प्राचीन भारतीय वैदिक काल में, किसी भी साधना के लिए, एक जोड़े के एक अकेले व्यक्ति को अनुमति नहीं दी गई थी क्योंकि यह असंतुलन पैदा करेगा। यदि विवाहित हैं, तो दोनों व्यक्तियों को इस तरह की प्रथाओं का हिस्सा बनना पड़ता है। विश्वास यह था कि एक लाभान्वित होगा जबकि दूसरा नहीं होगा, लेकिन जब पति और पत्नी दोनों एक साथ भाग लेंगे, तो वे संघ में आगे बढ़ते हैं। अन्यथा, अगर एक परिपूर्ण हो जाता है और दूसरा परिपूर्ण नहीं होता है, तो वैवाहिक जीवन में संघर्ष होगा और इसलिए एक नियम बनाया गया कि दोनों को एक साथ भाग लेना चाहिए।
इस नियम की सुंदरता को न केवल अनुष्ठानों या समारोहों में बल्कि रोज़मर्रा की प्रार्थनाओं में भी महत्वपूर्ण माना गया है।
गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी कहते हैं, "प्रत्येक आत्मा में खुशी की तलाश करने की प्रवृत्ति स्वाभाविक होती है जो हमेशा बनी रहती है, और हमेशा प्रसन्नचित्त रहना केवल ध्यान के माध्यम से ही संभव है।”
ध्यान के कई लाभ हैं, जैसे की -
- सहज समाधि जैसी ध्यान तकनीकें इतनी प्रभावशाली हैं कि इनसे होने वाले परिवर्तन का दूरगामी प्रभाव होता है।
- यह व्यक्ति के भीतर एक संतुलन लाता है जो किसी तरह की उपलब्धि, अहंकार और अलगाव की भावना से बचाता है|
- ध्यान के अभ्यास से आपसी सम्बन्ध अच्छे बने रहते हैं।
- जैसे-जैसे आराम का स्तर अभ्यास के साथ बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे कपल खुद को एक साथ ध्यान करते हुए पाते हैं। जब जोड़े एक साथ ध्यान करते हैं, तो उनके चारों ओर ऊर्जा, शांति और एकता की भावना मजबूत होती है।
- आनंद जो भीतर पैदा होता है, वह आपके कार्यस्थल पर, आपके व्यक्तिगत जीवन में सहज रूप से परिलक्षित होता है।व्यक्ति मांग करने के बजाय दूसरे के जीवन में योगदान करता है।
“एक साथ गुणवत्तायुक्त समय बिताना, हर जीवनसाथी की इच्छा होती है। हम छुट्टियों, फिल्मों, रेस्तरां में जाते हैं और कहाँ नहीं लेकिन फिर भी और अधिक समय के लिए तरसते रहते हैं।एक चीज जिसने वास्तव में हमें एक साथ गुणवत्तायुक्त समय बिताने की संतुष्टि दी है, वह है ‘ध्यान’ हाँ ! 20 मिनट एक साथ ध्यान करने से हमारे बीच प्रेम और आपसी सहयोग में वृद्धि हुई है । मै और मेरे पति उनके ऑफिस शिफ्ट के अनुसार ध्यान का समय निर्धारित करते हैं और दिन में कम से कम एक बार एक साथ ध्यान करते हैं। एक-दूसरे से बात नहीं करने के लिए आमतौर पर जो तर्क दिए जाते हैं, वे अब हमारे साथ नहीं हैं। एक साथ ध्यान करने से हमें उस भव्यता का अनुभव हुआ है जो हम ‘हैं’ और ध्यान ने हमें छोटी-छोटी चीजों को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़ने की दिशा दी है।हम दोनों को अपने काम पर अधिक ध्यान केंद्रित करने और आर्ट ऑफ लिविंग में सेवा गतिविधियों के माध्यम से समाज के लिये कुछ करने की प्रेरणा देता है।हमारे समय की सबसे मधुर मुस्कान और अटूट विश्वास ही वह उपहार है जो हमें एक साथ ध्यान द्वारा प्राप्त होता है।” -
प्रशांत चौधरी एक अग्रणी एयरलाइंस में एयरक्राफ्ट मेन्टेन्स इंजीनियर हैं , जबकि उनकी अर्धांगिनी शुभम चौधरी एक प्रोसेस लीड हैं और एक आर्ट ऑफ़ लिविंग प्रशिक्षिका भी हैं।
ध्यान को एक संयुक्त अभ्यास बनाने से जीवनसाथी जोड़े एक दूसरे के साथ सरल और सहज होंते है।हालाँकि, एक ऐसे युग में जहाँ व्यक्तिवाद, कथित अधिकारों और विविधता का नियम है, हमेशा ऐसा नहीं होता है कि हम जोड़े में एक साथ ही ध्यान करना चाहते हों। और यह ठीक भी है।
मेडिटेशन रिट्रीट सेंटर,आर्ट ऑफ़ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर बेंगलुरु, भारत, में कुछ समय अपने साथ व्यतीत करें। यहाँ जीवनसाथियों सहित हर किसी के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इसलिए आश्रम विश्व भर के कपल मेडिटेशन रिट्रीट के लिए प्रसिद्ध है। आश्रम में दिन भर में निर्देशित ध्यान सत्र सहित विभिन्न गतिविधियाँ शामिल होती हैं। एक अच्छी शुरुआत के लिए, जीवनसाथी कपल के लिए निर्देशित ध्यान शानदार रहता है|
सहज समाधि ध्यान” सबसे सरल तकनीकों में से एक है और दैनिक अभ्यास के लिए उपयुक्त भी।
एक साथ ध्यान की शुरुआत कैसे करें ?
कल के लिए स्थगित करने के बजाय आज ही एक साथ ध्यान करना शुरू करें। एक साथ ध्यान लगाने के लिए हर रोज़ एक निश्चित प्राथमिकता तय करें। आप ध्यान से पहले वॉक / जॉग / योग जैसी शारीरिक गतिविधि को एक साथ शामिल कर सकते हैं , इससे आपका ध्यान और गहरा हो जाएगा