प्राचीन आयुर्वेद के खज़ाने में एक ऐसी मसाज भी है जो पूरी दुनिया में मशहूर हो रही है। इस मसाज को शिला अभ्यंग कहा जाता है जो कि स्टोन मसाज होती है। इस प्राचीन आयुर्वेदिक तकनीक में मसाज के लिए प्राकृतिक (herbal) आयुर्वेदिक तेल और एक प्रकार का पत्थर इस्तेमाल किया जाता है।
क्या है शिला अभ्यंग ?
ये मसाज परंपरागत रूप से संचार प्रणाली को बेहतर बनाने, मांस पेशियोंको लचीला बनाने और आराम देने के लिए , शरीर के विषाक्त पदार्थों (आम) को बाहर करने, दर्द से छुटकारा पाने और गहरे विश्राम के लिए किया जाता है।
सबसे पहले शरीर पर तेल लगाया जाता है जिससे तनाव दूर होता है और मर्मा (फिजिकल और ऐनर्जेटिक) बिंदु खुल जाते हैं। इसके बाद शिला को गर्म पानी में डुबाकर शरीर के मुख्य बिंदुओं (मर्मा) पर रखा जाता है। चिकित्सक सामान्य ताप के स्पटिकों का इस्तिमाल कर उसे शरीर के चक्र प्रणाली पर निश्चित क्रम में रखकर उसे संतुलित कर देता है। यह पत्थरोंको तेल से सने हुए मासपेशियों पर मजबूती से सरकाते है और नुकीले पत्थरों का गहरे अंग मर्दन (massage) के लिए उपयोग किया जाता है।
पत्थर का इस्तेमाल क्यों करें
स्टोन (पत्थर) ऊष्मा के अच्छे संचालक हैं।
- इन्हें उच्च, मध्यम और निम्न थर्मल रेडियंस की जगह लिया जा सकता है।
- स्टोन थेरेपी से शरीर और मन दोनों को बहुत आराम पहुंचता है।
- स्टोन की गर्माहट से शरीर से पूरा तनाव दूर हो जाता है और चिंता दूर हो जाती है।
- स्टोन और स्पटिक हमारे शरीर के असंतुलन को दूर कर देते हैं।
- शिला अभ्यंग स्टोन में मैग्नेटिक पावर भी होती है जो कि अवसाद, दुख और शारीरिक दर्द को खींच लेती है और काफी लंबे वक्त तक ये स्टोन गर्म भी रहते हैं।
कैसा हो आपका स्टोन थैरेपिस्ट
ये जरूरी है कि जिस स्टोन थेरेपिस्ट के पास आ जा रहे हैं वो सही तकनीक और स्टोन का इस्तेमाल करे, और उन्हें सही तापमान पर गर्म करे। मसाज के अलावा,मसाज करने वालों की मन की स्थिति का भी असर आप पर काफी हद तक पड़ता है ।
आज की दुनिया में शिला अभ्यंग का महत्व
आज कल के शहर व प्रोद्यौगिकी समाज लोगो को काफी तनावग्रस्त कर देते हैं, इसी करणवर्ष वे प्रकृति की औपचारिक तरंगो से पूर्णतः कट जाते है। अधिक केफ़िन का सेवन, मसालेदार भोजन, अस्त-व्यस्त जीवन, तनाव-- आज कल के शहरी समाज की इन शब्दों द्वारा व्याख्या की जा सकता है।
वे शांति को खोजने का प्रयास करते है परंतु वह सिर्फ अंदर गहराई में जा कर ही प्राप्त हो सकता है। अपनी प्राण शक्ति उजागर करके एवं अपने मन का अवलोकन करके। शिला अभ्यंग में इस्तेमाल होने वाली शिला (stone) की गर्मी से हमारा अतिसक्रिय मन और शरीर का वात कुछ अंश स्थिर हो जाता है। हमारा मन एक शांत व स्थिर स्थिति में पहुँच जाता हैं। अभ्यंग चिकित्सक गर्म शिला के द्वारा शरीर की धरती ऊर्जा के साथ काम करते हैं और गर्दन, कंधो व पीठ के हिस्सो पर, जहाँ अधिकतर तनाव रहता है उसे तनावमुक्त करते हैं। इस चिकित्सा के दौरान व्यक्ति एक सौम्य,शांत स्थिति का अनुभव करता है। यह प्रक्रिया हमारे तांत्रिक तंत्र (nervous system) को साफ़ करके पुनः तरोताज़ा बना देती है।
शिला अभ्यंग के लाभ
- रक्त संचार, परिसंचरण, लसीका (लिम्फ) और जीवन शक्ति को बढावा देता है।
- शरीर के विषाक्त पदार्थों (आम) को बाहर करने में सहायक है और तनाव भी कम करता है।
- तंग मांसपेशियों को आराम देकर सीधा कर देता है और मांस तंतुओं (टिश्यू) को लचीला बनाता है।
- शरीर के चक्रों पर पत्थर रखे जाने से चक्र प्रणाली को संतुलित कर देता है।
- रीढ़ की हड्डी पर पत्थर रखने से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को शांत करता है।
- वात प्रकोप को संतुलित कर शरीर को शांत करता है।
- आन्त्र इन्द्रियों का स्वास्थ्य बढ़ता है।
- धीरे से त्वचा की परत को निकालने में सहायक है।
- इसमें संगीत चिकित्सा के ध्वनि और कंपन को संमिलित किया गया है।
- पत्थर ऊर्जा के सूक्ष्म श्रोत होने के कारन अधिक ऊर्जा प्रदान करता है।
- जिगर के समारोह को बढ़ावा देता है।
याद रखें
शिला अभ्यंग एक पवित्र मसाज थेरेपी है जो बहुत सारे स्तरों पर आपकी शारीरिक और मानसिक समस्याओं से निपटती है। लेकिन हमें ये समझने की जरूरत है हर किसी की स्वास्थ्य स्थिति अलग अलग होती है इसलिए परिणाम भी अलग अलग आ सकते हैं।
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