खर्राटों को साधारणतया कुछ चुटकुलों के साथ जोड़ कर छोड़ दिया जाता है। परंतु दुर्भाग्य से खर्राटे लेना गंभीर बीमारी है। खर्राटे लेने वाले व्यक्ति और उनको झेलने वाला व्यक्ति दोनों इस परेशानी से प्रभावित होते हैं। पहला व्यक्ति वास्तव मे स्टोक या दिल की बीमारी से ग्रसित होगा, जबकि दूसरे को सारी रात बिना नींद के काटनी पड़ेगी।
खर्राटों का क्या कारण है? | What causes snoring?
सांस लेने के रास्ते में हवा की रुकावट खर्राटों का मुख्य कारण है। इसके बहुत से कारण हो सकते हैं। तनाव,साँस के संचार की समस्या, मोटापा, साइनस या नाक की समस्या, अनुवांशिकता भी इसका कारण हो सकती है। धूम्रपान और शराब का सेवन भी इसका कारण हैं। खाने पीने की गलत आदतें, कुछ दवाइयां या किसी प्रकार का संक्रमण या एलर्जी के कारण भी आप खर्रांटे की समस्या से ग्रसित हो सकते हो। जुबान पर सूजन या गले के टॉन्सिल्स भी खराटो को बढ़ा देते हैं।
खर्राटों के पीछे का विज्ञान | The science behind snoring
नींद के समय गले के पीछे की मांसपेशियों विश्राम की अवस्था में आ जाती है। कभी-कभी यह जगह संकरी होती है या अस्थाई रुप से बंद हो जाती है। सांस लेते समय हवा संकरी जगह से जल्दी जल्दी आती है जिसके कारण उसके आसपास के ऊतकों में कंपन उत्पन्न होता है। जिसके कारण खर्राटों की आवाज आती है। जितनी संकरी जगह होगी उतना अधिक ऊतकों में कंपन होगा, उतनी ही अधिक तेज खर्राटों की आवाज आएगी।
खराटों का आपके जीवन पर प्रभाव? | How does snoring affect your life?
अलग अलग लोगो में खर्रांटे लेने के अलग-अलग कारण हो सकते हैं। नाक में, मुँह में या गले में किसी प्रकार की रुकावट भी खर्रांटे लेने का कारन बन सकती है।
खराटों के कारण अच्छी नींद नहीं आती और नींद में खलल या अस्थाई रूप से सांस लेने में रुकावट रहती है। गला घुटना या सांस लेने में रुकावट से असामान्य व घुटी-घुटी सांस आती है। गला सूख जाता है इसके कारण हाइपरटेंशन या स्ट्रोक जैसे पुराने रोग बढ़ने का खतरा अधिक हो जाता है। गुस्सा, चिड़चिड़ाहट, मन का केंद्रित न होना, घटती कामेच्छा इसके कुछ दुष्प्रभाव है। तुम शायद दिन भर सुस्त और आलसी महसूस भी कर सकते हो| साधारणतया खर्राटे लेना दुखद समस्या है, जिससे जल्दी से जल्दी छुटकारा मिलना अनिवार्य है।
योग की मदद से प्राकृतिक रूप से खर्राटों को रोकना सीखें| Learn how to stop snoring naturally with yoga
वर्तमान समय में खर्राटों के उपचार के लिए बहुत सारे उपकरण तथा उपाय हैं जिसमें सर्जरी भी शामिल है। इन सब की जगह यदि आप योग को महत्व दोगे तो खर्राटों की समस्या का इलाज संभव है, क्योंकि:
- यह भारी दुष्प्रभावों से मुक्त व सुरक्षित है।
- यह श्वास नलिका में रुकावट या रक्त संकुलन जमावट को कम करके खराटों की तीव्रता को नियमित करने में सहायक है।
- आप उपचार के लिए चाहे जो कुछ भी दवाइयां ले रहे हो, योगा उन सब के साथ किया जा सकता है।
खर्राटों को रोकने के लिए व्यायाम
खर्रांटों को रोकने के लिए आप यह निम्नलिखित प्राणायाम व योगासन कर सकते हैं।
- भुजंगासन | Bhujangasan
- धनुरासन | Dhanurasana
- सिंहगर्जनासन | Simha Garjasana
- भ्रामरी प्राणायाम | Bhramari Pranayama
- कपालभाति प्राणायाम | Kapalbhati Pranayama
- नाड़ी शोधन प्राणायाम | Nadi Shodhan Pranayama
- उज्जई प्राणायाम | Ujjayi Pranayama
भुजंगासन | Bhujangasan
छाती को ऊपर उठाएं। इससे छाती और फेफड़े साफ होते हैं। शरीर में रक्त संचार तथा ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ता है।
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धनुरासन | Dhanurasana
सांस लेने में सहायक। छाती की मांसपेशियों को खोलता है जिससे गहरी सांसे ले सकते हैं और छोड़ सकते हैं।
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सिंहगर्जनासन | SimhaGarjasana
एक दहाड़ खर्राटों को रोक सकती है!
