चक्कर आना वह लक्षण है जिसमें सर घूमता हुआ लगता है। साथ ही मस्तिष्क के संतुलन में गड़बड़ के कारण व्यक्ति स्वयं को हर समय असंतुलित महसूस करता है। कान के अंदर का वह भाग जो हमें चलते समय, दिशा और संतुलन निर्धारण करने में सहायक होता है, उसमें कैल्शियम या तरल पदार्थ के एकत्रित होने या किसी वायरस के कारण प्रभावित होता है। किन्तु यह सिद्ध हो चुका है कि योग-अभ्यास
के द्वारा इस दशा को पूर्ण रूप से हमेशा के लिए दूर किया जा सकता है और योग-आसन संतुलन-भाव और तंत्रिका तंत्र (nervous system) को पुनः पोषित करते हैं।
चक्कर आने के कारण एवं लक्षण
चक्कर आने का मुख्य कारण है, आंतरिक-कान को प्रचुर मात्रा में रक्त का प्रवाह न मिलना। सर्दी-जुकाम, फ्लू इत्यादि के वायरस आंतरिक कान में जमा हो जाते हैं जिसके कारण आंतरिक-कान और इसके तन्तुओं का मस्तिष्क से सम्बन्ध कमजोर हो जाता है और इस कारण यह समस्या अति-चरम पर भी पंहुच जाती है। चक्कर आने का एक और कारण हो सकता है खोपड़ी पर लगी कोई चोट या कोई नुक्सान, जो इसका एक गंभीर कारण बन सकता है, जिसमें हर समय चक्कर आना और श्रवण शक्ति का खो जाना भी संभव है। कुछ प्रकार के भोजन पदार्थ और हवा में विद्यमान कुछ प्रकार के कणों के प्रति एलर्जी (जैसे धूल, परागकण, मोल्ड्स, डन्डेर्स इत्यादि) के कारण भी इस रोग के लक्षणों का प्रादुर्भाव हो सकता है।
वर्टिगो-उपचार में योग-आसन सहायक
वर्टिगो उपचार के लिए उन आसनों का चयन किया जाता है जो हमारे तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करते हैं, आंतरिक कर्ण के केंद्र को संतुलित करते हैं और साथ ही एकाग्रता एवं ध्यान को पोषित करते हैं। इन आसनों का संवेदनिक तंत्रिका तंत्र (सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम) पर भी सीधा प्रभाव पड़ता है, जिससे सिर और शरीर के अन्य अंगों में रक्त संचार में सुधार होता है। वर्टिगो उपचार के मूल में है - मस्तिष्क की कोशिकाओं में शुद्ध और स्वस्थ रक्त का प्रचुर संचार। वे आसन जिनसे तंत्रिका तंत्र सक्रिय होता हो और मस्तिष्क में जाने वाले रक्त को शुद्ध करने में सहायता मिले, ऐसे आसन वर्टिगो के उपचार का सर्वोत्तम उपाय हैं।
चक्कर आने में विशेषतयः उपयोगी योग-आसन :
षण्मुखी मुद्रा
नाड़ीशोधन प्राणायाम
शीर्षासन
हलासन
पश्चिमोत्तानासन
शवासन