मर्म चिकित्सा क्या है?
मर्म चिकित्सा आयुर्वेद का एक महत्वपूर्ण अंग है जो की शरीर की बाधित ऊर्जा केन्द्रों की सफाई कर शरीर के स्वास्थ्य को बनाये रखता है।
मर्म शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘मृण मणआय’ से हुई है। संस्कृत के वाक्यांश ‘मृणआयते अस्मिन इति मर्म’ का अर्थ है कि यदि इन केन्द्रों पर ऊर्जा बाधित हो तो शरीर में भयंकर बीमारी या मृत्यु की संभावना बनी रहती है। इसीलिए इन क्षेत्रों को मर्म कहा जाता है। संस्कृत में मर्म का एक और अर्थ है;छुपा हुआ या रहस्य। यदि इसे परिभाषित किया जाय तो मर्म शरीर के संधि स्थल है जहाँ दो और दो से अधिक उत्तक मिलते हैं; जैसे- मांसपेशियां, नस, हड्डियां, जोड़ या अस्थिबंध।
आयुर्वेद के 107 मर्म केंद्र
मर्म चिकित्सा में 107 केन्द्रों का उपयोग किया जाता है, जो की हमारे शरीर और चेतना के द्वार हैं। हमारा मन 108वां मर्म केंद्र है।
हमारें शरीर के 107 चक्र मुख्य मर्म केंद्र से सम्बंधित है और हमारे शरीर में ऊर्जा के केंद्र हैं; जबकि गौण केंद्र धड़ और उसके चारों ओर फैला हुआ है। इन केन्द्रों का आकार एक से छः इंच व्यास तक होता है। इन केन्द्रों के प्रारूप को विस्तारपूर्वक सदियों पूर्व आयुर्वेद के महान ग्रन्थ सुश्रुत संहिता में बताया गया है।
ये केंद्र शरीर के आगे और पीछे दोनों ओर होते हैं, जिनमे;
- 22 शरीर के निचले हिस्सों पर
- 22 भुजाओं पर
- 12 छाती और पेट पर
- 14 पीठ पर
- 37 सिर और गर्दन पर
मर्म चिकित्सा के दौरान क्या होता है?
मर्म चिकित्सा में बहुत हल्की संवेदना इन केन्द्रों पर की जाती है जो की शरीर की बाधित ऊर्जा को समाप्त कर शारीरिक और मानसिक रूप से आराम पहुंचाती है और शरीर की कार्य क्षमता को बढ़ाती है। यह एक प्रभावी प्रक्रिया है जो की शरीर के सूक्ष्म और संवेदनात्मक ऊर्जा केन्द्रों को खोल कर शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाती है जिसे स्रोथास कहते है।
मर्म केंद्र को जब त्वचा पर हल्के ढंग से दबाया जाता है तो यह सकारात्मक ऊर्जा की कड़ी को उत्तेजित कर शरीर के संतुलन को बनाये रखता है।
सुदर्शन क्रिया से तन-मन को रखें हमेशा स्वस्थ और खुश !
मर्म चिकित्सा क्यों सर्वोत्तम है?
मर्म चिकित्सा कई स्तरों पर कार्य करती है जैसे- शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक एवं आध्यात्मिक साथ ही यह शरीर में असाधारण बदलाव लाती है।
- यह पुराने और असहनीय दर्द से राहत दिलाता है
- यह सभी स्तरों पर शरीर की आतंरिक सफाई(detox) करती है
- यह शरीर तथा शरीर के सभी अंगों की कार्य क्षमता विशेषकर प्रतिरोधक क्षमता, पाचनतंत्र, श्वसन प्रणाली, स्नायुतंत्र तथा मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाती है
- इससे त्वचा स्वस्थ एवं कांतिमय होती है
- यह शरीर के तापमान तथा त्रि दोषों में संतुलन बनाये रखती है
- यह स्नायु रसायन जैसे सेरोटिन और मेलाटोनिन को स्त्रावित करता है जिससे बोध क्षमता और गहरी निद्रा में सुधार आता है।
मर्म चिकित्सा के द्वारा अधिक रचनात्मक एवं ऊर्जावान:
मर्म चिकित्साको समझने का एक बड़ा रहस्य;
मर्म चिकित्सा वास्तव में आपकी चेतना और जागरूकता में बदलाव लाती है। मर्म केंद्र पर काम करते हुए इन बिन्दुओ पर नियंत्रण रखा जा सकता है;
- प्राण स्तर पर
- इंद्रियग्राही एवं संवेदी अंगों पर
- संपूर्ण मानसिक-शारीरिक गठन पर
यह हमें अपनी चेतना की उचावस्था तक पहुँचाने में सहायक होता है। इन उपायों का प्रयोग कर मनुष्य अपने स्वास्थ्य, रचनात्मकता तथा नवीन ऊर्जा को बढ़ा सकता है।