- जमीन पर बैठ जाए, अपने कूल्हों को एडीयों पर विश्राम की अवस्था में रखें।
- जंघाओं को फैला लें।
- हथेलियों को जमीन पर इस तरह रखें कि उगलियां अंदर की तरफ रहें व कलाई बाहर की तरफ।
- आगे की ओर झुके, मुँह खोलें, जबान बाहर खींचें।
- दहाड़ने की आवाज के साथ सांस बाहर छोड़े।
- दो तीन बार यह प्रक्रिया दोहराएं।
इस योगासन को करने के यह लाभ है-
- जीभ का व्यायाम होता है।
- गले की मांसपेशियों को विश्राम मिलता है।
- गले के दर्द में राहत मिलती है।
- प्लेटिस्मा उत्तेजित होता है, जिससे गले के सामने की मांसपेशियों का व्यायाम होता है।
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भ्रामरी प्राणायाम | Bhramari Pranayama
एकाग्रता बढ़ाने में सहायक। गुस्सा और तनाव निकालने में सहायक। उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण।
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कपालभाति प्राणायाम | Kapalbhati Pranayama
क्रेनियल साइनस की सफाई में मददगार। अच्छी नींद के लिए महत्वपूर्ण।
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नाड़ी शोधन प्राणायाम | Nadi Shodhan Pranayama
परिसंचरण नलिकाओं की सफाई। गले के संक्रमण को दूर करने में सहायक। खर्राटों व नींद न आने की परेशानी को कम करने में सहायक।
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उज्जई प्राणायाम | Ujjayi Pranayama
- आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं, आंखे बंद कर ले, होंठों को बंद कर लें।
- नाक से गहरी सांस लें और छोड़ें।
- गले के पीछे की मांसपेशियों को धीरे-धीरे पीछे की ओर खींचे तथा सांस लें और छोड़ें। मुंह बंद रखें।
- सोचे कि आप स्ट्रॉ से सांस पी रहे हैं, सांसे गहरी व धीरे धीरे अंदर ले रहे हैं और बाहर छोड़ रहे हैं।
- आपकी सांसों की आवाज ऐसी होनी चाहिए जैसे सागर में उठती लहरें।
- कम से कम 9 बार इसका अभ्यास करें।
इस प्राणायाम को करने के यह लाभ है:
- चेहरे और गले की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
- नींद को नियमित करता है।
- मन को शांत करता है।
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“ॐ” मंत्र का जाप | Chanting the "Om" mantra
"ॐ” का उच्चारण ऐसा कंपन उत्पन्न करता है जिससे हमारे शरीर के प्रत्येक कण को विश्राम मिलता है। व्यक्ति को गहरी व अच्छी नींद आती है। एकाग्रता बढ़ाता है।
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खर्राटों की समस्या हमारे स्वास्थ्य के कई पहलुओं पर असर करती है। खर्राटों को रोकने के लिए जल्दी कदम उठाएं, अपने लिए भी और अपने साथी के लिए भी। योग और ध्यान के साथ साथ अच्छा भोजन और समय अनुसार नींद भी ले। आयुर्वेदिक भोजन अपने जीवन में शामिल करें। वजन घटाएं, धूम्रपान छोड़े, और शराब छोड़े।
इन सब का मिश्रण ना केवल खर्राटों को रोकेगा बल्कि आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को अच्छा रखेगा।
योग के अभ्यास से शरीर और मन के स्तर पर अनेक लाभ होते हैं। हां, यह दवाइयों का विकल्प नहीं है। योग मुद्राओं का अभ्यास किसी कुशल योग प्रशिक्षक के निरीक्षण में करें। किसी चिकित्सा हालत में, योग मुद्राएं चिकित्सक या श्री श्री योग शिक्षक के परामर्श पर ही करें।
आपके पास जो आर्ट ऑफ लिविंग सेंटर हों उन पर संपर्क करें, श्री श्री योग कार्यक्रम के बारे में पता लगाने के लिए। यदि आप को इस कार्यक्रम की सूचना की आवश्यकता है? आप अपना अनुभव बांटना चाहते हैं? हमें लिखें: info@srisriyoga.in!