ज़रा सोचिए ! शीर्षासन में बदलते पहाड़। गति चक्र से आकार बदलता शीर्षासन। पुलों का टूटकर दहाड़ते हुए शेर बन जाना। एक सी.जी.आइ. मूवी जैसा लगता है ना ? असल में वह कुछ नहीं है बल्कि एक सामान्य घर के दृश्य जैसे हैं जहाँ एक बच्चा मुख्य भूमिका निभाता है। भारी-भारी नाटक करने वाले बच्चे भी पैदाइशी कलाबाज होते हैं! उदाहरण के तौर पर, योगासन एक बच्चे के लिए स्वाभाविक आसन होते हैं। वास्तव में, सरल योगासन मानव शरीर में अंतर्निहित प्रतीत होते हैं।
यदि आप एक शिशु को देखते हैं तो आपको बच्चों के योग का एक अच्छा दृश्य दिखाई देगा। एक सोता हुआ बच्चा अनजाने में चिन मुद्रा बना लेता है जहां अंगूठा और तर्जनी उंगली एक-दूसरे को छूते हैं। अक्सर छह महीने का बच्चा अपनी पीठ को घुमाए भुजंगासन में पाया जाता है। जबकि, अधोमुख श्वान आसन एक बच्चे का बारहमासी पसंदीदा रहने वाला आसन है।
बच्चों के लिए योग के लाभ - क्यों करें बच्चों के लिए योग क्लास ?
दुर्भाग्य से, आज-कल बच्चा बनना आसान नहीं है| बच्चे अपना अधिकांश समय गृहकार्य और स्कूल से संबंधित पाठ्येतर गतिविधियों के बीच अलग करने में बिताते हैं। आराम से खेलने के लिए थोड़ा समय ही मिलता है। इन्हें अतिउत्तेजना एवं व्याकुलता का सामना करना पड़ता है; जीवन मे बहुत जल्दी शैक्षणिक दबाव और साथियों के दबाव का सामना भी। साथ ही वे अपनी असुरक्षा और भय से ग्रस्त हैं। योग, बच्चों को इस प्रेशर-कूकर जैसे वातावरण से लड़ने में मदद कर सकता है। और, यह उनके व्यक्तित्व में ऊर्जा एवं आत्मविश्वास का संचार करता है।
- योग तन, मन और श्वास की जागरूकता को विकसित करता है।
- एक बच्चे के भटकते मन को गिरफ्तार करने में मदद करता है।
- ध्यान अवधि और एकाग्रता शक्ति बनाता है कल्पना और रचनात्मकता को बढ़ाता है।
- मानसिक और शारीरिक थकान को दूर करता है। ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है और गहरा विश्राम
- भी प्रदान करता है।
- ईर्ष्या, भय और क्रोध जैसी नकारात्मक भावनाओं को दूर करने में मदद करता है।
- एक सकारात्मक आत्म छवि को बढ़ावा देता है और आत्मविश्वास बढ़ाता है ।
- श्वास और फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है।
- टीवी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के प्रति जुनून को कम करता है।
बच्चों के लिए योगासन
स्कूल जाने वाले बच्चों को योग क्लास के सहायक, गैर-प्रतिस्पर्धी वातावरण से अत्यधिक लाभ होगा। और अगर वे घर पर योगाभ्यास जारी रखना चाहते हैं तो निम्नलिखित आसन मददगार साबित होंगे।
सर्वांगासन
- मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बढ़ाकर उसे पोषण देता है ।
- हाथों और पैरों को मजबूत करता है।
- रीढ़ की हड्डी को लचीला रखता है,
- यह शारीरिक गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला में भागीदार सुनिश्चित करता है।
वीरभद्रासन
- बाजुओं और टांगों की मांसपेशियों को टोन करता है।
- शरीर के संतुलन में सुधार करने में मदद करता है।
- आंतरिक बल बढ़ाता है।
वृक्षासन
- बाजुओं और टांगों को टोन करता है। बच्चे शारीरिक गतिविधियों का अधिक आनंद लेने में सक्षम होते हैं।
- पीठ को मजबूत करने में मदद करता है जिससे लंबाई बढ़ती है।
- एकाग्रता शक्ति और ध्यान बढ़ाता है, निश्चित रूप से होमवर्क में एक बड़ी मदद मिलती है।
- मानसिक एवं शारीरिक संतुलन बढ़ाता है।
सूर्य नमस्कार
- तंत्रिका तंत्र को आराम देता है।
- यह मंच के भय जैसे मसलों को दूर करने में मदद करता है।
- टांगों और कूल्हों में लचीलापन बढ़ाता है। मोशन मे सुधार करता है।
- पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है। यह खेल के दौरान लचीलापन बढ़ाता है।
- स्टडी टेबल पर आसन के ढंग में मदद करता है। याददाश्त में सुधार करता है। सूर्य नमस्कार करने से मिलने वाले स्वास्थ्य को कम करके नहीं आंका जा सकता।
धनुरासन
- बाजुओं और टांगों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- पीठ को मजबूत और लचीला बनाता है।
- तनाव और थकान को दूर करने में मदद करता है।
शवासन
- शरीर को फिर से जीवंत करता है। तनाव और थकान को दूर करता है।
- एकाग्रता में सुधार लाते हुए, मन को शांत करता है।
- रक्त परिसंचरण को उत्तेजित करता है और शरीर को सक्रिय करता है।
हर बच्चे में रचनात्मकता होती है और यह एक अभिव्यक्ति पाती है जब वह योग एवं ध्यान का अभ्यास
करते हैं।" - गुरुदेव श्री श्री रविशंकर
बच्चों के लिए योग क्लास
आर्ट ऑफ लिविंग उन बच्चों के लिए कार्यक्रम आयोजित करता है जो अपनी मासूमियत को बरकरार रखते हुए अपनी बुद्धि का दोहन करते हैं।
उत्कर्ष योग
आयु वर्ग : 8+ से 13 वर्ष
- यह उत्कृष्टता में सर्वांगीण प्रशिक्षण कोर्स (उत्कर्ष योग) बच्चों के लिए एक इंटरैक्टिव, साहसिक और मजेदार कार्यशाला है।
- बच्चों को ध्यान और श्वास लेने की प्रक्रियाएं सिखाई जाती हैं जो उन्हें उतार-चढ़ाव वाली भावनाओं से निपटने में मदद करती हैं।
- फोकस, एकाग्रता और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- उत्कर्ष योग बच्चों में मजबूत मूल्यों का विकास करता है।
- माता-पिता को एक प्रसन्न रहने वाले बच्चे की परवरिश करने में मदद करता है।
ऑनलाइन मेधा योग स्तर - 1
आयु वर्ग : 13+ से 17 वर्ष
यह यूथ एम्पावरमेंट सेमिनार (मेधा योग) किशोरावस्था वालों के लिए है।
यह समूह चर्चा और टीम गेम्स के माध्यम से सूचित विकल्प चुनने के लिए किशोरों का मार्गदर्शन करता है।
मेधा योग कोर्स आत्मविश्वास और समस्या को सुलझाने का नजरिया पैदा करता है।
प्रज्ञा योग
आयु वर्ग : 5 से 18 वर्ष
आर्ट ऑफ लिविंग का प्रज्ञा योग या इन्ट्यूशन प्रोसेस 2 समूहों में बच्चों को उपलब्ध है। समूह एक, 5 से 8 साल वालों के लिए है और समूह दो, 8 से 18 साल वालों के लिए है।
मस्तिष्क सक्रियण खेलों, ध्यान एवं विश्राम तकनीकों के माध्यम से बच्चों के लिए जीवन कुशलताएं।
इन्ट्यूशन प्रोसेस :
अंतः प्रज्ञा में सुधार लाता है।
संवेदी क्षमताओं को बढ़ाता है।
जागरूकता और दूरदर्शिता में सुधार करता है।
आत्मविश्वास बढ़ाता है।
विवेक बढ़ाता है।
फोटोग्राफिक मेमोरी का विकास करता है।
अज्ञात के डर को दूर करता है।
बच्चों के लिए योग क्लासें शुरू करने के टिप्स
- सुनिश्चित करें कि बच्चों की योग क्लास नींद या खेलने के समय से न टकराए। बच्चे, क्लास को छोड़ना चुन सकते हैं!
- आसनों को समझाने के बजाय प्रदर्शित करें। बच्चे कानों की तुलना में अपनी आंखों से बेहतर अनुसरण करते हैं।
- बच्चों को चुनौती दें। वे आम तौर पर खुद से आगे निकलना पसंद करते हैं। उदाहरण के लिए, आप उन्हें पिछले दिन की तुलना में कम झुकने के लिए कह सकते हैं।
- अपने बच्चों की तुलना उनके उनसे अधिक लचकदार दोस्तों से ना करें। "जैसे कल थे उससे बेहतर बनो।" कहना "अपने दोस्त से बेहतर बनो।" कहने से ज़्यादा सकारात्मक है।
बच्चों की परवरिश की कला दिलचस्प भी है और चुनौतीपूर्ण भी। अपने बच्चों को योग से परिचित करा कर उनके लिए एक उपयोगी योगदान दें। वैसे भी, ज्यादातर बच्चे सोचते हैं कि योगासन करना एक प्रकार का मज़ा है। घुमाव और झुकाव उन्हें चुनौती देते हैं। आपको क्या पता! वे बस अपने स्वयं के आसन तैयार कर दें!