यह आसन एक मध्यम श्रेणी का योग आसन है, जैसा कि नाम से इंगित है यह आसन हनुमान जी से सम्बंधित है। हनुमान जी ने जब समुद्र तट से श्री लंका के लिए छलांग लगायी थी, उसी छलांग पर यह आसन आधारित है। इस आसन में हम अपने शरीर को एक बन्दर की भाँती मोड़ने का प्रयास करते हैं, इसीलिए इस आसन को मोंकी पोज़ (Monkey Pose) भी कहा जाता है। कूल्हों की मासपेशियो के लिए लाभकारी यह आसन झांघों और पैरो को लचीला बनाता है। कमर व कूल्हे से सम्बंधित परेशानी में ये लाभकारी है।
पूर्वापेक्षा
हनुमान आसन कूल्हे कि मांसपेशियों को खोलता है और उरुसंधि (पेट और जांघ का जोड़) और घुटने के पीछे की मांसपेशियों में खिचाव लाता है। इस आसन को करने से पहले कूल्हे को खोलने के कुछ वार्म अप व्यायाम अवश्य कर लें।
हनुमान आसन की विधि | How to do the Hanuman asana in Hindi:
- घुटनो के बल खड़े हो जाएँ, दोनों घुटनो में कुछ अंतर रखे। अपने दाहिने पंजे को आगे बढ़ाएं और इस प्रकार रखे की एड़ी जमीन को छूती रहे और पैरकी उंगलिया आकाश की ओर रहे।
- अब सांस छोड़ते हुए अपने शरीर के ऊपरी भाग को आगे की ओर झुकाये और अपने हाथ की उँगलियों को जमीन से स्पर्श कराएं।
- धीरे धीरे बांये घुटने को पीछे की ओर ले जाएँ, पंजे को इस प्रकार रखे कि तलवे आकाश की ओर हों।
- साथ साथ अपने दाहिने पैर को आगे बढ़ाते हुए पूरा जमीन पर रख दें।
- बयां पैर पीछे की ओर और दाहिना पैर आगे की ओर खिसकाते हुए स्प्लिट(दोनों पैर पूरी तरह खुले हुए) की स्थिति में आ जाएँ।
- दाहिने पैर की उंगलिया आकाश की ओर और बांये पैर की उंगलिया जमीन को स्पर्श करती हुई (तलवा आकाश की ओर) होनी चाहिए|
- अपने दोनों हाथ उठाये और हथेलिया जोड़ ले और दोनों भुजाओं को ऊपर की ओर खींचते हुए पीठ को थोड़ा पीछे की ओर झुकाये।
- इस आसन में कुछ समय तक रहे (४-५ गहरी सांसे) और धीरे धीरे भुजाओं को वापस नीचे ले आये ।
- इस आसन से बाहर आने के लिए अपने शरीर का भार, अपने हाथो को जमीन पर दबाकर, हाथो पर ले आये। धीरे धीरे अपने दाहिने और बांये पंजो कोखिसकाकर प्रारंभिक स्थिति में ले आये और अब बांये पैर को सामने की ओर और दाहिने पैर को पीछे की ओर करते हुए आसन को दोहराये।
हनुमान आसन के लाभ | Benefits of Hanuman asana in Hindi:
हनुमान आसन से जांघ, उरुसंधि और घुटने के पीछे की मांसपेशी में खिचाव होता है और मजबूती आती है। इस आसन से पेट के निचले हिस्से में भी उद्दीपन होता हैऔर वहां के अंगो के कार्य में सुधार होता है। इस आसन के सतत अभ्यास से कूल्हे की मांसपेशियां लचीली होती है।
सावधानियां
उरुसंधि और घुटने के पीछे की मांसपेशी में यदि कोई चोट हो तो इस आसन को नहीं करना चाहिए। दोनों पैरो को पूरी तरह खुलने में अभ्यास और धैर्य चाहिए,किसी प्रकार की जबरदस्ती शरीर को नुकसान पंहुचा सकती है।अपने शरीर की सीमाओं समझ करखिचाव को करें।
नए योग प्रशिक्षुओं के लिए सुझाव | Beginner's tip
यह एक मध्यम श्रेणी का आसन है, नियमित योग अभ्यासी भी पूरी तरह पैरों को खोलने में मुश्किलपाते हैं।आप अपने घुटनों और एड़ियों के नीचे कम्बल रखसकते हैं, जिससे दर्द और दिक्कत कम हो।
इसके बाद का आसन | Follow up posture
पश्चिमोत्तानास | Paschimottanasana in Hindi
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