सर में चक्कर क्यों आता है ?
चक्कर आना सर में एक प्रकार के भारीपन के होने को दर्शाता है। मस्तिष्क में असंतुलन होना इस समस्या का मुख्य कारण है। यह अन्तःकर्ण जो ध्वनि की गति की दिशा निर्धारित करने वाले स्थान को प्रभावित करता हैं जो विषाणु, कैल्शियम या किसी अन्य द्रव् के बनने के कारण होता हैं। यद्यपि यह सिद्ध हो चुका हैं कि योगासन शरीर को संतुलित करते हैं और तंत्रिका को प्रभावित कर निश्चित रूप से चक्कर आने की समस्या को ठीक करते हैं।
कारण एवं लक्षण
चक्कर आने का मुख्य कारण अंतःकंर्ण मे रक्त के प्रवाह की कमी हैं, विषाणु मुखयतः जो जुकाम या फ्लू का कारण हैं, अंतःकर्ण को प्रभावित करते हैं और उस तन्त्रिका कोशिका को प्रभावित करते हैं जो मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं, इसके कारण बहुत अधिक चक्कर आने लगता हैं। सिर में कोई भी चोट, चक्कर आना, जी मचलाना एवं बहरेपन जैसी समस्या लाती हैं। कुछ भोज्य पदार्थ एवं वायु प्रकिरित कण, जो एलर्जी के कारण भी हैं, ये लक्षण बढ़ा देते हैं। तंत्रिकातंत्र की बीमारी जैसे स्क्लेरोसिस, सिफलिस, ट्यूमर आदि संतुलन को प्रभावित करते हैं।
अब ध्यान करना है बहुत आसान ! आज ही सीखें !
चक्कर का योग द्वारा इलाज
कुछ विशेष आसन तंत्रिका तंत्र को क्रियाशील बनाते हैं और अंतःकंर्ण को संतुलित रखते हैं| इन सब चीज़ों के कारण व्यक्ति की एकाग्रता भी बढ़ती है। कुछ आसन अनुकंपी तंत्रिका तंत्र (sympathetic nervous system) पर सीधा प्रभाव डालते हैं और सिर व शरीर के अन्य भागो में रुधिर प्रवाह सुधारते हैं। मस्तिष्क कोशिकाओं के लिए एक स्वस्थ, शुद्ध रक्त प्रवाह, चक्कर का इलाज करने की प्रक्रिया का सार है। योग आसन जो तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है, और जो मस्तिष्क में जाने वाले रक्त को शुद्ध करता है वह उपचार के रूप में इष्टतम हैं।
योगासन जो चक्कर से ग्रसित मरीजों के लिए आवश्यक हैं
- शंमुखी मुद्रा
- नाड़ी शोधन प्राणायम
- सलंब शीर्षासन
- हलासन
- पश्चिमोत्तानासन
- शवासन
शंमुखी मुद्रा
इसका अभ्यास मस्तिष्क एवं तंत्रिका तंत्र को आराम देता हैं। यह चिंता,उलझन अवं क्रोध से बचाव एवं उन्हें कम करने के लिए आवश्यक हैं। यह नेत्र एवं चेहरे की तंत्रिकाओं एवं ऊतक को आराम पहुचाता हैं और पुनर्जीवित करता हैं।
नाड़ी शोधन प्राणायाम
यह प्रक्रिया रुधिर एवं श्वसन तंत्र को शुद्ध करती हैं। गहरी श्वास से शरीर में अधिक ऑक्सीजन पहुँचती हैं जो श्वसन तंत्र को शक्ति प्रदान करती हैं और तांत्रिका तंत्र को संतुलित करती हैं।
सलंब शीर्षासन
अंगो पर गुरुत्व के उत्क्रमणीय खिंचाव के कारण, यह यकृत, अमाशय,वृक्क,आंत एवं प्रजनन तंत्र की क्रियाविधि को सुधारता हैं। चक्कर के इलाज के लिए इसका कुछ समय तक अभ्यास करने के बाद पीयूष एवं पीनियल ग्रंथि में सकारात्मक प्रभाव आता हैं जो वृद्धि एवं सेक्स हार्मोन की वृद्धि को प्रभावित करता हैं।
हलासन
हलासन गर्दन, कंधे, हाथ एवं पीठ की माश पेशियो को शक्ति प्रदान करता हैं। यह तंत्रिका तंत्र को शांत करता हैं, तनाव कम करता हैं। थाइरोइड ग्रंथि की क्रियाशीलता को प्रेरित करता हैं। स्त्रियों के रजोनिवृत्ति (menopause) में सहायता करता हैं।
पश्चिमोत्तानासन
यह योगासन तनाव से राहत देता हैं।चिंता,क्रोध एवं उलझन को कम करता हैं। यह मासिक चक्र को संतुलित करता हैं। शिशु जन्म के पश्चात स्त्रियों के लिए बहुत लाभदायक हैं।
शवासन
यह योगासन ध्यान की गहरी विश्रामावस्था में लाता हैं,जिससे ऊतक एवं कोशिकाओं का पुनर्निर्माण होता हैं, तनाव दूर करता हैं। यह रक्त चाप, चिंता एवं अनिद्रा में लाभदायक हैं।
यह आसन ना करें
चक्कर आने की समस्या (घुमरी) में अचानक आगे झुकने से बचना हैं। नीचे की ओर झुकने वाले आसन नहीं करने हैं। सभी आसन धीरे धीरे करने हैं।
अंत में,यह कहा जाता हैं कि मष्तिष्क कोशिकाओं में शुद्ध रुधिर प्रवाह चक्कर का इलाज हैं। आसान जो तंत्रिका तंत्र को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं औऱ शुद्ध रुधिर प्रवाह मस्तिष्क में करते हैं, इस रोग का इलाज हैं।