यह वृत्तान्त ईमान का है जो अमेरिका से आजकल भारत में आर्ट ऑफ लिविंग के आश्रम में आयी हुई है। वह एक अजीब बीमारी से पीड़ित थी जिसे कोई ठीक से समझ नहीं पा रहा था । ८ साल से चल रही इस बीमारी का नाम पता चला एंजियोडिमा रोग (Angioedema) । जुलाई २०१६ में जब ओ आयी तो सिर्फ और सिर्फ जूस ही पी सकती थी पूरी तरह से तनाव से भरी हुयी थी। उसके अपने लोगों से मेल जोल भी काफी काम हो चूका था। फिर सब द्वार बंद होने पर आयुर्वेदिक उपचार के लिए वह आर्ट और लिविंग के बैंगलोर आश्रम पधारी।
एंजियोडिमा क्या है| What is Angioedema ?
सऊदी अरेबिया के मुस्लिम परिवार में पली-बढ़ी ईमान ने उत्साह पूर्ण जीवन बिताया था। योग की तरफ बचपन से उनका रूचि रही है। फिर अमेरिका में जाने के बाद पूरी तरह अच्छी चल रही जिंदगी में ८ साल पहले ऐसा कुछ हुआ की खाना खाना पूरा ही छूट गया। पूरी तरह टूट चुकी ईमान ने पिछले कई साल में काफी उपचार किये परंतु कुछ फायदा नहीं हुआ। अचानक हुए एंजियोऐडीमा रोग के कारण ना भूख लगाती ना जबरदस्ती खा सकती । खाना भी हजम नहीं होता। हाथ के नाख़ून तक गिर जाते थे । कुछ भी खाने के बाद पूरे चेहरे पर सूजन आ जाती और गुर्दो में तकलीफ बढती रहती। दिनों दिन थकान महसूस होती रहती। इस तरह सालों बीत रहे थे अमेरिका के बड़े से बड़े डॉक्टर कुछ नहीं कर पा रहे थे। बहुतों ने उपचार करने से भी मना कर दिया और अधिकतर समझ ही नहीं पाये कि बीमारी क्या है । फल खाना भी नामुंकिन हो चुका था। सिर्फ और सिर्फ जूस (फलों का रस) पीने के कारण वह परेशान रहने लगी थी। निजी जिंदगी में सब कुछ टूट रहा था। करोडों रुपये दवाइयो और इलाज में जा चुके थे। बीमारी का नाम तक डॉक्टर्स को ७ साल बाद पता चला और उन्होने जो भी इलाज किये उससे सिर्फ सूजन कम हो जाती लेकिन कुछ और फायदा नहीं होता। बार बार इमरजेंसी कक्ष में जाना पड़ता था। कहीं घूमने जाना भी तकलीफ से कम नहीं था। वह मुरझाके काफी समय घर पर ही बिताने लगी थी।
आशा की किरण
आर्ट ऑफ लिविंग के विश्व संस्कृति मोहोत्सव पर मार्च २०१६ में उनका आना हुआ। फिर बैंगलोर में आयुर्वेदिक उपचार की पद्धति और श्री श्री आयुर्वेद अस्पताल को देखने के लिए वह वहाँ गयी। सब कुछ देखने के बाद उसने यहाँ आकर उपचार करने के बारे में तय कर लिया।
फिर जुलाई २०१६ में फिर से भारत पधारी। आते ही उन्होंने आयुर्वेद उपचार और आर्ट ऑफ लिविंग कौर्सेस का सहारा लिया। उनके कहने के मुताबिक श्री श्री आयुर्वेद अस्पताल में डॉ प्रेम से उपचार लेने के बाद उन्हें अच्छा लगने लगा। पेट में थोड़ी भूक आने लगी और फिर श्री श्री पंचकर्म के डॉ पद्मलोचन से मिली। उनके दिए उपचार के बाद ६ से ७ दिन में ही खाना खाने का मन हुआ। दोनों ही डॉक्टरों को बीमारी के बारे में पूरी तरह पता था। इन दोनों ने किये उपचार से जो ८ साल में नहीं हुआ वह ८ दिनों में ही हो गया। ८ साल बाद उन्होंने पहली बार खिचड़ी खायी। उन्होंने कहा
"इस घोर बीमारी से मेरा जीवन बिखर गया था अब आयुर्वेदिक उपचार के कारण मुझे एक नया जीवन मिल गया है। "
संक्रान्त सानु जो ईमान को १० सालों से सिएटल, अमेरिका में रहते हुए जानते है कहते हे कि -
"में ईमान की परेशानी से अवगत था, इस दौरान उसे काफी परेशानियां झेलनी पड़ी। आयुर्वेद के द्वारा उसे अच्छा होते देख मुझे बहोत ख़ुशी हो रही है और आर्ट ऑफ लिविंग उसका एक मात्र सहारा रहा । "
ख़ुशी से भरी हुयी ईमान (Benefits of treatment)
अब पूरी तरह ख़ुशी से भरी हुयी ईमान अपनी रोग निवृत्ति के पथ पर अग्रसर हे। प्रतिदिन खाना खाना उनके लिए एक आशीर्वाद से काम नहीं है।
इसका पूरा श्रेय वह सुदर्शन क्रिया,श्री श्री आयुर्वेद अस्पताल और श्री श्री पंचकर्म के डॉक्टरों को देती है।
ईमान बताती है - "आधुनिक उपचार पद्धति रोग के लक्षणों तक सीमित रह जाती है जबकी आयुर्वेद किसी भी तकलीफ या रोग को जड़ से मिटाता है। आयुर्वेदिक उपचार से पूरी तरह ठीक होना एकदम मुम्किन है। यह एक पुरातन उपचार पद्धति सच में चमत्कारी है। उपचार के साथ सुदर्शन क्रिया और ध्यान से काफी जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है। श्री श्री आयुर्वेद अस्पताल और श्री श्री पंचकर्म में उपचार के लिए मैं सदैव आभारी रहूंगी। "(Thanks to Sri Sri Ayurveda hospital and Sri Sri Panchakarma for ongoing angioedema treatment)
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