क्या जब आप किसी मित्र को फोन पर ‘संदेश’ भेज रहे होते हैं, आपका ध्यान कभी अपने पर रहा? आपकी अंगुलियाँ अंजाने मे ही की-पैड पर चली जाती हैं और लिखकर, आप अपने विचारों को व्यक्त कर देते हैं । अपने स्मार्ट फोन पर किसी को संदेश भेजना एक सहज प्रक्रिया की तरह है। 1,2, 3 और आप उड़ने को तैयार हैं । ध्यान भी जीवन की अनेक प्रक्रियाओं के जैसे ही है। ध्यान उनमे से एक है। इससे पहले कि आप दोबारा सोचें और आश्चर्य करें कि मित्र को संदेश भेजने की तुलना आखें बंद कर शांत बैठने से कैसे है, आइये जानते हैं -
- ध्यान सहज प्रक्रिया है।
- जैसे ही आप कुछ दिन ध्यान करेंगे यह आदत प्रतिबिंबित हो जाएगी।
- यह अविलंब क्रिया है- कुछ ही देर मे ध्यान आपको पूर्ण रूप से तरोताज़ा करता है।
ध्यान के समय, पूर्व और बाद के कुछ सुझाव जो आपको विश्राम में सहयोग करेंगे और ध्यान के उन क्षणों को पूर्ण रूप से उपयोगी होने मे सहायक होंगे।
1. ध्यान से पहले
- ध्यान से पूर्व स्नान व स्वच्छ कपड़े पहनना एक उत्तम अभ्यास है। स्नान दिन भर के सभी दूषित परत हटाकर बेहतर ध्यान करने मे सहायता करता है यदि आप सुबह ध्यान कर रहे हैं, यह बेहतर है कि ध्यान से पूर्व स्थान साफ़ कर लें |
- अपने मन को आराम देने के लिये ध्यान जरूरी है। अगर आपके पास थोड़ा और समय है आप कुछ योगासन या सूर्य नमस्कार कर सकते है। योगासन के बाद कुछ देर प्राणायाम, शरीर में उर्जा को संचालित कर ध्यान के लिये तैयार करता है।
- खाली पेट ध्यान करना बेहतर माना जाता है। एक पारंपरिक पद्धति के अनुसार, भोजन से पहले ध्यान विश्व के कई भागों मे अपनाया जाता है। ध्यान के पहले भोजन करना एक मापक की तरह होगा क्योंकि उपापचय प्रक्रिया मन को विश्राम में नहीं रहने देती। “हमारा मानव शरीर अनुकूलित है, यदि इस अभ्यास को हम जीवन का अंग बना लें तो आवश्य ही हमें बहुत फायदे होंगे।जिन लोगो को दिन में कई बार खाने की आदत है उनके लिए अच्छा होगा यदि वो हलका नाश्ता जिसमें दो कुकीज़ या एक केला हो” ऐसा प्राजकती देशमुख कहती है – एक वरिष्ठ प्राध्यापक आर्ट आफ लिविंग से।
2. ध्यान के समय
i. अगर बाहरी जगत मे शासन कर्म के द्वारा किया जाता है। तथापि आंतरिक जगत मे शासन सहजता से ही सम्भव है। तब ध्यान एक सहज अनुभूति बन जाता है।
ii. ध्यान करने के तीन स्वर्ण उपाय :-
- “मैं कुछ नहीं हूँ” – ध्यान मे कुछ करना नही होता है। आप बस श्वास लेते हैं।
- “मैं कुछ नहीं हूँ” – हम अपने जीवन मे बहुत सारे किरदार निभाते हैं। एक पहचान को बनाए रखना आपके मस्तिष्क के साथ खेल खेलता है और आपको स्थिर होने मे बाधित करता है।बल्कि हम ध्यान में स्वयं से संबंधित सब आडम्बर छोड़ देते हैं । मै धनवान, गरीब, समझदार, बेवकूफ, पुरुष या महिला या कुछ और हूँ। अगर ध्यान के समय आप यह सोच ले कि मैं महान हूँ या मैं निकम्मा हूँ किसी कार्य का नहीं है। ऐसी स्थिति मे अंतःकरण मे स्थिर होना संभव नहीं है।
- “मुझे कुछ नहीं चाहिए”- ना कोई नया फोन न चलचित्र, ना कोई स्वादिष्ट व्यंजन ध्यान के अगले 20 मिनट कुछ नहीं चाहिए।
3. ध्यान के बाद
- ध्यान के बाद मौन और शांति के कुछ मिनट आवश्यक हैं। तुरंत टेलीविजन या कम्प्यूटर के प्रति दौड़ उचित नहीं मानते। धीरे से काम के प्रति सजग हो और अपने दिनचर्या में जाए । अचानक की हुई गतिविधि दीमाग को हिला देती है।
- ध्यान के बाद आपको भूख का अनुभव हो सकता है। ध्यान के पश्चात आप सुबह का नाश्ता ही प्रतिदिन 20 मिनट ध्यान दिन के आखिरी भोजन से पहले सभी विचारों को हटा देता है।