मासिक धर्म किसी भी महिला के लिए एक दर्द भरा अनुभव होता है। इस समय पर महिलाओं को पेट में तथा पेडू में दर्द होता है, जो कि बढ़ते हुए पीठ के निचले भाग और जंघाओं में भी फैल सकता है। जी मिचलाना, सिर दर्द, थकान, कब्ज़ और भारीपन लगना कुछ ऐसी और तकलीफें महिलाओं को इस समय में झेलनी पड़ती है। अत्यधिक दर्द और मासिक ऐंठन को चिकित्सीय रुप में डिसमेनोरिहा कहा जाता है।
किरण, एक व्यवसायिक अधिकारी, मासिक धर्म के अनुभव को बताते हुए कहती हैं “मेरे मासिक धर्म के पहले 2 दिन काफी तकलीफ वाले होते हैं, शरीर का दर्द मुझे भावनात्मक रुप से तनावयुक्त कर देता है”। 28 वर्षीय, दंत चिकित्सक स्वाति का कहना है कि,” दर्द ज्यादातर पेट और पीठ के नीचे होता है। मैं वास्तव में इसके लिए कोई दर्द निवारक गोलियां नहीं लेती हूं, केवल गर्म पानी की बोतल लगाने से ही दर्द में आराम मिल जाता है”।
मासिक धर्म के समय पेट में दर्द और अन्य समस्याएं युवा लड़कियों को होती है, और उम्र बढ़ने के साथ-साथ इस दर्द में कमी आने लगती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐंठन व दर्द का मुख्य कारण व्यायाम की कमी और गलत भोजन की आदतों के कारन होता है।
योग द्वारा दर्द को अलविदा बोलो! | Bid pain goodbye!
मासिक धर्म के दर्द को कम करने के लिए जो गोलियां खाई जाती है, उनसे उस समय तो दर्द में राहत मिल जाती है पर यह कोई स्थाई समाधान नहीं है। जब शरीर गोलियों का आदी हो जाता है तो उसका असर होना कम हो जाता है। जिसके कारण गोलियों की मात्रा बढ़ानी पड़ती है, जिससे नुकसान होने लगता है। जब भी मासिक धर्म के समय दर्द हो तब हमेशा गर्म पानी की बोतल से सिकाई करना भी संभव नहीं होता। पौष्टिक भोजन दर्द कर्म करने में सहायक सिद्ध होता है। योग व आयुर्वेद द्वारा मासिक धर्म की समस्या को बहुत हद तक ठीक किया जा सकता है| योग शरीर को मजबूत करता है और मासिक धर्म के दर्द को दूर करता है। यह मन को भी शांत करता है तथा आपको दर्द के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरोधक शक्ति प्रदान करता है।
यह सरल योग मुद्राएं मासिकधर्म की ऐठन तथा दर्द से आपके दैनिक जीवन को सामान्य बनाने में मदद करेंगीं:
कबूतर की मुद्रा में शरीर के निचले भाग को पूर्णतया खींचा जाता है, पेट के अंगो को विश्राम मिलता है तथा मासिक की असहजता से शरीर को मुक्ति दिलाता है।
मत्स्यासन में पीठ उठाकर ऊपर खींचने से पेट की मांसपेशियां उत्तेजित होती हैं। यह आसन करने से मासिक धर्म के दर्द से शरीर को राहत मिलती है।
एक टांग को आगे करके, सिर को घुटने पर लगाने से भी पेट के अंगो की मालिश होती है। इस योग मुद्रा से मासिक धर्म की ऐंठन कम हो जाती है।
धनुरासन
तीर कमान मुद्रा में पेट पर पूरा जोर पड़ता है जिससे पेट की मांसपेशियों तथा प्रजनन अंगों को ताकत मिलती है और मासिक धर्म की असहजता तथा कब्ज से राहत मिलती है।
