हमें ध्यान की क्या आवश्यकता है? ध्यान करने के कौन-कौन से तरीके हैं? सफलता पूर्वक ध्यान कैसे करें? ध्यान के अलग-अलग कौन से प्रकार हैं? ध्यान के कौनसे रहस्य हैं? आप स्वयं को ध्यान करने के लिए कैसे तैयार करें? साधारण - स्वयं को घर में होने जैसा महसूस करें, सामान्य रहें, यदि आप बहुत औपचारिक होंगे तो ध्यान नहीं कर सकेंगे। ध्यान में आवश्यकता है अनौपचारिक और विश्राम में रहने की।
प्रत्येक मनुष्य को ध्यान की आवश्यकता है, क्योंकि लोगों की यह एक प्राकृतिक चाहत होती है कि ऐसा आनंद मिल जाए जो कभी समाप्त ना हो, ऐसा प्रेम प्राप्त हो जाए जो कभी विकृत ना हो, और ना ही नकारात्मक भावनाओं में बदले। यह सब रहस्य उन लोगों के सामने खुल जाते हैं जो कि ध्यान करते हैं।
ध्यान के रहस्य | Secrets of meditation
जन्म से पूर्व ध्यान |Prenatal meditation
ध्यान में आराम |Comfort of meditation
ध्यान जीवन चक्र है | Meditation in the cycle of life
आत्मा के लिए आवश्यक पोषण | Essential nutrient for the soul
प्रत्येक आत्मा साधक है | Every soul is a seeker
जन्म से पूर्व ध्यान |Prenatal meditation
क्या ध्यान कोई अनजानी घटना है? बिल्कुल नहीं! आप तब से ध्यान कर रहे हैं जब आपका जन्म भी नहीं हुआ था। जब आप अपनी माता के गर्भ में थे, कुछ नहीं कर रहे थे, आपका भोजन सीधे आपके पेट में पहुँच रहा था, उसको चबाना भी नहीं पड़ता था, आप आनंदपूर्वक से माँ के गर्भ में तैरते थे, करवट लेते थे, पैर चलाते थे और वास्तव में आप बस थे! यह ही ध्यान था! आप कुछ नहीं करते थे, सबकुछ आपके लिए अपने आप हो जाता था। तो यह सब मनुष्य की प्राकृतिक प्रवृत्ति होती है, प्रत्येक आत्मा की यही इच्छा होती है कि वह संपूर्ण विश्राम में रहे।
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ध्यान में आराम | Comfort of meditation
आपको पता है कि आप विश्राम क्यों करना चाहते हैं? क्योंकि आप किसी एक बिंदु पर आराम पाते हैं- आप जिस स्थिति में पूर्ण विश्राम का अनुभव करते हैं उसी को 'ध्यान' कहते हैं। और आप उस स्थिति को बार-बार प्राप्त करना चाहते हैं । ध्यान पूर्ण विश्राम है, ध्यान वापस उसी स्थिति में आना है जिसका आप इस दुनिया की उथल- पुथल में पहुँचने से पहले भी अनुभव कर चुके हैं| और ऐसी इच्छा होना स्वाभाविक है। इस संसार की हर वस्तु का एक चक्र है और अंत में यह अपने मुख्य स्त्रोत से मिलना चाहती है। यह प्रकृति का स्वभाव है।
ध्यान जीवन चक्र है| Meditation in the cycle of life
शरद ऋतु में सारे पत्ते झड़ कर मिट्टी में गिर जाते हैं और प्रकृति अपने संचालित तरीके से उनको दोबारा रूपांतरित कर देती है। यह मनुष्य का एक प्राकृतिक स्वभाव है कि जीवन में प्रतिदिन के अनुभव को इकट्ठा करके हम दोबारा उसे दोहराते हैं। और बाद में उससे निकलना चाहते हैं। और वापस अपने प्राकृतिक स्वरूप में आना चाहते हैं। जिस स्वरुप में हम इस दुनिया में आए थे। ध्यान की अवस्था में। ध्यान ताजगी, जीवंतता और शांति में वापस आना है, जो कि आपकी प्राकृतिक स्थिति है। यह पूर्णतया उल्लास और प्रसन्नता की स्थिति है!
