब आपके नए जीवन की शुरुआत होती है| बल्कि कुछ जगहों में, वे आपको एक नया नाम भी देते हैं, क्योंकि अब आप वह पहले वाले व्यक्ति रहे ही नहीं, बिलकुल बदल गए हैं| आपका लक्ष्य पहले से बहुत विशाल हो गया है, आपकी बुद्धि पहले से अधिक प्रखर हो गयी है, आपकी समझ पहले से अधिक तीक्ष्ण हो गयी है और आपका हृदय पहले से अधिक कोमल और मज़बूत हो गया है, ऐसा हुआ है कि नहीं? हाँ, तो बस यही है! मुझे आपके सिर पर हाथ या पैर रखने की आवश्यकता नहीं है|
आपको ऐसे साधन दे दिए गए हैं, जिनके माध्यम से आप स्वयं को ऊपर उठा सकते हैं| और केवल एक नहीं!! शक्ति क्रिया, सहज समाधि ध्यान भी| समय समय पर अलग प्रकार की तकनीकें दी गयीं हैं, ताकि आप एक ही चीज़ बार बार करके बोर न हो जाएँ! मैं आपके मन को समझता हूँ, कैसे आप वही प्राणायाम करते करते ऊब जाते हैं| मन हमेशा नयी चीज़ की ओर दौड़ता है, और ह्रदय हमेशा पुरानी चीज़ों में रस लेता है, पुरानी चीज़ों पर फ़क्र करता है| यहाँ आपके पास दोनों हैं – नया भी और पुराना भी! मैंने प्राचीन शास्त्र और ग्रंथों की व्याख्या भी करी है, उनके ज्ञान को बताया है, और साथ ही आपको नयी तकनीकें भी दी हैं|