भुजंगासन
कोबरा पोज़ पेट को खींचता है, जिससे पेट अंदर होता है, मासिक धर्म का दर्द कम होता है तथा थकान व तनाव भी दूर हो जाता है।
कैमल पोज में शरीर के सामने का भाग खींचा जाता है, इस से पीठ के निचले भाग का दर्द कम होता है तथा मासिक धर्म के दर्द में भी कमी आती है।
इन आसनों को पूरे महीने करते रहना है जब तक मासिक धर्म आरंभ नहीं होते। जब मासिक धर्म आरंभ हो जाए उस समय सरल मुद्राएं करें, जैसे बद्धकोणासन, शिशु आसन, नटराज आसन और योग निद्रा। किसी भी प्रकार की टांगों को खींचने की मुद्राएं या कठिन शारीरिक तथा मानसिक क्रियाएं इस समय पर न करें।
मासिक धर्म की समस्याओं के कारण अपने जीवन को न रोकें | Live uninterrupted
मासिक धर्म को अपने दैनिक जीवनचर्या पर हावी न होने दें, जिससे आपका जीवन अस्त-व्यस्त न हो जाए। प्रतिदिन योगाभ्यास करें, पौष्टिक भोजन खाएं तथा जीवन के प्रति सकारात्मक सोच रखें। मासिक धर्म की तकलीफ के कारण मानसिक तनाव बढ़ जाता है। योग द्वारा आप मासिक धर्म में होने वाली सभी समस्याओं को काफी हद तक कम कर सकते हैं। आप आसानी से इस तनाव को झेलने की क्षमता को भी बढ़ा सकते हैं।
दर्द को समाप्त करने के आसान तरीके | Pain-free tips to beat pain!
- खूब पानी पिएँ
- पौष्टिक भोजन खाएं
- तंबाकू और शराब से दूर रहें
- प्रतिदिन व्यायाम करें
योग: क्या केवल एक ही उपाय है? | Yoga: The only alternative?
योग जब नियमित रूप से किया जाता है तो शरीर पर मनवांछित प्रभाव नजर आने लगते हैं। लेकिन इस बात की चेतावनी दी जाती है कि यदि आप कोई दवा ले रही हैं तो बिना चिकित्सक के परामर्श के उसको लेना बंद न करें। योग से आप दर्दरहित मासिक धर्म की स्थिति तक पहुंच सकते हैं, परंतु केवल यह एक अकेला साधन नहीं है।
अपने शरीर का सम्मान करें, इसकी सीमा का ध्यान रखें और धीरे-धीरे इस से बाहर निकलने का प्रयास करें। इसके अलावा, अच्छे कपड़े पहने, जीवन को खुशी से जिए और अपने मासिक के तनाव को मुस्कुराहट से जीते!
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यद्यपि योगाभ्यास शरीर और मन के लिए बहुत फ़ायदेमंद है, फिर भी इसे दवा के बदले आजमाना उचित नही है| योगासनों का अभ्यास आर्ट ऑफ लिविंग योग के प्रशिक्षक की निगरानी में ही करना सर्वथा लाभप्रद होगा| अगर कोई शारीरिक या मानसिक खामी हो, तो वैद्यकीय सलाह और श्री श्री योग (Sri Sri Yoga) के प्रशिक्षक की निगरानी में ही करना सर्वथा लाभप्रद होगा| अगर कोई शारीरिक या मानसिक खामी हो, तो वैद्यकीय सलाह और आर्ट ऑफ लिविंग योग के प्रशिक्षक की अनुमति के पश्चात ही योगाभ्यास करें| श्री श्री योग कोर्स आपके नज़दीकी आर्ट ऑफ लिविंग केंद्र में आप सीखसकते हैं| अगर आप विविध कोर्सों के बारे में जानकारी पाना चाहते हैं या सुझाव देना चाहते हैं तो हमें संपर्क करें info@artoflivingyoga.in