आत्मा के लिए आवश्यक पोषण | Essential nutrient for the soul
ध्यान उत्तेजना रहित प्रसन्नता है, चिंता रहित रोमांच और घृणा रहित प्रेम है। यह आत्मा के लिए प्रमुख भोजन है। जिस प्रकार शरीर को जब भूख लगती है तो भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार आत्मा की आवश्यकता ध्यान है।
प्रत्येक आत्मा साधक है | Every soul is a seeker
इस ग्रह पर एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो कि साधक ना हो। तो लोग इससे परिचित हों या न हो पर वह सब उसी विश्राम की खोज में है जो कि ध्यान के रहस्य में छुपा हुआ है। कठिनाई यह है कि वह इस सुख की खोज गलत जगह पर कर रहे हैं। यह ऐसे ही है जैसे कि आपको अपनी कार में हवा भरवानी है और आप किराने की दुकान पर पहुँच गए! वहाँ पर आपका काम पूरा नहीं होगा। उसके लिए आपको पेट्रोल पंप पर जाना पड़ेगा। तो, आपको सही दिशा चाहिए। श्री श्री रवि शंकर का निर्देशित ध्यान मन को सही दिशा दिखाता है।
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ध्यान करने के कौन से प्रकार हैं? आप स्वयं के भीतर संपूर्ण विश्राम का अनुभव कैसे कर सकते हैं? अधिक जानने के लिए पढ़ें। ध्यान के तरीके
शारीरिक व्यायाम | Physical exercises
सांस की प्रक्रिया | Breathing techniques
१: शारीरिक व्यायाम
शारीरिक का प्रथम अर्थ है, योग और शारीरिक व्यायाम द्वारा। जब आपका शरीर कुछ विशेष गति के साथ, कुछ विशेष मुद्राएं करता है, तब इससे थकान का अनुभव होता है|यह मन को ध्यान की तरफ ले जाने में सहायता करता है । यदि आप बहुत अधिक सक्रिय हैं या बहुत अधिक विश्राम की स्थिति में हैं तब ध्यान नहीं कर सकेंगे। आपका शरीर विश्राम और कार्य के मध्य की स्थिति में होना चाहिए- इस नाजुक संतुलन में मन और पूरा शरीर ध्यान की अवस्था में पहुँच जाता है।
२: सांस की प्रक्रिया
दूसरा तरीका है प्राणशक्ति या साँस के द्वारा। साँस के द्वारा आप ध्यान में जा सकते हैं।सुदर्शन क्रिया इसका उत्तम उदाहरण है। प्राणायाम और सुदर्शन क्रिया के बाद बिना किसी प्रयास के आप ध्यान में जा सकते हैं।
३: संवेदक अंग
तीसरा है संवेदक सुख- देखना, ध्वनि, स्वाद, सुगंध तथा स्पर्श। यह पाँच संवेदक अंग पांच तत्वों से संबंधित है- धरती, जल, वायु, अग्नि और आकाश। इन पांचों तत्वों के विभिन्न संयोजन से इस ब्रम्हांड का निर्माण हुआ है। यह पांच तत्व हमारी पांचों इंद्रियों से जुड़े हुए हैं। अग्नि दृष्टि तत्व से, सुगंध पृथ्वी तत्व से, ध्वनि आकाश से और वायु स्पर्श से सम्बंधित है। आप इनमें से किसी भी एक तत्व में पूरी तरह मग्न हो जाएँगे तो गहन ध्यान की अवस्था में पहुँच जायेंगे |
४: भावनायें
चौथा तरीका है भावनाओं द्वारा। भावनाओं द्वारा भी ध्यान में जाया जा सकता है।
५: बुद्धि
पाँचवां है बुद्धि द्वारा। जब आप बैठकर समझते हैं कि हमारा शरीर अरबों-खरबों अणुओं परमाणुओं से बना है तो आपके अंदर कुछ होता है। आपके भीतर उत्तेजना का अनुभव होता है। जब आप अंतरिक्ष संग्रहालय में जाते हैं या ब्राह्मंड के विषय में कोई फिल्म देख कर निकलते हैं तो क्या आपको कुछ अलग-अलग सा अनुभव नहीं होता? आपके भीतर कुछ होता है! आप इस अनुभव से आसानी से बाहर नहीं आ पाते तथा अपनी दिनचर्या में भी इसका अनुभव करते हैं! ऐसा इसलिए होता है कि जब आप जागृत होकर ब्रह्मांड की विशालता को देखते हैं तो जीवन की दिशा में परिवर्तन आ जाता है।
नियमित रूप से ध्यान का अभ्यास तनाव से संबंधित समस्याओं से आपको छुटकारा देता है, दिमाग को गहराई से आराम देता है और शारीरिक प्रणाली (सिस्टम) को फिर से सुचारु रूप से कार्यान्वित करता है। आर्ट ऑफ़ लिविंग का सहज समाधि ध्यान एक विशेष रूप से तैयार किया गया कार्यक्रम है जो आपको अपने भीतर गहराई में ले जाकर अपनी असीमित क्षमता को उजागर करने में मदद करता है।
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यह लेख 20 अप्रैल, 2012 को कैलिफ़ोर्निया में गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर द्वारा दिए गए 'ध्यान के रहस्य' नामक वार्ता की एक श्रृंखला पर आधारित है। यह श्रृंखला ज्ञान पत्रों के रूप में प्रकाशित हो चुकी है।
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